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'महिला वकील कोर्ट में बाल न संवारें', पुणे कोर्ट में नोटिस पर बवाल, लेना पड़ा वापस

पुणे कोर्ट के रजिस्ट्रार ने एक नोटिस जारी किया था जिसमें महिला वकीलों को लेकर ये कहा गया था कि वे कोर्ट में बाल न संवारें. पुणे की कोर्ट की ओर से जारी नोटिस पर बवाल हुआ तो इसे वापस लेना पड़ा.

पुणे की कोर्ट ने बवाल के बाद वापस लिया नोटिस (प्रतीकात्मक तस्वीर) पुणे की कोर्ट ने बवाल के बाद वापस लिया नोटिस (प्रतीकात्मक तस्वीर)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 25 अक्टूबर 2022,
  • अपडेटेड 2:57 PM IST

महाराष्ट्र के पुणे की कोर्ट का एक आदेश चर्चा में है. पुणे की जिला अदालत ने महिला वकीलों को लेकर एक नोटिस जारी किया था जिस पर विवाद हो गया. नोटिस पर बवाल हुआ तो पुणे की जिला कोर्ट ने विवादित नोटिस वापस ले ली है. बताया जाता है कि संबंधित नोटिस में महिला वकीलों के लिए ये कहा गया था कि वे कोर्ट में अपने बाल न संवारें.

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कहा जा रहा है कि ये नोटिस पुणे की कोर्ट ने 20 अक्टूबर को जारी किया था. वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह ने कथित नोटिस की तस्वीर ट्वीट की थी. इंदिरा जयसिंह ने नोटिस ट्वीट करते हुए लिखा था कि देखो, महिला वकीलों की वजह से किसका ध्यान भटक रहा है और क्यों. इंदिरा जयसिंह ने जो नोटिस ट्वीट की थी उसमें महिलाओं को कोर्ट में बाल संवारने से परहेज करने के लिए कहा गया था.

पुणे कोर्ट की इस नोटिस में लिखा था कि महिला वकील कोर्ट में अपने बाल संवारती हैं जिसकी वजह से न्यायालय की कार्यवाही बाधित होती है. 20 अक्टूबर को पुणे की जिला कोर्ट के रजिस्ट्रार की ओर से जारी नोटिस को लेकर पुणे बार एसोसिएशन की ओर से कहा गया है कि उन्हें अब तक इस तरह का कोई नोटिस नहीं मिला है.

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इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, पुणे बार एसोसिएशन के अध्यक्ष एडवोकेट पांडुरंग थोर्वे ने इस तरह का कोई नोटिस मिलने से इनकार करते हुए कहा है कि उनके कार्यालय को ऐसा कोई नोटिस नहीं मिला है. उन्होंने ये भी कहा कि कोर्ट की ओर से वकीलों के लिए जारी किया जाने वाला हर नोटिस पुणे बार एसोसिएशन को भी भेजा जाता है.

पुणे बार एसोसिएशन के अध्यक्ष ने नोटिस मिलने से इनकार किया है. वहीं, इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के ही मुताबिक सूत्रों ने आपत्ति जताए जाने के बाद शनिवार को नोटिस वापस ले लिए जाने की जानकारी दी है. पुणे बार एसोसिएशन के अध्यक्ष ने कहा कि शनिवार को दिवाली की छुट्टियां शुरू होने से पहले शुक्रवार को कोर्ट के कामकाज का अंतिम दिन था.

उन्होंने साथ ही ये भी कहा कि मर्यादा बनाए रखने के लिए कोर्ट मानदंड सेट करने का काम करता है. पुणे बार एसोसिएशन के अध्यक्ष ने आगे कहा कि जब तक हम नोटिस नहीं देख लेते, तब तक इसे लेकर किसी तरह की कोई टिप्पणी करना उचित नहीं है.

 

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