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23 साल बाद हत्या और अपहरण का राज खुला, फर्जी पहचान के साथ रह रहा आरोपी ठाणे से गिरफ्तार

महाराष्ट्र के पालघर में 2002 में भाभी की हत्या और भतीजे के अपहरण के आरोपी मोहम्मद तारबेज अंसारी को 23 साल बाद ठाणे के डोंबिवली से गिरफ्तार किया गया है. वह फर्जी पहचान के साथ वहां रह रहा था. हत्या के बाद आरोपी लखनऊ भागा और बाद में डोंबिवली आकर बस गया. पुलिस ने उसे दबोचकर जांच शुरू कर दी है.

AI जेनरेटेड (सांकेतिक तस्वीर). AI जेनरेटेड (सांकेतिक तस्वीर).
aajtak.in
  • पालघर,
  • 18 मार्च 2025,
  • अपडेटेड 5:52 PM IST

महाराष्ट्र के पालघर में 23 साल पहले अपनी भाभी की हत्या और भतीजे के अपहरण के आरोपी मोहम्मद तारबेज मोहम्मद इदरीस अंसारी (52)को पुलिस ने आखिरकार ठाणे जिले के डोंबिवली से गिरफ्तार कर लिया. आरोपी पिछले दो दशकों से फर्जी पहचान के साथ वहां रह रहा था. पुलिस ने मंगलवार को इस गिरफ्तारी की पुष्टि की है.

पुलिस के मुताबिक, यह मामला 6 जून 2002 का है, जब आरोपी तारबेज अंसारी ने अपने छोटे भाई की दूसरी पत्नी अफरीन बानो के साथ मिलकर पहली पत्नी शबाना परवीन (30) की बेरहमी से हत्या कर दी थी. आरोपियों ने शबाना का गला धारदार हथियार से रेत दिया और उसके पांच महीने के बेटे का अपहरण कर लिया. इस जघन्य अपराध के बाद विरार पुलिस ने भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 302 (हत्या), 363 (अपहरण) और 34 (साझा आपराधिक मंशा) के तहत मामला दर्ज किया था.

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हत्या और अपहरण की वजह

जांच में सामने आया कि आरोपी तारबेज अंसारी अपने छोटे भाई की पहली पत्नी शबाना परवीन से नफरत करता था और उसने अपने भाई को दूसरी शादी करने के लिए मजबूर किया. उसके दबाव में आकर छोटे भाई ने अफरीन बानो से शादी कर ली, लेकिन पहली पत्नी से छुटकारा पाने के लिए तारबेज और अफरीन ने मिलकर शबाना की हत्या की साजिश रची.

कैसे पकड़ा गया आरोपी?

एमबीवीवी (मीरा भयंदर-वसई विरार) पुलिस के वरिष्ठ निरीक्षक अविराज कुर्हाडे ने बताया कि पुलिस को गुप्त सूचना मिली थी कि आरोपी डोंबिवली इलाके में छिपा हुआ है. इसके बाद सहायक पुलिस निरीक्षक दत्ता सारक के नेतृत्व में पुलिस टीम ने सोमवार को आरोपी के किराए के मकान पर छापा मारा और उसे गिरफ्तार कर लिया. पूछताछ में आरोपी ने बताया कि हत्या के बाद वह लखनऊ भाग गया, जहां वह तीन साल तक छिपकर रहा. इसके बाद वह महाराष्ट्र लौट आया और डोंबिवली में फर्जी नाम से रहने लगा. उसने पहचान छिपाने के लिए नए दस्तावेज भी तैयार कर लिए थे और सामान्य जीवन जी रहा था.

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सह-आरोपी को 2015 में मिली थी रिहाई

इस मामले की दूसरी आरोपी अफरीन बानो ने 2015 में आत्मसमर्पण कर दिया था, लेकिन सबूतों के अभाव में अदालत ने उसे बरी कर दिया. वहीं, जिस बच्चे का 2002 में अपहरण किया गया था, वह अब 23 साल का हो चुका है और लखनऊ में अपने पिता और सौतेली मां के साथ रह रहा है.

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