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अब पुणे के सभी स्कूलों में वंदे मातरम, शिवाजी की प्रतिमा अनिवार्य

पुणे महानगर पालिका के सभी स्कूलों में राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम गाने का प्रस्ताव पारित होने के बाद शिवसेना और बीजेपी के कड़े तेवर देखने को मिल रहे हैं. इन्होंने कहा कि  देश में अगर रहना है तो वंदे मातरम कहना होगा. पढ़ें पूरी खबर.

प्रतीकात्मक तस्वीर प्रतीकात्मक तस्वीर
पंकज खेळकर
  • पुणे,
  • 13 नवंबर 2017,
  • अपडेटेड 12:18 AM IST

देश में अगर रहना है तो वंदे मातरम कहना होगा, ऐसे कड़े तेवर शिव सैनिकों द्वारा पुणे में दिखाए जा रहे हैं. बीते शुक्रवार को एक प्रस्ताव पारित किया गया, जिसमें कहा गया है कि शहर के सभी महानगरपालिका स्कूलों में वंदे मातरम गाना अब अनिवार्य हो गया है. वंदे मातरम गाने का प्रस्ताव जनरल बॉडी मीटिंग में बहुमत से पारित किया गया है. हालांकि कांग्रेस और एनसीपी इस प्रस्ताव का विरोध कर रही हैं.

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पुणे नगर निगम के 283 स्कूलों में अब वंदे मातरम गाना अनिवार्य हो गया है. जनरल बॉडी मीटिंग में वंदे मातरम गाना अनिवार्य किए जाने के प्रस्ताव के समर्थन में 4 के बदले 37 मत मिले और भारी बहुमत से यह प्रस्ताव पारित कर दिया गया.

शिवसेना नेता संजय भोसले ने आजतक से इस बात की पुष्टि की और कहा कि देश के प्रति प्रेम है तो देशभक्ति गीत गाने में क्यों परहेज है. बचपन से बच्चों को यह गीत सिखाया जाना चाहिए. इसीलिए वंदे मातरम गाना जरूरी कर दिया गया है.

संजय भोसले ने कहा, "शिवसेना के नेता 15 अगस्त और 26 जनवरी के दिन स्कूलों में जाते हैं, जहां उन्होंने पाया कि बहुत से स्कूलों में वंदे मातरम नहीं गाया जा रहा है और छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा बहुत से स्कूलों में हमें दिखी ही नहीं. ऐसे में तीन महीने पहले यह प्रस्ताव हमने महानगर पालिका में रखा था. अब वह पारित हो गया है. आज के जो बच्चे हैं, जो भविष्य की भावी पीढ़ी हैं. उन्हें भी यह गीत आना चाहिए. उन्हें भी यह गीत गाना चाहिए. इसलिए हमने यह प्रस्ताव रखा था."

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वंदे मातरम के मुद्दे पर जहां शिवसेना और BJP साथ खड़े नजर आ रहे हैं, वहीं कांग्रेस के सुर अलग हैं. कांग्रेस के पार्षद अरविंद शिंदे के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट के फैसले और संविधान में कहीं भी नहीं कहा गया है कि वंदे मातरम गाना अनिवार्य होगा. अरविंद शिंदे ने शिवसेना नेताओं के देशप्रेम पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि जिन लोगों पर संगीन जुर्म के आरोप हैं, वो देशप्रेम साबित करने के लिए अगर वंदे मातरम गाएंगे तो क्या उनके जुर्म भूल जाएंगे.

उन्होंने कहा, "जिन्होंने यह प्रस्ताव पेश किया था, उन पर पुलिस केस दर्ज हैं. बिल्डर्स से हफ्ता वसूली, बिल्डरों को सताना, इनके जितने भी नेता हैं, हर एक पर पुलिस केस है. ये पुलिस से खुद की NOC नहीं ला सकते. इन्होंने कभी खुद वंदे मातरम गाया है? यह प्रस्ताव राजनीति से प्रेरित है और अपने गुनाहों को छिपाने के लिए लोग देशभक्ति का कवच धारण कर रहे हैं."

कांग्रेस के आरोपों का जवाब देते हुए शिवसेना नेता ने न सिर्फ वंदे मातरम गाया, उलटे कांग्रेस पर आरोप जड़ दिया कि विरोध करने वाले लोग वोटों की राजनीति कर रहे हैं, अल्पसंख्यक को रिझाने के लिए ऐसे आरोप लगा रहे हैं.

संजय भोसले ने कहा, "हमारे ऊपर जो भी मामले दर्ज हुए हैं वो जरा देखिए वो पार्टी के आंदोलन के मामले हैं. हमने कोई मर्डर नहीं किया. कोई गुनहगार नहीं है. ये सब वोटों के लिए चल रहा है. कांग्रेस को अपने मुस्लिम वोट खोने का डर है."

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वहीं पुणे महानगरपालिका की मेयर मुक्ता तिलक का कहना है, "वैसे देखा जाए तो कांग्रेस और एनसीपी के भी बहुत से लोग हैं, जिन पर आपराधिक कार्रवाई हुई है. दोनों चीजें साथ में नहीं लानी चाहिए. वंदे मातरम अलग चीज है और क्रिमिनल मामले अलग चीज हैं. जो 283 स्कूल हैं, उन सभी स्कूलों में यह चलेगा.

जब मेयर से उर्दू स्कूलों के बारे में पूछा गया तो उनका जवाब था, "सभी स्कूलों में. वंदे मातरम के साथ ही छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा भी हर स्कूल में लगाना अनिवार्य किया गया है, ताकि शिवाजी महाराज का इतिहास छात्रों को पता चले."

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