
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीर सावरकर की जयंती के अवसर पर देश को नए संसद भवन का तोहफा दिया था. पीएम मोदी ने नए संसद भवन का पूरे विधि-विधान से अनुष्ठान के बाद सेंगोल स्थापित किया और लोकार्पण किया. नए संसद भवन के लोकार्पण के बाद इसे लेकर बयानबाजियों का दौर चल रहा है. इसे लेकर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के प्रमुख शरद पवार का भी बयान आया है.
शरद पवार ने नए संसद भवन के लोकार्पण कार्यक्रम को लेकर कहा है कि मैं एक-दो घंटे ये कार्यक्रम देखा. उन्होंने कहा कि कार्यक्रम देखने के बाद मुझे लगा कि अच्छा हुआ कि इस आयोजन में नहीं गया. शरद पवार ने कहा कि वहां जो लोग मौजूद थे और जो धर्मकांड चल रहा था, उसे देखकर पंडित जवाहरलाल नेहरू के आधुनिक भारत की कल्पना और संसद में चल रहे आयोजन में अंतर दिख रहा था.
उन्होंने कहा कि ये सब देखकर लगा कि क्या हम पीछे जा रहे हैं? एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने कहा कि पंडित नेहरू ने विज्ञान को माननेवाला समाज बनाने की कल्पना की थी. उन्होंने कहा कि नए संसद भवन में आज जो चल रहा था, वह पंडित नेहरू की उस कल्पना के बिल्कुल विपरीत चल रहा था, पूरी तरह से उलट चल रहा था.
लोकार्पण में केवल स्पीकर थे, सभापति नहीं
अपनी मौजूदगी के सवाल पर शरद पवार ने कहा कि रहा सवाल मेरे कार्यक्रम में उपस्थित रहने का तो वहां जिन्हें उपस्थित होना चाहिए था वे ही नहीं थे. उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति, जिनके अभिभाषण से सदन का सत्र शुरू होता है उन्हें ही नहीं बुलाया गया. पवार ने कहा कि मैं राज्यसभा का सदस्य हूं और राज्यसभा के प्रमुख उपराष्ट्रपति होते हैं.
उन्होंने कहा कि संसद का मतलब है लोकसभा और राज्यसभा. शरद पवार ने कहा कि नए संसद भवन के लोकार्पण कार्यक्रम में केवल लोकसभा स्पीकर थे. उपराष्ट्रपति वहां थे ही नहीं. गौरतलब है कि शरद पवार के बयान से पहले नए संसद भवन के लोकार्पण कार्यक्रम को लेकर उनकी बेटी और लोकसभा की सांसद सुप्रिया सुले का भी बयान आया था.
सुप्रिया ने कार्यक्रम को बताया था अधूरा
सुप्रिया सुले ने नए संसद भवन के लोकार्पण कार्यक्रम को अधूरा बताते हुए कहा था कि विपक्षी दलों के शामिल हुए बिना संसद भवन का लोकार्पण अधूरा कार्यक्रम है. उन्होंने ये भी कहा कि इसका सीधा मतलब है कि देश में लोकतंत्र नहीं है. सुप्रिया सुले ने कार्यक्रम के लिए तीन दिन पहले निमंत्रण भेजे जाने पर भी सरकार को घेरा था. उन्होंने कहा था कि हमें तीन पहले कार्यक्रम के लिए निमंत्रण भेजा गया और वह भी वॉट्सएप पर.
सुप्रिया सुले ने इस पर सवाल उठाते हुए कहा था कि विपक्षी दलों के नेताओं से फोन पर भी संपर्क किया जा सकता था. उन्होंने पुराने संसद भवन का जिक्र करते हुए ये भी कहा था कि वह देश कि आजादी का वास्तविक इतिहास है. सुप्रिया सुले ने कहा था कि वहां से हमारी यादें जुड़ी हुई हैं. हम सबको पुराने संसद भवन से लगाव है लेकिन अब नए संसद भवन में जाना होगा.
विपक्षी दलों ने कार्यक्रम का किया था बहिष्कार
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्पीकर के आसन के पास सेंगोल स्थापित किया था जिसे तमिलनाडु से आए अधीनम संतों ने अनुष्ठान के बाद उनको सौंपा था. नए संसद भवन के लोकार्पण कार्यक्रम से विपक्षी कांग्रेस समेत एनसीपी और कुछ अन्य विपक्षी दलों ने दूरी बना ली थी. विपक्ष की ओर से नए संसद भवन का लोकार्पण प्रधानमंत्री की जगह राष्ट्रपति से कराने की मांग भी उठी थी.