
भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में यलगार परिषद की भूमिका की जांच कर रही पुणे पुलिस को आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल करने के लिए पुणे शेसन कोर्ट ने 90 दिन यानी 3 महीने का समय दे दिया है.
दरअसल मामले की जांच कर रही पुण पुलिस ने भीमा कोरेगांव हिंसा के पांच आरोपी-रोन विल्सन, सुधीर धावले, सुरेंद्र गाडलिंग, शोमा सेन और महेश राउत के खिलाफ चार्जशीट दाखिल करने के लिए 90 दिन का समय मांगा था, जिसे अदालत ने मंजूरी दे दी है. मामले मे आरोपी शोमा सेन और सुरेंद्र गाडलिंग ने जमानत के लिए याचिका दाखिल की है जिस पर पुणे कोर्ट 6 सितंबर को सुनवाई करेगी.
उल्लेखनीय है कि इससे पहले पिछले हफ्ते मंगलवार को देश के कई हिस्सों में छापेमारी कर पुलिस ने 5 वामपंथी विचारकों- सुधा भारद्वाज, वरवरा राव, गौतम नवलखा, अरुण फेरेरा और वेरनॉन गोंजाल्विस को गिरफ्तार किया था. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर सभी की गिरफ्तारी पर रोक लगाते हुए 6 सितंबर तक हाउस अरेस्ट रखा गया है. प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने इतिहासकार रोमिला थापर और चार अन्य लोगों की याचिका पर सुनवाई करते हुए गिरफ्तार समाजिक कार्यकर्ताओं को बड़ी राहत देते हुए उन्हें नजरबंद रखने का आदेश दिया था.
इससे पहले महाराष्ट्र पुलिस ने शुक्रवार को आरोपियों के पास से मिले कुछ पत्र सार्वजनिक करते हुए कहा कि इन पत्रों से जाहिर होता है कि आरोपी माओवादियों के साथ संपर्क में थे और चुनी हुई सरकार को अस्थिर करने की कोशिश में जुटे थें. महाराष्ट्र पुलिस के एडीजी परमबीर सिंह ने कहा था कि इन लोगों के माओवादियों से संबंध होने को लेकर पुलिस पूरी तरह आश्वस्त है और इस सिलसिले में विभिन्न शहरों में पुणे पुलिस कार्रवाई प्रक्रिया के तहत की गई थी.