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राज ठाकरे ने शुरू की विधानसभा चुनाव की तैयारियां, कार्यकर्ताओं को संबोधित कर बोले- हमें क्यों जानें किसी से सीट मांगने

महाराष्ट्र के फायर ब्रांड नेता राज ठाकरे ने गुरुवार को मनसे कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि हमें 20 सीटें क्यों मांगनी चाहिए, हम 200 से 225 सीटों के लिए तैयारियां कर रहे हैं. महाराष्ट्र के लोग मनसे का इंतजार कर रहे है. इस दौरान उन्होंने अपने भाई उद्धव ठाकरे और उनकी पार्टी पर जमकर निशाना साधा. 

मनसे प्रमुख राज ठाकरे. (फाइल फोटो) मनसे प्रमुख राज ठाकरे. (फाइल फोटो)
ऋत्विक भालेकर
  • मुंबई,
  • 13 जून 2024,
  • अपडेटेड 3:00 PM IST

महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) प्रमुख राज ठाकरे ने इस साल के अंत में महाराष्ट्र में होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारियां शुरू कर दी हैं.उन्होंने चुनाव की तैयारियों को लेकर गुरुवार को एक बैठक बुलाई, जहां उन्होंने अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं संबोधित किया. इस दौरान उन्होंने अपने भाई उद्धव ठाकरे और उनकी पार्टी पर जमकर निशाना साधा. हम राज्य में 200 से 225 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं.

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उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि हमें 20 सीटें क्यों मांगनी चाहिए, हम 200 से 225 सीटों के लिए तैयारियां कर रहे हैं. महाराष्ट्र के लोग मनसे का इंतजार कर रहे है. एनडीए के नेतृत्व वाले महायुति के सहयोगियों और महाविकास अघाड़ी (MVA) के सहयोगियों के बीच सीटों बंटवारे को लेकर पहले ही काफी मतभेद हैं तो हम क्यों किसी के पास जाकर सीटें मांगे.

बाला साहेब ठाकरे को लेकर भावुक हैं महाराष्ट्र के लोग

राज ठाकरे ने एनडीए के नेतृत्व वाले महायुति गठबंधन पर निशाना साधते हुए कहा, मैंने दिल्ली में अमित शाह से कहा था कि शिवसेना का चुनाव चिन्ह और नाम बाला साहेब ठाकरे का है. इसे मत छुएं, यह उद्धव ठाकरे का नहीं है. महाराष्ट्र के लोग बाला साहेब ठाकरे को लेकर काफी भावुक हैं. 

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यह भी पढ़ें: महाराष्ट्र में 20 सीटें, आदित्य ठाकरे के खिलाफ MNS कैंडिडेट, BJP के सामने राज ठाकरे ने रख दी डिमांड!

उन्होंने दावा करते हुए यह भी कहा कि अमित शाह ने बीजेपी नेताओं से यह भी कहा था कि वे पार्टी और चुनाव चिह्न अपने पास से न हटाएं. बाला साहेब ठाकरे के ब्रांड को बीजेपी ने कम आंका. यह प्रतीक और नाम बाला साहेब ठाकरे ने खुद अर्जित किया था, न कि उद्धव ने इसके लिए कुछ किया है. इसलिए लोकसभा चुनावों में जो प्रतिक्रिया हुई वह पार्टियों को तोड़ने की राजनीति के कारण हुई. लोग इस राजनीति से तंग आ चुके हैं. इसलिए उन्होंने बड़ी संख्या में वोट नहीं दिया.

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