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मोदी जी तुकाराम के कार्यक्रम में आए और एकनाथ को साथ ले गए: छगन भुजबल

एनसीपी नेता और MVA सरकार में मंत्री छगन भुजबल का कहना है कि उन्हें विधानसभा भंग करने की जानकारी नहीं है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पुणे में पीएम ने संत तुकाराम शिला मंदिर का लोकार्पण करने के लिए थे. यहां से पीएम मोदी एकनाथ शिंदे को साथ ले गए.

Chhagan Bhujbal (ANI) Chhagan Bhujbal (ANI)
मुस्तफा शेख
  • मुंबई ,
  • 22 जून 2022,
  • अपडेटेड 2:30 PM IST
  • विधानसभा भंग करने की मांग उठी
  • सीएम उद्धव के इस्तीफे की चर्चा तेज

महाराष्ट्र में महा विकास अघाड़ी (MVA) सरकार पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं. शिवसेना नेता और उद्धव सरकार में मंत्री एकनाथ शिंदे के बगावती तेवर के चलते सूबे में ऐसा सियासी संकट पैदा हुआ है. विधानसभा भंग करने की अटकलें तेज हो गई हैं. कहा जा रहा है कि मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे इस्तीफा भी दे सकते हैं. 

इधर, एनसीपी नेता और MVA सरकार में मंत्री छगन भुजबल का कहना है कि उन्हें विधानसभा भंग करने की जानकारी नहीं है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पुणे में पीएम ने संत तुकाराम शिला मंदिर का लोकार्पण करने के लिए थे. यहां से पीएम मोदी एकनाथ शिंदे को साथ ले गए. बता दें कि इस दौरे के दौरान प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे अरसे बाद एक मंच पर साथ दिखाई दिए थे. 

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इससे पहले छगन भुजबल ने कहा था कि महाराष्ट्र की सियासत में एक तरह का तूफान आ गया है. यदि कोई तूफान आता है तो वह शांत भी हो जाएगा और घट भी जाएगा. आने वाले दिनों में स्थिति फिर से सामान्य हो जाएगी. हम स्थिति के लिए तैयार हैं. 

उद्धव से ज्यादा शिंदे के साथ MLA

बता दें कि 2019 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में शिवसेना के 56 विधायक जीतकर आए थे, जिनमें से एक विधायक का निधन हो चुका है. इसके चलते 55 विधायक फिलहाल शिवसेना के हैं. एकनाथ शिंदे का दावा है कि उनके साथ 40 विधायक हैं. ऐसे में ये सभी 40 विधायक अगर शिवसेना के हैं तो फिर उद्वव ठाकरे लिए संकट काफी बड़ा है. इस तरह से एकनाथ शिंदे अगर कोई कदम उठाते हैं तो दलबदल कानून के तहत कार्रवाई भी नहीं होगी. 

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दरअसल, दलबदल कानून कहता है कि अगर किसी पार्टी के कुल विधायकों में से दो-तिहाई के कम विधायक बगावत करते हैं तो उन्हें अयोग्य करार दिया जा सकता है. इस लिहाज से शिवसेना के पास इस समय विधानसभा में 55 विधायक हैं. ऐसे में दलबदल कानून से बचने के लिए बागी गुट को कम के कम 37 विधायकों (55 में से दो-तिहाई) की जरूरत होगी जबकि शिंदे अपने साथ 40 विधायकों का दावा कर रहे हैं. ऐसे में उद्धव ठाकरे के साथ 15 विधायक ही बच रहे हैं. इस तरह उद्धव से ज्यादा शिंदे के साथ शिवसेना के विधायक खड़े नजर आ रहे हैं. 

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