
महाराष्ट्र राज्य लोक सेवा आयोग (MPSC) का नया सिलेबस इस साल से लागू करने का फैसला अभी तक नहीं बदला है. इसके खिलाफ पुणे में छात्र विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. एनसीपी चीफ शरद पवार देर रात प्रदर्शनकारी छात्रों से मिले और उन्हें आश्वासन दिया.
एनसीपी चीफ ने प्रदर्शनकारियों से कहा कि वह मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के साथ छात्र प्रतिनिधियों और राज्य लोक सेवा आयोग के अधिकारियों की एक संयुक्त बैठक आयोजित करेंगे. पवार ने मौके से मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को भी फोन किया और उन्हें संयुक्त बैठक करने की योजना से अवगत कराया.
एनसीपी प्रमुख ने कहा कि यहां आने से पहले भी मैंने सीएम से बात की थी. उन्होंने मुझे बताया कि वह अगले दो दिनों में छात्र प्रतिनिधियों, मेरी और एमपीएससी के अधिकारियों की एक संयुक्त बैठक बुलाने के लिए तैयार हैं.
अगर फैसला नहीं बदला तो कोर्ट जाएगी सरकार: फडणवीस
इससे पहले डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस ने मंगलवार को कहा था कि राज्य सरकार ने MPSC से इस फैसले पर पुनर्विचार करने के लिए कहा है. उन्होंने कहा कि सरकारी नौकरियों के लिए प्रतियोगी परीक्षा आयोजित करने वाला आयोग अगर पुनर्विचार नहीं करता है तो सरकार अदालत जा सकती है. फडणवीस ने कहा कि एमपीएससी एक स्वायत्त निकाय है और राज्य सरकार इसे निर्देश नहीं दे सकती है. डिप्टी सीएम ने कहा कि आयोग ने राज्य सरकार के पत्र का जवाब देते हुए कहा कि उसके सदस्यों का विचार था कि पाठ्यक्रम को इसी साल से लागू किया जाए.
आयोग के फैसले के समर्थन में थे डिप्टी सीएम
गौरतलब है कि खुद फडणवीस ने पहले एमपीएससी के फैसले का समर्थन करते हुए कहा था कि देर-सवेर नए पाठ्यक्रम को पेश करना होगा और इसे टालने का कोई मतलब नहीं है. मंगलवार को, उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने एमपीएससी से बात की और कहा कि निर्णय को स्वीकार नहीं किया जा सकता है और छात्रों के बीच निराशा से अवगत कराया जा सकता है.
फडणवीस ने कहा कि हमने उन्हें बताया कि कोई भी नए पाठ्यक्रम का विरोध नहीं कर रहा है, लेकिन मांग यह है कि इसे 2025 से लागू किया जाना चाहिए. सीएम ने उन्हें एक और पत्र भेजा है जिसमें उनसे अपने फैसले पर पुनर्विचार करने को कहा है. मुझे यकीन है कि वे पुनर्विचार करेंगे, लेकिन अगर वे ऐसा नहीं करते हैं तो राज्य सरकार को अदालत जाने जैसे विकल्पों के बारे में सोचना होगा क्योंकि हमें छात्रों के साथ खड़े हैं. छात्र हमारे भविष्य हैं.
छात्रों की मांग क्या है?
MPSC के छात्र 2023 से नया पाठ्यक्रम शुरू करने के आयोग के फैसले के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं. उनकी मांग है कि इसे 2025 तक के लिए टाल दिया जाए. छात्रों का कहना है कि छात्र नए पाठ्यक्रम से निपटने के लिए पर्याप्त रूप से तैयार नहीं हैं. MPSC ने इस वर्ष से मौजूदा ऑब्जेक्टिव प्रश्नपत्र के बजाय वर्णनात्मक प्रश्न पत्र पैटर्न को अपनाने का फैसला किया है, जिसका छात्र विरोध कर रहे हैं.