
राज्यसभा की 16 सीटों पर चार राज्यों में 10 जून को वोटिंग होनी है. इनमें हरियाणा, राजस्थान, कर्नाटक और महाराष्ट का नाम शामिल है. तीन राज्यों में एक-एक सीट फंस रही है और मुख्य मुकाबला बीजेपी और कांग्रेस के बीच है जबकि महाराष्ट्र में बीजेपी और शिवसेना आमने-सामने हैं. इस तरह से सियासी दांवपेंच से लेकर रिजॉर्ट पॉलिटिक्स तक कर रहे हैं. चुनाव से पहले ही इन राज्यों में विधायकों को साधने के लिए बाड़ेबंदी तक कर दी गई है.
महाराष्ट्र में बीजेपी और शिवसेना के बीच तगड़ा मुकाबला है. यहां छठवीं सीट पर जीत का चाबी 29 विधायकों के हाथ में हैं. इनमें 13 निर्दलीय हैं और 16 विधायक छोटे दलों से आते हैं.
महाराष्ट्र में ढाई साल बाद एक बार फिर विधायकों की बाड़ेबंदी की गई है. सूबे की छह राज्यसभा सीटों पर चुनाव हो रहे हैं. इनमें दो सीटें बीजेपी आसानी से जीतने जा रही है जबकि एक-एक सीट पर शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस की जीत तय है. वहीं, बीजेपी ने तीन और शिवसेना ने दो कैंडिडेट उतारे हैं, जिसके चलते छठी सीट पर पेंच फंस गया है और घमासान तेज हो गया है. शिवसेना से संजय पवार को अपना दूसरा कैंडिडिटे बनाया है तो बीजेपी ने धनंजय महादिक को तीसरा प्रत्याशी बनाया है.
बीजेपी को छठवीं सीट के लिए 13 वोटों की जरूरत
महाराष्ट्र विधानसभा के आंकड़े के लिहाज से राज्यसभा में एक उम्मीदवार को जीतने के लिए करीब 42 वोट की जरूरत होती है. मौजूदा समीकरण को देखें तो बीजेपी की विधानसभा में 106 सीटें हैं. ऐसे में वो 2 सीटों पर आसानी से जीत सकती है. इसके अलावा, पार्टी के पास 22 वोट अतरिक्त बच रहे हैं, जिसके चलते उसे अपने तीसरे कैंडिडेड को जिताने के लिए 7 निर्दलीयों ने भी समर्थन देने का भरोसा दिया है.
बीजेपी ने इन निर्दलीय विधायकों को अपने साथ ले लिया है. हालांकि, ये इतना आसान नहीं है. अभी जीत के लिए पार्टी को 13 वोटों की और जरूरत है. ऐसे में बीजेपी की नजर छोटे दलों के विधायकों पर है. अगर उनका साथ मिल जाता है तो बीजेपी ये मुकाबला आसानी से जीत सकती है.
शिवसेना को छठवीं सीट पर जीतने के लिए चाहिए 15 वोट
वहीं, महाअघाड़ी गठबंधन की बात करें तो वह भी मुकाबले में कड़ी टक्कर दे रही है. शिवसेना के विधानसभा में कुल 55, एनसीपी के 54 और कांग्रेस के कुल 44 विधायक हैं. गठबंधन के तीनों दल एक-एक सीट आसानी से जीत रहे हैं. इसके बाद शिवसेना के 13, एनसीपी के 12 और कांग्रेस के 2 वोट अतरिक्त बचते हैं.
इस तरह से कुल 27 वोट गठबंधन के पास है, लेकिन जीत के लिए कुल 42 वोट की चाहिए होगा. ऐसे में उसे 15 वोटों की और जरूरत रहेगी. यही वजह है कि शिवसेना ने दूसरी सीट जीतने के लिए अपने नाक का सवाल बना लिया है.
उद्धव ने संभाली कमान
शिवसेना प्रमुख और मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने खुद मोर्चा संभाल लिया है और वो सभी विधायकों के संपर्क साध रहे हैं. उद्धव ठाकरे ने गठबंधन के साथ सभी विधायकों के साथ-साथ निर्दलीय और छोटे दलों के विधायकों की सरकारी आवास पर मीटिंग बुलाई. इस तरह से खासतौर पर कांग्रेस के एमएलए को भी साध रहे हैं. उद्धव की नजर निर्दलीयों पर भी है. इसके लिए पार्टी खास प्लान बना रही है. कहा जा रहा है कि कुछ निर्दलीयों ने शिवसेना के संपर्क में. शिवसेना इन विधायकों को फाइव स्टार होटल में ठहरा रही है.
कितने निर्दलीय और छोटे दलों के विधायक हैं...
राज्य में बहुजन विकास अघाड़ी के तीन, AIMIM के दो, पीजेपी के दो, सपा के दो, केएसपी का एक, पीडब्ल्यूपी का एक, एसएसएस का एक, आरएसपी का एक, जेएसएस का एक, सीपीआई का एक, MNS का एक और 13 विधायक निर्दलीय हैं. 16 विधायक छोटे दलों से आते हैं. जबकि 13 निर्दलीयों को जोड़ा जाए तो ये संख्या 29 पहुंच रही है. बीजेपी और शिवसेना दोनों ही इन्हीं विधायकों को अपने पाले में लाने की कवायद में जुटी है, क्योंकि वो ही जीत का आधार तय करेंगे.
दोनों दलों के ये दावे...
महाविकास अघाड़ी गठबंधन का दावा है कि उसके पास कुल 169 वोट हैं तो बीजेपी ने कहा कि 7 निर्दलीय के साथ उसके 113 वोट हैं. महाविकास आघाड़ी के 169 विधायकों में शिवसेना 55, एनसीपी 53, कांग्रेस 44, अन्य पार्टियों के 8 और इतने ही निर्दलीय विधायक हैं. इस तरह से दोनों दलों के बीच अपने-अपने दावे हैं.
बीजेपी का कहना है कि उसके तीनों उम्मीदवार चुनाव जीत रहे हैं. माना जा रहा है कि इस चुनाव से अब स्पष्ट हो जाएगा कि शिवसेना के साथ महाविकास अघाड़ी सरकार को समर्थन देने वाले बाकी विधायक जाते हैं या नहीं. वहीं, बीजेपी को लगता है कि उसे निर्दलीय विधायकों का साथ मिलेगा.
जीत से जाएगा दूर तक मैसेज
राज्यसभा चुनाव में प्रमुख पार्टियों के विधायकों के क्रास वोटिंग के काम चांस है, लेकिन निर्दलीय किसे वोट देते हैं, इस पर सबकी निगाहें हैं. अगर शिवसेना का उम्मीदवार जीतता है कि तो ये मैसेज जाएगा कि महाविकास अघाड़ी अभी भी मजबूत है. वहीं, अगर बीजेपी जीतती है तो ऐसा संदेश जाएगा कि महाविकास अघाड़ी में कहीं ना कहीं फूट है. ऐसे में महाराष्ट्र की छठी राज्यसभा सीट का चुनाव काफी दिलचस्प हो गया है.