
समान नागरिक संहिता बनाने को लेकर 22 वें राष्ट्रीय विधि आयोग ने आम जनता से विचार विमर्श की प्रक्रिया शुरू कर दी है. इस बीच कांग्रेस और कुछ अन्य विपक्षी दलों ने आरोप लगाया कि विधि आयोग द्वारा उठाया गया नया कदम यह दर्शाता है कि मोदी सरकार अपनी विफलताओं से ध्यान भटका रही है. समान नागरिक संहिता को लेकर अब तेलंगाना के सीएम के चंद्रशेखर राव (KCR) की भी प्रतिक्रिया आई है और उन्होंने इसे लेकर विवादित बयान दिया है.
केसीआर जब मीडिया से बात कर रहे थे तो उनसे यूनिफॉर्म सिविल कोर्ड (UCC) को लेकर सवाल किया गया, 'समान नागरिक संहिता पर बात चल रही है है और कहा जा रहा है कि हर तबके से राय ली जाएगी और फिर विचार किया जाएगा. धर्मगुरूओं से भी राय ली जाएगी . आप कैसे देखते हैं इसे ?' इस सवाल का जवाब देते हुए केसीआर ने कहा, 'ये धर्मगुरू कहां से राजनीति में आ गए ? धर्मगुरुओं को मठ में रहना चाहिए, पूजा पाठ करना चाहिए और यज्ञ करना चाहिए. राजनीति में घुसपैठ क्यों कर रहे हैं ? हंगामा कर रहे देश में.'
आपको बता दें कि समान नागरिक संहिता बनाने को लेकर 22 वें राष्ट्रीय विधि आयोग ने आम जनता से विचार विमर्श की प्रक्रिया शुरू कर दी है अगले एक महीने में आयोग ने जनता, सार्वजनिक संस्थान और धार्मिक संस्थानों व संगठनों के प्रतिनिधियों से विचार विमर्श की प्रक्रिया पूरी करने का एलान किया है. आयोग ने कहा है कि जो लोग रुचि रखते हैं और इच्छुक हैं वे नोटिस की तारीख से 30 दिनों की अवधि के भीतर आयोग की बेबसाइट के माध्यम से या membersecretary-lci@gov.in पर ईमेल द्वारा भारत के विधि आयोग को अपने विचार प्रस्तुत कर सकते हैं.
इससे पहले पिछले विधि आयोग ने 2016 में इस मुद्दे पर गहन विचार विमर्श प्रक्रिया शुरू की थी. इसके बाद 2018 के मार्च में जनता के साथ विमर्श के बाद अपनी रिपोर्ट में कहा था कि फिलहाल समान नागरिक संहिता यानी कॉमन सिविल कोड की जरूरत देश को नहीं है. लेकिन पारिवारिक कानून यानी फैमिली लॉ में सुधार की बात जरूर की थी.