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पुणे पोर्श कांड: नियमों को ताक पर रखा, आनन-फानन में दी जमानत... जांच रिपोर्ट में जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड को लेकर बड़े खुलासे

जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड के सदस्य एलएन दानवाड़े ने इस मामले में नाबालिग आरोपी को सड़क सुरक्षा पर 300 शब्दों का निबंध लिखने सहित बहुत ही नरम शर्तों पर जमानत दे दी थी. यह तत्थ सार्वजनिक होने के बाद इस मामले ने राष्ट्रीय स्तर पर हंगामा मचा दिया.

        पुणे पोर्श हिट एंड रन केस में जेजेबी सदस्यों की जांच कर रहे पैनल ने अपनी रिपोर्ट में कई सवाल उठाए हैं. (ANI Photo) पुणे पोर्श हिट एंड रन केस में जेजेबी सदस्यों की जांच कर रहे पैनल ने अपनी रिपोर्ट में कई सवाल उठाए हैं. (ANI Photo)
aajtak.in
  • पुणे,
  • 16 जून 2024,
  • अपडेटेड 8:02 AM IST

पुणे पोर्श हिट एंड रन मामले में नाबालिग आरोपी को दी गई जमानत के संबंध में जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड के दो सदस्यों के आचरण की जांच के लिए गठित एक समिति ने अपनी रिपोर्ट में प्रक्रियात्मक खामियां, नियमों और मानदंडों का उल्लंघन पाया है. गत 19 मई को पुणे के कल्याणी नगर में बाइक सवार एक लड़के और लड़की की उस वक्त मौत हो गई थी, जब उनकी मोटरसाइकिल को एक तेज रफ्तार पोर्श कार ने पीछे से टक्कर मार दी थी. वे दोनों आईटी प्रोफेशनल थे और पुणे स्थित एक कंपनी में कार्यरत थे. कार कथित तौर पर एक नाबालिग नशे की हालत में चला रहा था. 

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जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड के सदस्य एलएन दानवाड़े ने इस मामले में नाबालिग आरोपी को सड़क सुरक्षा पर 300 शब्दों का निबंध लिखने सहित बहुत ही नरम शर्तों पर जमानत दे दी थी. यह तत्थ सार्वजनिक होने के बाद इस मामले ने राष्ट्रीय स्तर पर हंगामा मचा दिया. डब्ल्यूसीडी के एक सूत्र ने नाम न छापने की शर्त पर न्यूज एजेंसी पीटीआई को बताया, 'पांच सदस्यीय समिति ने शुक्रवार को अपनी 125 पन्नों की रिपोर्ट महिला एवं बाल विकास विभाग (DWCD) के आयुक्त को सौंप दी. रिपोर्ट प्राप्त होने के बाद विभाग ने जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड (JJB) के दो सदस्यों को कारण बताओ नोटिस जारी किया है'.

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सूत्र ने कहा, 'जांच समिति की रिपोर्ट के मुताबिक 19 मई को जेजेबी के एक सदस्य द्वारा जमानत आदेश जारी करते समय गंभीर खामियां और गलतियां पाई गईं. हालांकि जमानत देने का आदेश एक सदस्य द्वारा जारी किया गया था, लेकिन दूसरे सदस्य ने आदेश की समीक्षा करने के बजाय अगले दिन सहमति दे दी. दोनों सदस्यों की ओर से नियमों और मानदंडों का पालन नहीं किया गया. समिति ने अपनी रिपोर्ट में पाया कि आदेश जारी करने में जल्दबाजी की गई और कुछ मानदंडों का उल्लंघन किया गया. पुलिस ने धारा 304 (गैर इरादतन हत्या) का उल्लेख किया था, लेकिन बोर्ड सदस्य द्वारा आदेश जारी करते समय इसे नजरअंदाज कर दिया गया. उन्हें इसके बारे में अवगत करा दिया गया है'. 

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डब्ल्यूसीडी विभाग द्वारा नियुक्त समिति ने अपनी जांच के तहत दो जेजेबी सदस्यों के बयान दर्ज किए थे. जेजेबी में डब्ल्यूसीडी विभाग द्वारा नियुक्त दो सदस्य और न्यायपालिका से एक सदस्य शामिल है. नाम गुप्त रखने की शर्त पर महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारी ने बताया कि समिति का काम राज्य सरकार द्वारा नियुक्त दो सदस्यों की जांच करना था. डब्ल्यूसीडी कमिश्नर डॉ प्रशांत नारनवरे ने पुष्टि की कि जांच समिति द्वारा रिपोर्ट प्रस्तुत की गई है और कहा कि दोनों जेजेबी सदस्यों को कारण बताओ नोटिस जारी किए गए हैं. दोनों को अगले चार से पांच दिनों में अपना जवाब देने को कहा गया है. 

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पुणे के पुलिस कमिश्नर अमितेश कुमार ने बताया था कि मामले में पहले दिन ही धारा 304 लागू की गई थी और जेजेबी के समक्ष रखी गई रिमांड रिपोर्ट में अन्य प्रासंगिक धाराओं के साथ इसका उल्लेख किया गया था. पुलिस ने यह भी मांग की थी कि नाबालिग आरोपी पर वयस्क के रूप में मुकदमा चलाया जाए, क्योंकि वह 17 साल और 8 महीने का था, लेकिन जेजेबी ने एक अलग रुख अपनाया और अपनी याचिका (आरोपी से संबंधित) को इस रूप में रखा, जैसे वह घटना का प्रत्यक्षदर्शी हो. बता दें कि इस मामले में नाबालिग आरोपी के ब्लड सैंपल में भी हेरफेर की गई थी. घटना से ठीक पहले उसने अपने दोस्तों के साथ एक बार में शराब पी थी. उसके परिजनों ने अपने प्रभाव और पैसे का इस्तेमाल करके उसका ब्लड सैंपल चेंज करा दिया था.

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