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"फैमिली मैटर...", इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में जेपी नड्डा के RSS वाले बयान पर बोले संघ नेता सुनील आंबेकर

बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने लोकसभा चुनाव के दौरान यह टिप्पणी तब की थी जब उनसे पूछा गया था कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के समय और अब के बीच आरएसएस की मौजूदगी में किस तरह का बदलाव आया है. नड्डा ने कहा था, "शुरुआत में हम कम सक्षम, छोटे थे और हमें आरएसएस की जरूरत थी. आज हम बड़े हो गए हैं और हम सक्षम हैं. भाजपा खुद चलती है. यही अंतर है."

आरएसएस नेता सुनील आंबेकर आरएसएस नेता सुनील आंबेकर
aajtak.in
  • मुंबई,
  • 25 सितंबर 2024,
  • अपडेटेड 2:47 PM IST

इंडिया टुडे कॉन्क्लेव (India Today Conclave 2024) का आगाज हो चुका है. दो दिन तक चलने वाले इस कॉन्क्लेव के पहले दिन RSS के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने लोकसभा चुनाव के दौरान बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा द्वारा दिए गए बयान को फैमिली मैटर बताया. 

दरअसल, नड्डा ने यह टिप्पणी तब की थी जब उनसे पूछा गया था कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के समय और अब के बीच आरएसएस की मौजूदगी में किस तरह का बदलाव आया है. नड्डा ने कहा था, "शुरुआत में हम कम सक्षम, छोटे थे और हमें आरएसएस की जरूरत थी. आज हम बड़े हो गए हैं और हम सक्षम हैं. भाजपा खुद चलती है. यही अंतर है."

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यह भी पढ़ें: India Today Conclave 2024: पिछले 10 वर्षों में सरकार के काम को कैसे देखता है RSS? सुनील आंबेकर ने दिया ये जवाब

बुधवार को इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में आरएसएस नेता सुनील आंबेकर ने इसे एक फैमिली मैटर बताया और संगठन व बीजेपी के बीच दरार की खबरों का खंडन किया. उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा, "हम फैमिली मैटर को पारिवारिक मामलों की तरह ही सुलझाते हैं. हम ऐसे मुद्दों पर सार्वजनिक मंचों पर चर्चा नहीं करते."

संघ के कार्यक्रम में महिलाओं की भागेदारी और टॉप लीडरशिप में महिलाओं की कमी के सवाल पर उन्होंने कहा कि संघ का काम मुख्य रूप से मैदान में शाखा के माध्यम से होता है. इसलिए हमने 1925 में संघ बनाया. 1936 में राष्ट्रीय सेविका समिति बनी. तो जो शाखा लगती है, वहां काम अलग-अलग तरीके से होता है. जहां भी नेशन बिल्डिंग की बात आती है, जितने भी देश से संबंधित मुद्दे होती हैं, उनमें महिलाओं की भागीदारी तय होती है. संघ की शाखा का जो स्ट्रक्चर बना है, उसमें पुरुष आते हैं. समिति में महिलाएं आती हैं. 

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आरएसएस को सरकार में पहुंचने की सीढ़ी मानने वालों की पहचान कैसे करते हैं? इस पर सुनील आंबेकर ने कहा कि संघ जमीन पर काम करता है. संघ की ट्रेनिंग बहुत कठिन होती है. रोज ग्राउंड पर जाना पड़ता है. बहुत कठिन परिश्रम होता है. बहुत सारे लोग हैं जो समाज में अच्छा काम करना चाहते हैं. बहुत कम लोग होंगे ऐसे जो भटकना चाहते हैं. मुझे लगता है ये जो लोग आते हैं, वो संघ के साथ लगकर अच्छे काम करने लगते हैं. कुछ हैं जो दूसरे कामों में जुट जाते हैं. हमें उससे फर्क नहीं पड़ता. हम अपने काम में जुट जाते हैं.

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