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पुणे में गुलेन बैरी सिंड्रोम के अब 166 मामले, जांच में खुलासा- प्रभावित इलाकों के सप्लाई वॉटर में क्लोरीन की कमी

नांदेड और आसपास के इलाकों में GBS के प्रकोप की जांच के लिए गठित की गई रैपिड रिस्पांस टीम (RRT) के अधिकारियों ने बताया कि नांदेड में 77 GBS मरीज हैं. इनमें से 62 मरीजों के घरों का दौरा किया गया और पेयजल के सैंपल लिए गए. घर-घर किए गए सर्वेक्षण में यह पाया गया कि पेयजल में क्लोरीन की कमी थी.

पुणे के नांदेड़ में पानी की सप्लाई में क्लोरीन की कमी. पुणे के नांदेड़ में पानी की सप्लाई में क्लोरीन की कमी.
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 05 फरवरी 2025,
  • अपडेटेड 3:28 PM IST

महाराष्ट्र के पुणे में गुलेन बैरी सिंड्रोम (GBS) का कहर देखा जा रहा है. मंगलवार को भी तीन नए मामले सामने आने के बाद अब शहर में कुल मरीजों की संख्या बढ़कर 166 हो गई है. इसी बीच, पुणे शहर के नांदेड गांव के आसपास कराए गए एक  जल गुणवत्ता सर्वेक्षण में सामने आया है कि इस सिंड्रोम से प्रभावित 26 मरीजों के घरों में पीने के पानी में क्लोरीन की कमी थी. बता दें कि नांदेड़ गांव में सबसे ज्यादा मरीज सामने आए हैं.

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जांच में क्या सामने आया

नांदेड और आसपास के इलाकों में GBS के प्रकोप की जांच के लिए गठित की गई रैपिड रिस्पांस टीम (RRT) के अधिकारियों ने बताया कि नांदेड में 77 GBS मरीज हैं. इनमें से 62 मरीजों के घरों का दौरा किया गया और पेयजल के सैंपल लिए गए. घर-घर किए गए सर्वेक्षण में यह पाया गया कि पेयजल में क्लोरीन की कमी थी.

विशेषज्ञों ने अब पुणे नगर निगम (PMC) के जल आपूर्ति विभाग से तुरंत कार्रवाई करने की अपील की है ताकि घरेलू जल आपूर्ति में 0.2 पीपीएम (पार्ट्स पर मिलियन) क्लोरीन का स्तर बनाए रखा जा सके.

पिछले हफ्ते, महाराष्ट्र के स्वास्थ्य मंत्री प्रकाश आंबेटकर ने कहा था कि पुणे में संदिग्ध GBS मामलों में से 80 प्रतिशत मामले नांदेड के आसपास के इलाकों से आए हैं. उन्होंने बताया था कि ये मामले पानी की गंदगी से जुड़े हो सकते हैं.

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यह भी पढ़ें: महाराष्ट्र में गिलेन-बैरे सिंड्रोम से मौतों की संख्या बढ़कर हुई पांच, पुणे में सबसे ज्यादा मामला

क्या है गुलेन बैरी सिंड्रोम 

यह एक ऑटोइम्यून न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर है. इस बीमारी में हमारा इम्यून सिस्टम अपनी ही नर्व्स पर अटैक करता है. इसके कारण लोगों को उठने-बैठने और चलने तक में समस्या होती है. यहां तक की लोगों का सांस लेना भी मुश्किल हो जाता है. लकवा की समस्या भी इस बीमारी का लक्षण है.

दरअसल, हमारा नर्वस सिस्टम दो हिस्सों में होता है. पहला हिस्सा सेंट्रल नर्वस सिस्टम कहलाता है, जिसमें रीढ़ की हड्डी और ब्रेन वाला पार्ट होता है, जबकि दूसरे हिस्से में पेरिफेरल नर्वस सिस्टम आता है, जिसमें पूरे शरीर की अन्य सभी नर्व्स होती हैं. गुलेन बैरी सिंड्रोम में इम्यून सिस्टम नर्वस सिस्टम के दूसरे हिस्से यानी पेरिफेरल नर्वस सिस्टम पर ही हमला करता है.

क्या है इसका लक्षण 

गुलेन बैरी सिंड्रोम की शुरुआत आमतौर पर हाथों और पैरों में झुनझुनी और कमजोरी से होती है. ये लक्षण तेजी से फैल सकते हैं और लकवे में बदल सकते हैं. इसके शुरुआती लक्षण ये हो सकते हैं...

-हाथों, पैरों, टखनों या कलाई में झुनझुनी. 
-पैरों में कमजोरी. 
-चलने में कमजोरी, सीढ़ियां चढ़ने में दिक्कत.
- बोलने, चबाने या खाना निगलने में दिक्कत. 
- आंखों की डबल विजन या आंखों को हिलाने में दिक्कत. 
- तेज दर्द, खासतौर पर मांसपेशियों में तेज दर्द. 
- पेशाब और मल त्याग में समस्या. 
- सांस लेने में कठिनाई.

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