
मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह की जनहित याचिका पर आज बॉम्बे हाई कोर्ट में सुनवाई चल रही है. सुनवाई के दौरान बॉम्बे हाई कोर्ट ने जनहित याचिका पर सवाल उठाया. हाई कोर्ट का कहना है कि ट्रांसफर याचिका कैसे जनहित याचिका हो सकती है. इसके साथ ही कोर्ट ने वसूली कांड में एफआईआर नहीं दर्ज करने पर भी सवाल उठाया.
इस जनहित याचिका में परमबीर सिंह ने अपने तबादले को चुनौती दी है. साथ ही पुलिसकर्मियों से कथित रूप से वसूली कराने के मामले में महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख के खिलाफ जांच की मांग की गई है. इस जनहित याचिका में कुल चार प्रार्थनाएं लगाई गई हैं.
इस सुनवाई से पहले महाराष्ट्र सरकार ने अनिल देशमुख के खिलाफ परमबीर सिंह द्वारा लगाए गए आरोपों की सच्चाई उजागर करने के लिए उच्चस्तरीय जांच समिति की घोषणा की. इस एक सदस्यीय जांच समिति के प्रमुख हाई कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश कैलाश चंदीवाल होंगे.
हाई कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश कैलाश चंदीवाल की निगरानी में यह आयोग 6 महीने में अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपेगा. आयोग महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख के खिलाफ वसूली के आरोपों की जांच करेगा. सीएम उद्धव ठाकरे ने इस मामले में जांच कराने का फैसला खुद किया था. जिसकी जानकारी अनिल देशमुख ने ही दी थी.
आपको बता दें कि मुंबई पुलिस कमिश्नर पद से हटाए जाने के बाद परमबीर सिंह ने सीएम उद्धव ठाकरे को एक चिट्ठी लिखी थी. इस चिट्ठी में दावा किया गया था कि एंटीलिया केस में फंसे पुलिस अधिकारी सचिन वाजे को हर महीने 100 करोड़ रुपये वसूली का टारगेट दिया गया था. यह टारगेट गृह मंत्री अनिल देशमुख ने दिया था.
परमबीर सिंह का दावा है कि गृह मंत्री अनिल देशमुख ने मुंबई के हर पब और बार से 3-3 लाख रुपये वसूलने का टारगेट सचिन वाजे को दिया था. हालांकि, अनिल देशमुख इन सभी आरोपों को खारिज कर रहे हैं. उनका कहना है कि जांच में दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा.