
ओशो इंटरनेशनल मेडिटेशन रिसॉर्ट अचानक सुर्खियों में आने लगा है. यहां की जमीन बेचने का मामला गरमाता जा रहा है, तो वहीं ओशो के कुछ अनुयायी और पूर्व ट्रस्टी ने यहां अन्य अनियमितताओं का आरोप लगाते हुए जांच की मांग की है. अब ये पूरा मामला मुंबई चैरिटेबल कमिश्नर के यहां पहुंच गया है. जहां इस मामले में 15 मार्च को सुनवाई होगी.
ओशो के तीन अनुयायी और एक पूर्व ट्रस्टी द्वारा ओशो कम्यून की तीन एकड़ जमीन बेचने के मामले में विवाद गहराता जा रहा है. इसमें दो प्लॉट की कीमत 107 करोड़ रुपये लगाई गई है. ओशो के अनुयायी योगेश ठक्कर ने आरोप लगाया था कि मौजूदा ट्रस्टी ने मुंबई धर्मादाय आयुक्त को एप्लिकेशन दी है कि कोरोना काल में ओशो कम्यून में साढ़े तीन करोड़ का खर्चा हुआ है. इसके साथ ही अंतराष्ट्रीय सफर पर पाबंदी होने के कारण यहां विदेशों से आने वाले लाखों अनुयायी भी नहीं आ सकते हैं. इसके लिए आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए एकमात्र उपाय जमीन बेचना ही है.
योगेश ठक्कर और तीन अन्य अनुयायियों का कहना है कि तीन करोड़ रुपये बहुत बड़ी रकम नहीं है. अगर चाहें तो दुनिया भर में ओशो के अनुयायी ये रकम महज दान देकर एकत्र कर सकते हैं. वहीं ओशो कम्यून के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा था कि जमीन बेचना का निर्णय चैरिटी ट्रस्ट के सभी नियमों का पालन करते हुए किया गया है.
अब ये मामला मुंबई चैरिटेबल कमिश्नर के यहां पहुंच गया है. इस मामले में 15 मार्च को सुनवाई होगी. इसके साथ ही ओशो के कुछ शिष्यों ने यहां अन्य अनियमिताओं का आरोप लगाते हुए अधिकारियों से जांच की मांग भी की है. वहीं इस मामले में राजीव बजाज ने किसी भी प्रकार की प्रतिक्रिया देने से इंकार कर दिया है.