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'1857 के बाद हमारे खिलाफ गलतफहमियां फैलाई गईं', मुंबई में बोले RSS प्रमुख मोहन भागवत

मोहन भागवत ने कहा कि भारत ने पिछले कुछ वर्षों में बहुत कुछ हासिल किया है, लेकिन विश्व स्तर पर विकृत जानकारी फैलाई जा रही है, जिसका मुकाबला करने के लिए देश को पीढ़ियों को तैयार करने और दुनिया में अच्छे लोगों को अपनी ओर आकर्षित करने की जरूरत है.

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत (File Photo) आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत (File Photo)
दीपेश त्रिपाठी
  • मुंबई,
  • 09 अप्रैल 2023,
  • अपडेटेड 9:27 PM IST

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने रविवार को कहा कि भारत के 'विश्वगुरु' बनने की दिशा में प्रगति को धीमा करने के लिए हमारे खिलाफ गलत धारणाएं और विकृत जानकारी फैलाई जा रही है. मुंबई में एक समारोह में भागवत ने कहा कि 1857 के बाद (प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के बाद) देश के बारे में इस तरह की भ्रांतियां फैलाई गईं, लेकिन स्वामी विवेकानंद ने ऐसे तत्वों को मुंहतोड़ जवाब दिया. ये गलत धारणाएं हमारी प्रगति को धीमा करने के लिए फैलाई जा रही हैं क्योंकि दुनिया में कोई भी तर्क के आधार पर हमसे बहस नहीं कर सकता है. 

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भागवत ने कहा कि भारत ने पिछले कुछ वर्षों में बहुत कुछ हासिल किया है, लेकिन विश्व स्तर पर विकृत जानकारी फैलाई जा रही है, जिसका मुकाबला करने के लिए देश को पीढ़ियों को तैयार करने और दुनिया में अच्छे लोगों को अपनी ओर आकर्षित करने की जरूरत है. 1857 के बाद, हमारे खिलाफ कुछ गलतफहमियां फैलाई गईं. यह स्वामी विवेकानंद ही थे, जिन्होंने हमें हेय दृष्टि से देखने वालों को करारा जवाब दिया."

उदाहरण हमारे सामने दिए जाते हैं. लेकिन दुनिया में सबसे ज्यादा ज्ञानी भारत में हैं.
इसके लिए हमें उस सिद्धांत के अनुसार कार्य करना चाहिए. हम महापुरुषों का सम्मान करते हैं, लेकिन हम उनके बताए रास्ते पर न चलें तो क्या उपयोग. श्री राम भगवान थे, शिवाजी महाराज अलौकिक थे ,हम उन्हें अवतार मानते हैं और उन रास्तों पर चलते हैं.
ऐसे सिद्धांतों और व्यवहारों को अशोक चौगुले से सीखना चाहिए. अशोक चौगुले से सीख लेनी चाहिए कि अपने परिवार के लिए पर्याप्त रखकर बाकी देना आना चाहिए और देते समय अहंकार नहीं करना चाहिए.

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मोहन भागवत ने कहा कि जो लोग हिंदू राष्ट्र में विश्वास नहीं करते हैं, वे भी सोचते हैं कि भारत को विकास करना चाहिए. 1857 के बाद पूरा भारत एक होने लगा. समाज में जागृति आने लगी और फिर कुछ समय बीतने के बाद हम जवाब देने की स्थिति में आ गए. स्वामी विवेकानंद ने उत्तर देना शुरू किया. और जो लोग हमें गुलाम बनाना चाहते थे, उन्होंने महसूस किया कि उनको सोच  बदलनी चाहिए. आज भी संघर्ष जारी है. हमें नई पीढ़ी को पढ़ाना है. अगले बीस या तीस वर्षों में, भारत विश्व गुरु होगा. लेकिन उसके लिए अगली दो-तीन पीढ़ियां बनानी होंगी. 

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