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'FIR कराने के लिए रात में 15 किलोमीटर दूर नहीं जा सकती रेप पीड़िता', बॉम्बे हाईकोर्ट की अहम टिप्पणी

अमरावती सेशन कोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट ने महिला से रेप के आरोपी मजदूर को दोषी ठहराते हुए 10 साल की सजा भी बरकरार रखी है.  पीठ ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि पीड़िता की गवाही विश्वसनीयता के मानकों पर खरी उतरती है. पीठ ने कहा, 'अभियोक्ता का सबूत ठोस और विश्वसनीय हैं.'

विद्या
  • मुंबई,
  • 07 फरवरी 2025,
  • अपडेटेड 12:02 AM IST

बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच ने 35 वर्षीय एक महिला के साथ रेप करने के मामले में अमरावती सेशन कोर्ट के फैसले को सही मानते हुए आरोपी मजदूर को दोषी ठहराते हुए 10 साल की सजा भी बरकरार रखी है. 

अमरावती के 35 वर्षीय मजदूर आरोपी बाल्या उर्फ राहुल लोखंडे ने अपील दायर की थी, लेकिन अदालत ने कहा कि पीड़िता की गवाही ठोस और भरोसेमंद है.

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'ठोस और विश्वसनीय हैं सबूत'

न्यायमूर्ति जीए सनप ने फैसला सुनाते हुए कहा कि पीड़िता की गवाही विश्वसनीयता के मानकों पर खरी उतरती है. पीठ ने कहा, 'अभियोक्ता का सबूत ठोस और विश्वसनीय हैं. अभियोक्ता का साक्ष्य आत्मविश्वास को प्रेरित करता है.'

अभियुक्त का बचाव झूठा निहितार्थ था, क्योंकि यह आरोप लगाया गया था कि अभियुक्त उस मकान मालिक का कर्मचारी था. जिसके घर में पीड़िता रहती थी और पीड़िता का अपने किराए के घर के संबंध में मकान मालिक के साथ विवाद था. हालांकि, अदालत ने इस दावे को खारिज कर दिया और कहा, 'अभियोक्ता एक असहाय महिला, अपीलार्थी के खिलाफ एक झूठी रिपोर्ट दर्ज करने की हिम्मत नहीं करती.'

लोखंडे ने एफआईआर दर्ज करने में देरी की दलील दी. हालांकि, पीठ ने कहा, 'बलात्कार के मामले में कोई भी स्वाभिमानी महिला अपने सम्मान के खिलाफ अपमानजनक बयान देने के लिए अदालत में आगे नहीं आएगी, जैसे कि उसके साथ बलात्कार के अपराध में शामिल है. महिलाओं की अंतर्निहित शर्मिंदगी और यौन आक्रामकता के आक्रोश को छिपाने की प्रवृत्ति ऐसे कारक हैं, जिन्हें अदालत नजरअंदाज नहीं कर सकती.'

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पीठ ने आगे कहा, 'अभियोक्ता अकेली रह रही थी. कोई भी व्यक्ति द्वारा झेले गए दर्द, पीड़ा और आघात की कल्पना कर सकता है. इस घटना के बाद उसे अपीलकर्ता द्वारा किए गए ऐसे अपमानजनक कृत्य के कारण उसे जिंदगी भर झटका लगा होगा. अपीलार्थी उसे जानती थी. रात का समय था, ऐसी स्थिति में किसी महिला से यह अपेक्षा नहीं की जाती कि वह रात में अकेले रिपोर्ट दर्ज करने के लिए 15 किलोमीटर दूर पुलिस स्टेशन तक का सफर करे.'

अपीलकर्ता ने बताया कि घटना के बाद मेडिकल रिपोर्ट में उसके शरीर पर कोई चोट नहीं पाई गई. हालांकि अदालत ने कहा, 'अभियोक्ता के शरीर पर चोट का अभाव अभियोजन के मामले के लिए घातक नहीं होगा.'

महिला ने स्थानीय दुकानदार को किया फोन

अभियोजन पक्ष के अनुसार, 25 मार्च 2017 को पीड़िता आंगन में बैठी थी. तभी आरोपी ने घर में घुसकर उसके साथ दुष्कर्म किया. इसके बाद वह वहां से भागने में सफल रही और अपने घर के अंदर चली गई. बाद में उसने एक स्थानीय दुकानदार को फोन किया और उसे अपने घर आने को कहा, लेकिन तब तक आरोपी भी घर में घुस गया और उसने महिला का फोन छीनकर फेंक दिया. इसके बाद उसने दोबारा दुष्कर्म किया. तभी दुकानदार उसके घर पहुंचा और देखा कि वह उसके ऊपर लेटा हुआ है. दुकानदार को देखने के बाद आरोपी मौके से भाग गया. इसके बाद महिला ने अगले दिन पुलिस स्टेशन जाकर आरोपी के खिलाफ FIR दर्ज कराई.

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