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मुंबई को मिलेगी अंडरग्राउंड मेट्रो, खुदाई का काम शुरू

इस प्रोजेक्ट से तकरीबन 1500 परिवार प्रभावित होंगे. 7600 कुशल और अकुशल लोगों को भी स्थानांतरित कर दिया गया है.

मुंबई मेट्रो मुंबई मेट्रो
केशवानंद धर दुबे
  • मुंबई,
  • 22 जनवरी 2018,
  • अपडेटेड 10:40 AM IST

मुंबई मेट्रो रेल कॉरपोरेशन (MMRC) ने मुंबई में तीसरे कॉरिडोर का काम भी शुरू कर दिया है. बता दें मुंबई में मेट्रो का यह फेज अंडरग्राउंड होगा. मुंबई के लोगों को अंडरग्राउंड मेट्रो का यह तोहफा 2021 तक मिलने की संभावना है.

मुंबई जैसे शहर में ऐसा पहली बार हो रहा है जब 33.5 किलोमीटर लंबे भूमिगत कॉरिडोर से 220 मीटर दूर दक्षिण मुंबई में कुलाबा को उपनगरीय अंधेरी में एसईईपीजैड (SEEPZ) को जोड़ने की सुरंग का निर्माण करने के लिए खोदने का काम शुरू कर दिया गया है.

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ऐसी उम्मीद की जा रही है कि मुंबई मेट्रो का ये कॉरिडोर मुंबई यातायात के लिए एक 'गेम-चेंजर' के तौर पर उभर कर आएगा. इससे मुंबई में प्रदूषण की शिकायत भी कम होगी और ये कॉरिडोर लगभग 2000 इमारतों के नीचे से होकर निकलेगी.  

मुंबई मेट्रो रेल कॉरपोरेशन (MMRC) ने भूतल में चल रहे काम के कारण होने वाले कंपन के डर को दूर करते हुए, भूमि को खोदने की एक व्यापक योजना तैयार की है.

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राज्य के स्वामित्व वाली एजेंसियां जो मेट्रो निर्माण के कार्य में लगी हैं, के अनुसार तकरीबन 1500 परिवार इस प्रोजेक्ट से प्रभावित होंगे. 7600 कुशल और अकुशल लोगों को भी स्थानांतरित कर दिया गया है.

मुंबई मेट्रो के इस 3 कॉरिडोर कोलाबा से SEEPZ (Santacruz Electronics Export Processing Zone, a special economic zone) तक लॉक कर दिया जाएगा. यहां कुल 27 स्टेशन तैयार होंगे, जिसमें 26 अंडरग्राउंड होंगे. निर्माण कार्य शुरू होने के बाद से ही कुछ कार्यकर्ताओं और नागरिकों ने सुरक्षा और स्थिरता की चिंता पर सवाल उठाया है. लोगों के इस डर को दूर करते हुए मुंबई मेट्रो के प्रबंध निदेशक अश्विनी भिड़े ने कहा कि सबसे अच्छी अंतरर्राष्ट्रीय पर परीक्षण और पहले से किया जा चुका परिक्षण को इस्तेमाल किया जा रहा है. इसलिए डर का कोई सवाल ही पैदा नहीं होता.

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उन्होंने कहा कि रिकॉर्ड में कंपन का स्तर सुरक्षित सीमा के एक चौथाई से भी कम आया है. विरासत या कमजोर इमारतों के लिए यह स्वीकार्य है. उन्होंने आश्वासन दिया कि निगम ने ठेकेदारों को अपनी पेशेवर विशेषज्ञता प्रदान करने वाले सर्वोत्तम उपलब्ध डिजाइन सलाहकारों को काम पर रखा है.

उन्होंने कहा कि मेट्रो सेवाएं कार्बन पदचिह्न और प्रदूषण को कम करने में मदद करती हैं, और हरित जन रैपिड ट्रांजिट सिस्टम का गठन करती हैं. यह मेट्रो, स्थानीय रेल पर बढ़ते भार को कम कर देगा, अधिकतर भीड़-भाड़ की वजह से यह देश की वित्तीय स्थिति में परिवहन परिदृश्य के मामले में 'गेम-चेंजर' होने जा रहा है.

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आपको बता दें कि जापान की अंतर्राष्ट्रीय सहयोग एजेंसी (जेआईसीए) ने 13,235 करोड़ रुपये की सहायता प्रदान की है, जो कि कुल लागत का 57.2 प्रतिशत है. शेष राशि राज्य और केंद्र सरकारों द्वारा उपलब्ध कराई जाएगी

एमएमआरसी को केंद्र और महाराष्ट्र सरकार के बीच एक जॉइंट वेंचर के रूप में गठित किया गया है. यह पूरे खंड के संचालन के लिए 2021 को निर्धारित समय सीमा के रूप में निर्धारित किया है.

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