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पुणे के 7 तहसील सूखे की चपेट में, 100 गांवों में पीने का पानी नहीं

गांव के सरपंच गणेश मिड्गुले ने बताया कि इस बार पानी की समस्या 1972 से भी बड़ी हो सकती है. सरपंच के मुताबिक बारिश नहीं होने से फसलें खराब हो गई हैं. लोग कमाई के लिए रोज सुबह 30 से 40 किलोमीटर तक सफर करते हैं.

प्रतीकात्मक फोटो प्रतीकात्मक फोटो
पंकज खेळकर
  • पुणे,
  • 19 दिसंबर 2018,
  • अपडेटेड 12:44 AM IST

महाराष्ट्र के पुणे जिले के 7 तालुके भयंकर सूखे की चपेट में हैं. स्थिति इतनी गंभीर है कि 100 गांव में पानी नहीं है. जमीन से 300 फीट नीचे तक पानी का नामोनिशान नहीं है. जुलाई महीने से ही इन इलाकों में टैंकर से पानी पहुंचाया जा रहा है.

समस्या इतनी गंभीर है कि मवेशियों को पीने के लिए लोगों के स्नान करने के बाद निकला हुआ गंदा पानी देना पड़ रहा है.

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महाराष्ट्र में हर वर्ष विदर्भ और मराठवाड़ा के इलाके सूखे से ग्रस्त होते हैं, लेकिन इस वर्ष सूखे का असर पश्चिम महाराष्ट्र तक पहुंच गया है. पुणे जिले के सात तहसील ऐसे हैं जहां 100 से ज्यादा गांव सूखे की चपेट में आए हैं.

पिछले पांच सालों में ऐसी स्थिति पहली बार आई है. गांव के सरपंच गणेश मिड्गुले ने बताया कि इस बार पानी की समस्या 1972 से भी बड़ी हो सकती है. सरपंच के मुताबिक बारिश नहीं होने से फसलें खराब हो गई हैं. लोग कमाई के लिए रोज सुबह 30 से 40 किलोमीटर तक सफर करते हैं.

पुणे जिले के डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट नवल किशोर राम ने कहा कि कम बारिश के कारण इलाके की 33 से लेकर 50 फीसदी फसल बर्बाद हो गई है. प्रशासन ने बताया कि पहली बार ऐसा हुआ है कि इस जिले के सौ गांवों में पीने का पानी इस साल नहीं है. पानी के लिए सरकार ने 10 टैंकर्स की व्यवस्था की है. अगले साल गर्मी के मौसम में पानी की किल्लत को देखते हुए 150 वाटर टैंकर का इंतजाम किया जा रहा है. प्रशासन ने जानवरों के लिए जनवरी महीने तक चारे का भी इंतजाम किया है.

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गांव के ही एक सीनियर सिटीजन ने बताया कि हरेक परिवार को दो दिन में एक बैरल पानी मिलता है. उनकी समस्या ये है कि उनके घर में 40 मवेशी हैं. इन बेजुबानों को जिंदा रखने के लिए हजारों रुपये खर्च कर टैंकर से पानी लाकर पिलाना पड़ता है.

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