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साहित्य अकादमी जैसे प्रतिष्ठित पुरस्कार से नवाजी जा चुकीं मशहूर साहित्यकार नयनतारा सहगल के मराठी लिटरेचर फेस्टिवल में जाने को लेकर विवाद हो गया है. 92वें ऑल इंडिया मराठी लिटरेचर फेस्टिवल में नयनतारा सहगल को बतौर मुख्य अतिथि जाना था, लेकिन महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के कुछ नेताओं ने इसका विरोध किया था. इस मुद्दे पर विवाद को बढ़ता देख मनसे प्रमुख राज ठाकरे ने माफी मांगी है, उनका कहना है कि नयनतारा सहगल के आने से उन्हें कोई दिक्कत नहीं है.
दरअसल, इस कार्यक्रम में नयनतारा सहगल को बतौर अतिथि बुलाया गया था, यहां उन्हें उद्घाटन भाषण भी देना था. लेकिन मराठी लिटरेचर फेस्टिवल के कार्यकारी अध्यक्ष रमाकांत कोल्ते के मुताबिक, हमने नयनतारा सहगल को भेजा निमंत्रण पत्र वापस ले लिया है, इसमें कहा गया है कि कुछ कारणों की वजह से इस निमंत्रण को वापस लिया जा रहा है.
इस विवाद पर नयनतारा सहगल ने भी बयान दिया. उनका कहना है कि ऑर्गनाइजर्स ही इस मसले पर जवाब दे सकते हैं कि आखिर मुझे क्यों नहीं बुलाया जा रहा है. मुझे लगता है कि क्योंकि यहां पर भारतीय जनता पार्टी सत्ता में है, ऐसे में कोई राजनीतिक दबाव भी हो सकता है. लेकिन मैं अब कहीं नहीं जा रही हूं.
गौरतलब है कि ये फेस्टिवल 11 जनवरी को होना है. दरअसल, मनसे के कुछ नेताओं ने विरोध जताया था कि मराठी लिटरेचर फेस्टिवल में मुख्य अतिथि और उद्घाटन भाषण किसी मराठी के द्वारा होना चाहिए, जिसके कारण विवाद हुआ था.
अब राज ठाकरे ने अपनी सफाई में कहा है कि उनके किसी नेता ने बिना उनसे पूछे इस प्रकार का विरोध जताया है, हालांकि ये विरोध मराठी के हक में जताया गया है. लेकिन मैं इसका विरोध करता हूं. मेरा मानना है कि अगर नयनतारा सहगल जैसी शख्सियत मराठी पर बात करेंगी तो मराठी का विस्तार पूरी दुनिया में होगा. उन्होंने कहा कि हमें उनके आने से कोई दिक्कत नहीं है, पार्टी का अध्यक्ष होने के नाते मैं माफी मांगता हूं.
कौन हैं नयनतारा सहगल?
आपको बता दें कि नयनतारा सहगल एक मशहूर साहित्यकार हैं. वह देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की बहन विजयालक्ष्मी पंडित की बेटी हैं. नेहरू परिवार से जुड़े होने के बावजूद नयनतारा सहगल ने पुरजोर तरीके से इमरजेंसी का विरोध किया था. 2015 में जब देश में असहिष्णुता के मुद्दे पर बहस छिड़ी थी तो उन्होंने अपना साहित्य अकादमी पुरस्कार वापस देने का ऐलान किया था.