
महाराष्ट्र में अगर मंत्रिमंडल का विस्तार होता है तो शिंदे सरकार गिर जाएगी. इसलिए प्रदेश में कैबिनेट का विस्तार नहीं किया जा रहा है. यह दावा राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) विधायक अमोल मिटकरी ने किया है. उन्होंने आरोप लगाया है कि विधानसभा सत्र के रन-अप में खातों को अस्थायी रूप से सौंपने का स्पष्ट अर्थ है कि मंत्रिमंडल का विस्तार नहीं होगा.
मिटकरी ने सरकार को चुनौती देते हुए कहा है कि सरकार में दम है तो कम से कम जनवरी महीने में मंत्रिमंडल का विस्तार कर दे. उन्होंने आगे कहा कि ऐसा नहीं होगा, क्योंकि देवेंद्र फडणवीस जानते हैं कि कैबिनेट का विस्तार होगा तो झगड़े होंगे, इसलिए कैबिनेट का विस्तार नहीं होगा. मिटकरी ने यह भी कहा कि जब अदालत की बेंच फैसला करेगी तो इस सरकार में शामिल विधायकों की सदस्यता रद्द कर दी जाएगी. तब सरकार अपने आप गिर जाएगी.
मिटकरी ने आगे कहा कि अगर लव जिहाद कानून पास हो जाता है तो स्वागत योग्य कदम होगा. लेकिन अगर उस कानून को पास करते समय मुस्लिमों को निशाना बनाने की बीजेपी की साजिश है तो इसे नाकाम कर देना चाहिए. लव जिहाद युवाओं के लिए सवाल नहीं है, लेकिन रोजगार मुहैया कराने का सवाल युवाओं के लिए है. आप करोड़ों नौकरियां लेकर गुजरात गए और गुजरात जीत गए और बहुत खुश हैं कि हमने दुनिया जीत ली, लेकिन इसका परिणाम 2024 में आपको भुगतना पड़ेगा.
बता दें कि महाराष्ट्र में जल्द ही लव जिहाद के खिलाफ कानून बनाया जा सकता है. सूत्रों की मानें तो राज्य में लव जिहाद के मामले लगातार सामने आ रहे हैं. इसके चलते बीजेपी विधायक काफी समय से लव जिहाद कानून की मांग कर रहे हैं. जिसको लेकर महाराष्ट्र की एकनाथ शींदे सरकार जल्द राज्य में अधिनियम पेश कर सकती है. लव जिहाद कानून पर महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस कह चुके हैं कि वे कई राज्यों में मौजूद इस तरह के कानूनों को देख रहे हैं. उसी आधार पर इसे तय किया जाएगा.
बता दें कि वर्तमान में उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश समेत कई राज्यों में लव जिहाद के खिलाफ कानून हैं. यूपी में मौजूद कानून में शादी के बाद जबरन धर्म परिवर्तन, किसी से भी झूठा विवाह करवाना, ऐसी शादी को बढ़ावा देना, कानून के तहत अपराध है. दोषी पाए जाने पर आरोपी को 3 से 5 साल की जेल और दो लाख रुपए तक का जुर्माना हो सकता है.
इसके साथ ही कानून के मुताबिक यदि पीड़िता की आयु 18 वर्ष से कम है या वह अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति से संबंधित है, तो चार से सात साल तक कारावास और कम से कम तीन लाख रुपये के जुर्माने का प्रावधान है. अगर कोई संगठन इस अपराध में शामिल होता है तो 3 से 10 साल तक की सजा का प्रावधान है.
(रिपोर्ट: वरुण मोरे)