
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) ने बीते बुधवार को सभी विभागों और प्रकोष्ठों को भंग कर दिया था. पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव प्रफुल्ल पटेल ने विभागों और प्रकोष्ठों को तत्काल प्रभाव से भंग करने की घोषणा की थी.
यह घटनाक्रम पार्टी प्रमुख शरद पवार द्वारा पिछले महीने पार्टी नेताओं की एक महत्वपूर्ण बैठक बुलाए जाने के कुछ दिनों बाद आया है. महाराष्ट्र में राजनीतिक गलियारों में इस बात को लेकर अटकलें लगाई जा रही हैं कि मराठा नेता ने यह फैसला किस वजह से लिया. इन अटकलों में सबसे प्रमुख है कि शिवसेना के बाद पार्टी में विभाजन का खतरा है.
एकनाथ शिंदे के विद्रोह ने शुरू में शिवसेना विधायक दल को विभाजित कर दिया, जिसने उद्धव ठाकरे सरकार को गिरा दिया. इसके तुरंत बाद पार्टी के सांसद विद्रोही गुट में शामिल हो गए. शिंदे के लिए, विधायिका या संसद में विभाजन पार्टी को नियंत्रित करने के लिए पर्याप्त नहीं था. कानून के अनुसार, विभाजन पार्टी की स्थापना के भीतर होना चाहिए. शिंदे गुट को अब पदाधिकारियों का समर्थन मिल रहा है.
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शरद पवार ने बगावत से पहले उठाया कदम!
महाराष्ट्र के नए मुख्यमंत्री को पार्टी के फ्रंटल संगठनों से मिल रहे समर्थन का मतलब यह होगा कि पार्टी का एक बड़ा तबका उनके खेमे में शामिल हो रहा है. एनसीपी, जिस पर विद्रोह का आरोप लगाया जा रहा है, लगता है उसने शिवसेना में बगावत से एक संकेत लिया है. पार्टी को मजबूत करने के लिए नियमित प्रक्रिया के रूप में पार्टी के विभागों और प्रकोष्ठों को भंग करना औपचारिक रूप से उचित ठहराया जा रहा है. हालांकि सूत्रों का कहना है कि एनसीपी प्रमुख ने इसी तरह के तख्तापलट से पहले ही यह कदम उठाया है. यदि पवार के बिना पार्टी को विभाजित करने का प्रयास किया जाता है, जैसे ठाकरे के बिना शिवसेना की वर्तमान स्थिति, तो संगठनात्मक संरचना पवार के साथ मजबूत होनी चाहिए.
2019 में हुआ था तख्तापलट का प्रयास!
2019 में जब महाराष्ट्र में नाटकीय क्रम में बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस ने अजीत पवार के साथ मिलकर एनसीपी के अंदर तख्तापलट करने का प्रयास किया था. हालांकि शरद पवार ने इसे खारिज कर दिया था, लेकिन वह दोबारा ऐसी किसी घटना से बचना चाहेंगे.