
भारतीय नौसेना ने INS खुखरी और उसके चालक दल के बलिदान के लिए रविवार को समुद्र के अंदर पुष्पांजलि अर्पित कर अनोखी श्रद्धांजलि अर्पित की. 1971 वो साल था जो हर एक भारतीय के जेहन में अभी भी ताजा है. 1971 की जंग में भारतीय सेनाओं ने देश की रक्षा के लिए सब कुछ दांव पर लगा दिया था. देश की रक्षा में अनगिनत सैनिकों ने बलिदान दिया था. इस जंग में भारतीय नौसेना ने अदम्य साहस और शौर्य का परिचय दिया था.
पानी में डूब गया था आईएनएस खुखरी
नौसेना के जहाजों ने दुश्मन के हाल बेहाल कर दिए थे. हालांकि, इस जंग के दौरान भारतीय नौसेना का आईएनएस खुखरी 18 अधिकारियों समेत 176 नाविकों के साथ डूब गया था. इसमें कमांडिंग ऑफिसर कैप्टन महेंद्र नाथ भी शामिल थे.
हमले की ताक में घूम रही थी PAK पनडुब्बी
बता दें कि 3 दिसंबर 1971 की रात को भारतीय नौसेना का जहाज मुंबई छोड़ रहा था लेकिन यह अंदाजा नहीं था कि पाकिस्तान की पनडुब्बी पीएनएस हंगोर हमला करने के लिए इंतजार कर रही है. पाकिस्तानी पनडुब्बी हमले की ताक में घूम रही थी. उसी बीच उसके एयरकंडीशनिंग में कुछ दिक्कत हुई और उन्हें समुद्र की सतह पर आना पड़ा.
बनाया गया 'ऑपरेशन ट्राइडेंट' का प्लान
उसी दौरान भारतीय नौसेना को अंदाजा हुआ कि पाकिस्तानी पनडुब्बी दीव के तट के इर्द गिर्द चक्कर लगा रही है. उस समय नेवी चीफ एडमिरल एसएम नंदा के नेतृत्व में 'ऑपरेशन ट्राइडेंट' का प्लान बनाया गया था. पाकिस्तानी पनडुब्बी को नष्ट करने का जिम्मा एंटी सबमरीन फ्रिगेट आईएनएस खुखरी और कृपाण को सौंपा गया.
कराची नौसैनिक अड्डे पर हमला
इस टास्क की जिम्मेदारी 25वीं स्क्वॉर्डन कमांडर बबरू भान यादव को दी गई थी. 'ऑपरेशन ट्राइडेंट' के तहत 4 दिसंबर, 1971 को भारतीय नौसेना ने कराची नौसैनिक अड्डे पर भी हमला बोल दिया था. एम्यूनिशन सप्लाई शिप समेत कई जहाज नेस्तनाबूद कर दिए गए थे. इस दौरान पाकिस्तान के ऑयल टैंकर भी तबाह हो गए थे.
कई पाकिस्तानी जहाजों को डूबो दिया
भारतीय नौसेना ने युद्ध पोषण के प्रयासों और महत्वपूर्ण सामानों को ले जाने वाले कई पाकिस्तानी जहाजों को डूबो दिया. आईएनएस विक्रांत के डेक से लड़ाकू विमानों ने चटगांव और खुलना में दुश्मन के काराची पोर्ट और हवाई क्षेत्रों पर हमला किया. पाकिस्तान सेना की जहाजों, रक्षा सुविधाओं और प्रतिष्ठानों को नष्ट कर दिया था.
कई दिनों तक कराची पोर्ट पर देखी गईं लपटें
इन मिसाइल हमलों और विक्रांत के हवाई हमलों के कारण कराची पोर्ट पर तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) में पाकिस्तानी सेना की हार हुई थी. कई दिनों तक कराची पोर्ट पर तेल के भंडार से आग की लपटें उठती रहीं, जिन्हें लगभग 60 किलोमीटर की दूरी से भी देखा जा सकता था.