
पुणे पुलिस ने गंभीर अपराधों में संलिप्त आरोपियों को जमानत दिलाने वाले एक बड़े रैकेट का खुलासा किया है. इस रैकेट में फर्जी जमानतदार तैयार कर अदालत में जमानत प्रक्रिया को गुमराह किया जा रहा था। वानवडी पुलिस स्टेशन की जांच टीम ने अब तक 11 आरोपियों को गिरफ्तार किया है, जिनमें कुछ वकील भी शामिल हैं, जो इस पूरे फर्जीवाड़े में मुख्य भूमिका निभा रहे थे।
कैसे चलता था यह फर्जीवाड़ा?
दरअसल, अपराधियों को जमानत दिलाने के लिए कुछ वकीलों की मिलीभगत से फर्जी जमानतदार तैयार किए जाते थे. ये जमानतदार आरोपियों के रिश्तेदारों के साथ आर्थिक लेन-देन कर नकली आधार कार्ड, राशन कार्ड और 7/12 दस्तावेज तैयार करते थे. इन जाली दस्तावेजों को अदालत में पेश कर जमानत हासिल की जाती थी. पुलिस जांच में यह खुलासा हुआ कि इस गिरोह ने कई मामलों में फर्जी प्रमाणपत्रों के जरिए अपराधियों को राहत दिलाई थी.
ये भी पढ़ें- GB सिंड्रोम से पुणे में चौथी मौत, अब तक 140 केस, लिए जा रहे पानी के सैंपल
जनवरी में पुलिस ने बिछाया जाल
इस गिरोह का पर्दाफाश करने के लिए पुलिस ने जनवरी में लष्कर कोर्ट परिसर में जाल बिछाया. पुलिस को इस दौरान अहम सुराग मिले और पूरे रैकेट का भंडाफोड़ हो गया. अब तक की जांच में पुलिस ने आरोपियों के पास से 95 संदिग्ध राशन कार्ड, 11 संदिग्ध आधार कार्ड, अन्य फर्जी दस्तावेज और मोबाइल फोन सहित कुल 89,020 रुपये का सामान जब्त किया है.
वकीलों की मिलीभगत से चल रहा था रैकेट
डीसीपी राजकुमार शिंदे ने बताया कि इस फर्जीवाड़े में कुछ वकील भी शामिल थे, जो फर्जी जमानतदारों के हस्ताक्षर लेकर उन्हें अदालत में पेश करते और अपराधियों को जमानत दिलाते थे. इस मामले में मुंबई और ठाणे से भी कुछ फर्जी जमानतदारों को गिरफ्तार किया गया है. साथ ही पुणे जिले के दो वकीलों को हिरासत में लिया गया है, जिनकी भूमिका इस जालसाजी में काफी अहम मानी जा रही है.
गंभीर मामलों के अपराधी उठा रहे थे फायदा
आमतौर पर गंभीर अपराधों में लिप्त आरोपी न्यायिक हिरासत में होते हैं और जमानत पाने के लिए उन्हें किसी जमानतदार की जरूरत होती है. यह जमानतदार आमतौर पर आरोपी के परिवार के सदस्य या परिचित होते हैं. लेकिन इस रैकेट में आरोपियों को फर्जी दस्तावेजों के जरिए झूठे जमानतदार उपलब्ध कराए जा रहे थे. इस तरह, न्यायिक प्रक्रिया को धोखा देकर अपराधियों को रिहा किया जा रहा था.
पुलिस कर रही है विस्तृत जांच
पुणे पुलिस अब इस पूरे गिरोह के नेटवर्क की गहराई से जांच कर रही है. यह पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि इस रैकेट में और कौन-कौन शामिल है और कितने मामलों में फर्जी दस्तावेजों के जरिए जमानत दिलाई गई है. पुलिस का मानना है कि इस गिरोह की जड़ें अन्य शहरों तक भी फैली हो सकती हैं, जिसके चलते आगे की कार्रवाई तेज कर दी गई है. इस मामले में आगे और गिरफ्तारियां होने की संभावना जताई जा रही है.