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पतंग लूटने के चक्कर में 15 किलोमीटर तक भागते रहे दो बच्चे,जंगल में खो गए, सर्च ऑपरेशन चलाकर घरवालों से मिलाया

महाराष्ट्र के नागपुर में पतंग का पीछा करते-करते घर से 15 किलोमीटर दूर जंगल में भटक गए दो लड़कों का पता लगा लिया गया है और उन्हें उनके परिवार को सौंप दिया गया है.

सांकेतिक तस्वीर सांकेतिक तस्वीर
aajtak.in
  • नागपुर,
  • 08 जनवरी 2024,
  • अपडेटेड 3:59 PM IST

महाराष्ट्र के नागपुर में पतंग का पीछा करते-करते घर से 15 किलोमीटर दूर जंगल में भटक गए दो लड़कों का पता लगा लिया गया है और उन्हें उनके परिवार को सौंप दिया गया है.

काटोल पुलिस थाने के अधिकारी ने कहा कि दोनों लड़कों की आयु 10 से 13 वर्ष के बीच है और वे नरखेड तहसील के तोलापार गांव के रहने वाले हैं. ये दोनों शनिवार शाम को पतंग का पीछा करते-करते जंगल में खो गए थे.

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उन्होंने कहा, सूचना मिलने के बाद पुलिस के एक दल ने लड़कों की तलाश शुरू कर दी. दोनों उनके घर से लगभग 15 किलोमीटर दूर चिखली मैना गांव में मिले. उन्हें उनके परिवार को सौंप दिया गया है.'

पतंग उत्सव का आयोजन
दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) 13 से 14 जनवरी को दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय पतंग उत्सव का आयोजन कर रहा है. इस उत्सव में कई पेशेवर पतंगबाज अपना हुनर दिखाएंगे. इसमें लोगों को निशुल्क प्रवेश दिया जाएगा. सराय काले खां स्थित बांसेरा बैम्बू पार्क में ये महोत्सव आयोजित किया जाएगा. 

डीडीए के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि पतंगों की गैलरी लगाई जाएगी जिसमें पतंग की विभिन्न किस्मों के बारे में बताया जाएगा. युद्ध के समय में पतंग के उपयोग, लड़ाकू पतंग, भारत में पतंग के महत्व आदि को दर्शाया जाएगा. कार्यक्रम में प्रदर्शनी भी लगाई जाएगी. 

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बच्चों के लिए किड्स जोन होगा. इस दौरान लोगों को पतंग खरीदने और उड़ाने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा. देश की सांस्कृतिक विविधता को प्रदर्शित करने वाले लोक कलाकारों के कार्यक्रम भी होंगे. हस्तशिल्प कलाकारों के स्टॉल भी लगेंगे.

देश के विभिन्न हिस्सों में बड़ी संख्या में लोग पतंग उड़ाते हैं
मकर संक्रांति 14 जनवरी को पड़ती है और उस दिन देश के विभिन्न हिस्सों में बड़ी संख्या में लोग पतंग उड़ाते हैं. यमुना के बाढ़ के मैदानों के पारिस्थितिक चरित्र को बढ़ाने और इसे एक मनोरंजक और सांस्कृतिक स्थल के रूप में आकर्षक बनाकर इसे और अधिक लोगों के अनुकूल बनाने के लिए दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने अगस्त 2022 में 'बांसेरा' की नींव रखी थी और इसे छह महीने में विकसित किया गया था. असम से लाए गए 25,000 से अधिक विशेष किस्म के बांस के पौधे यहां लगाए गए थे.

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