
बॉलिवुड की कई फिल्मों में मुंबई की सड़कों लाल रंग वाली डबल डेकर बसों को दौड़ते देखा जा सकता है. पुराने मॉडल की इन बसों की बृहन्मुंबई इलेक्ट्रिक सप्लाई एंड अंडरटेकिंग (BEST) डिपार्टमेंट की ओर से नीलामी (ऑक्शन) किया जा रहा है.
अधिकारियों का कहना है कि इन बसों की सड़कों पर दौड़ने की 15 साल की तय मियाद खत्म हो गई है, इसलिए अब इनका ऑक्शन किया जा रहा है. नए मॉडल की नई डबल डेकर बसों के 2021 के आखिर तक बेस्ट के बेड़े से जुड़ने की उम्मीद है.
डबल डेकर बसों के लिए लोगों में एक अलग ही लगाव रहा. ये मुंबई आने वाले पर्यटकों के लिए खास आकर्षण का केंद्र रही हैं. हर कोई मुंबई आने पर एक बार जरूर इन बसों की सवारी का आनंद लेना चाहता है. लेकिन मुंबई में अभी जो 120 डबल डेकर बसें दौड़ रही हैं, उनमें से 60 की सड़क पर दौड़ने की मियाद खत्म हो चुकी है.
बाकी 60 बसों की मियाद भी 2021 के आखिर तक पूरी हो जाएगी. बेस्ट अधिकारियों के मुताबिक उससे पहले ही नए मॉडल की डबल डेकर बसें मुंबई में लाने की कोशिश की जाएगी.
देखें: आजतक LIVE TV
पत्रकार-लेखक राजेंद्र बी अकलेकर बताते हैं, 'डबल डेकर्स और मुंबई की स्पेशल बॉन्डिंग रही है. पहली डबल डेकर ट्रेन को बॉम्बे, बड़ौदा एंड सेंट्रल इंडिया रेलवे (जिसे अब वेस्टर्न रेलवे कहा जाता है) ने शुरू किया था. इसके बाद डबल डेकर ट्राम्स की बारी आई जिन्हें 17 सितंबर 2020 को मुंबई में म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन ने चलने की इजाजत दी. इसके 17 साल बाद 1937 में मुंबई में डबल डेकर मोटर बस लॉन्च की गई. ये बसें लंदन की लाल बसों की तर्ज पर थीं. देखते ही देखते ये डबल डेकर बसें लोगों में बहुत लोकप्रिय हो गईं.'
मौजूदा सदी में मुंबई की सड़कों से धीरे धीरे डबल डेकर बसों ने कम होना शुरू कर दिया. अप्रैल 2006 में महानगर में इन बसों की संख्या 227 थी जो अप्रैल 2008 में घटकर 127 और जुलाई 2009 में 134 ही रह गई. आज की तारीख में सिर्फ 122 डबल डेकर बसें ही मुंबई की सड़कों पर दौड़ रही हैं. इनमें से 60 का अब स्क्रैप में ऑक्शन किया जा रहा है.
हालांकि 100 नई डबल डेकर बसें खरीदने के लिए टेंडर प्रक्रिया तय की जा चुकी है. बेस्ट अधिकारियों के मुताबिक नई बसों में आधुनिक तकनीक के साथ नोस्टेलजिया से जुड़ी कुछ चीजें, जैसे कि भोपूं (हाथ से दबाया जाने वाला हॉर्न). ऑटोमैटिक ट्रांसमिशन वाली ये बसें भारत स्टैंडर्ड VI क्लास होंगी और इनमें पावर ऑपरेटेड दरवाजे होंगे.
ऑक्शन को बेस्ट अधिकारियों ने रूटीन प्रक्रिया बताया. बॉलीवुड की फिल्मों में इन बसों को मुकद्दर का सिकंदर, शान, गजनी, अर्द्धसत्य, गमन जैसी फिल्मों में देखा जा चुका है.
अधिकारियों का कहना है कि पुरानी बसें जा रही हैं लेकिन साथ ही नई भी आ रही हैं. हालांकि ऑक्शन की प्रक्रिया निजी खरीदारों के लिए काफी मुश्किल है. अधिकतर बसें स्क्रैप (कबाड़) के लिए ऑक्शन की जाएंगी.