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'मैंने गृह मंत्रालय मांगा था, लेकिन नहीं मिला', NCP की बैठक में बोले पूर्व डिप्टी CM अजीत पवार

महाराष्ट्र के पूर्व डिप्टी सीएम और एनसीपी नेता अजीत पवार ने कहा कि वो गृह मंत्रालय चाहते थे. पुणे में पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि मैं दोनों बार गृह मंत्रालय चाहता था. पहली बार भी और जब अनिल देशमुख ने पद छोड़ा, उसके बाद भी मंत्रालय चाहते थे, लेकिन पार्टी के सीनियर नेताओं को लगा कि अगर मैं गृह मंत्री बन गया तो उनकी नहीं सुनूंगा.

एनसीपी नेता अजीत पवार (फाइल फोटो) एनसीपी नेता अजीत पवार (फाइल फोटो)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 24 सितंबर 2022,
  • अपडेटेड 8:12 AM IST

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के नेता अजीत पवार ने शुक्रवार को हल्के-फुल्के अंदाज में कहा कि वह दो बार महाराष्ट्र के डिप्टी CM बने और दोनों मौकों पर गृह मंत्रालय चाहते थे, लेकिन उनकी पार्टी के 'सीनियरों' ने सोचा कि अगर उन्हें प्रमुख मंत्रालय मिल जाता है तो वो उनकी नहीं सुनेंगे. 

विधानसभा में विपक्ष के नेता अजीत पवार ने एनसीपी की पुणे इकाई की बैठक के दौरान यह टिप्पणी की. उसके बाद एक पदाधिकारी ने कहा कि जब पार्टी भविष्य में सरकार का हिस्सा बनेगी तो उन्हें गृह मंत्री बनना चाहिए. पूर्व डिप्टी सीएम ने मजाक में कहा, "पिछली बार, जब मुझे उपमुख्यमंत्री बनाया गया था, उस समय 'मैंने कहा था कि मुझे गृह मंत्री बना दो, लेकिन वरिष्ठों ने सोचा कि अगर गृह मंत्री का पद मुझे दिया गया, तो मैं उनकी बात नहीं सुनूंगा."

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गृह मंत्रालय चाहते थे अजीत पवार

पवार ने कहा कि पिछले साल अप्रैल में अनिल देशमुख के गृह मंत्री के पद से इस्तीफा देने के बाद, उन्होंने एक बार फिर पार्टी से उन्हें गृह मंत्रालय देने के लिए कहा, लेकिन उन्हें विभाग नहीं मिला. बाद में पत्रकारों से बात करते हुए एनसीपी नेता ने कहा कि पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए गृह मंत्रालय पर हल्के नोट में नजर रखने के बारे में टिप्पणी की थी. पवार ने कहा कि हॉल में पार्टी कार्यकर्ताओं को उत्साहित करने के लिए जो सुस्त और थके हुए दिख रहे थे, मैंने मजाक में यह टिप्पणी की.

PFI पर कार्रवाई पर क्या बोले पवार?

इसके साथ ही राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) के छापे और देशभर में उसके 100 से अधिक नेता-कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी पर अजीत पवार ने कहा कि 12 से 15 राज्यों में गिरफ्तारी की गई और सबसे ज्यादा केरल-महाराष्ट्र में हुई. ऐसा लगता है कि गंभीर बातों को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार ने पीएफआई पर छापेमारी का फैसला लिया. 
 

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