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'एक से ज्यादा शादियों का रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं मुस्लिम पुरुष', बॉम्बे हाईकोर्ट का अहम फैसला

यह फैसला उस याचिका पर सुनवाई के दौरान आया, जिसमें एक मुस्लिम व्यक्ति ने अपनी तीसरी शादी का रजिस्ट्रेशन कराने की मांग की थी. यह शादी फरवरी 2023 में एक अल्जीरियाई महिला से हुई थी, लेकिन महाराष्ट्र के एक शादी अधिनियम के आधार पर इसे रजिस्टर करने से इनकार कर दिया गया था.

बॉम्बे हाईकोर्ट ने अहम आदेश सुनाते हुए ठाणे नगर निगम के फैसले को गलत करार दिया (प्रतीकात्मक तस्वीर) बॉम्बे हाईकोर्ट ने अहम आदेश सुनाते हुए ठाणे नगर निगम के फैसले को गलत करार दिया (प्रतीकात्मक तस्वीर)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 23 अक्टूबर 2024,
  • अपडेटेड 4:34 PM IST

बॉम्बे हाईकोर्ट ने अपने एक अहम फैसले में कहा है कि मुस्लिम पुरुष अपनी एक से ज्यादा शादियों का रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं, क्योंकि उनके व्यक्तिगत कानून उन्हें एक समय में चार शादियां करने की अनुमति देते हैं. यह फैसला उस याचिका पर सुनवाई के दौरान आया, जिसमें एक मुस्लिम व्यक्ति ने अपनी तीसरी शादी का रजिस्ट्रेशन कराने की मांग की थी. यह शादी फरवरी 2023 में एक अल्जीरियाई महिला से हुई थी, लेकिन महाराष्ट्र के एक शादी अधिनियम के आधार पर इसे रजिस्टर करने से इनकार कर दिया गया था.

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ठाणे नगर निगम ने इस शादी को रजिस्टर करने से इसलिए मना कर दिया था क्योंकि महाराष्ट्र वैवाहिक ब्यूरो और विवाह पंजीकरण अधिनियम के तहत एक ही शादी का जिक्र है, और इसमें कई शादियों की बात नहीं की गई है.

15 अक्टूबर को सुनवाई के दौरान जस्टिस बीपी कोलाबावाला और सोमशेखर सुंदरशन की बेंच ने नगर निगम के इस फैसले को पूरी तरह से गलत करार दिया और कहा कि यह अधिनियम मुस्लिम पुरुषों को एक से ज्यादा शादियों का रजिस्ट्रेशन कराने से नहीं रोकता है, क्योंकि मुस्लिम पर्सनल लॉ के तहत उन्हें एक समय में चार पत्नियां रखने की अनुमति है. 

कोर्ट ने कहा, "मुस्लिम पर्सनल लॉ के तहत मुस्लिम पुरुषों को एक समय में चार शादियां करने का अधिकार है. ऐसे में हम ठाणे नगर निगम के इस तर्क को नहीं मान सकते कि मुस्लिम पुरुष के मामले में इस अधिनियम के तहत केवल एक शादी का रजिस्ट्रेशन हो सकता है."

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इसके अलावा, कोर्ट ने यह भी बताया कि ठाणे नगर निगम ने पहले उस याचिकाकर्ता की दूसरी शादी का रजिस्ट्रेशन किया हुआ है.

कोर्ट ने दंपति को दो सप्ताह के भीतर सभी जरूरी दस्तावेज जमा करने के निर्देश दिए. दस्तावेज मिलने के बाद, नगर निगम को 10 दिनों के भीतर शादी का प्रमाणपत्र जारी करने या व्यक्तिगत सुनवाई के बाद इसे अस्वीकार करने का आदेश दिया गया. तब तक महिला के खिलाफ कोई सख्त कदम नहीं उठाए जाएंगे, जिनका पासपोर्ट मई में समाप्त हो चुका है.

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