
पैगंबर मोहम्मद को लेकर बनाए गए कार्टून के बाद फ्रांस में बीते कुछ दिनों में हमलों में बढ़ोतरी हुई है, इसके अलावा कार्टून को लेकर भी एक अलग तरह की बहस छिड़ गई है. इन्हीं विवादों को लेकर मंगलवार को शिवसेना के मुखपत्र सामना में लेख लिखा गया है. सामना में फ्रांस का समर्थन किया गया है, साथ ही पीएम मोदी द्वारा आतंकवाद के खिलाफ जंग में फ्रांस के साथ खड़े होने की तारीफ की गई है.
सामना में लिखा गया है, ‘फ्रांस में एक चिंगारी भड़क उठी है और यह दावानल अब दुनियाभर में फैलता हुआ दिख रहा है. फ्रांस में जो हुआ, उसका संबंध एक बार फिर पैगंबर मोहम्मद के व्यंग्य चित्र से ही है. पैगंबर मोहम्मद का व्यंग्य चित्र बनाने के कारण मुस्लिम समाज की भावना भड़क उठी, वो भी इतनी कि धर्मांध मुसलमानों ने लोगों की गला काटकर हत्या कर दी है और कनाडा से फ्रांस तक निरपराध लोगों पर चाकू से हमला शुरू हो गया है. मुंबई-ठाणे के मुसलमानों ने भी फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रॉन के खिलाफ प्रदर्शन किया, भाजपा के शासन वाले भोपाल में मैक्रों के खिलाफ हजारों मुसलमान एकत्रित हुए और उन्होंने घोषणाबाजी की.’
सामना में लिखा गया कि राष्ट्रपति मैक्रों के विरोध में दुनियाभर में मुस्लिम समुदाय छाती पीट रहा है. हिंदुस्तान के संकट के समय फ्रांस हमेशा हमारे साथ खड़ा रहा है. ‘यूएनओ’ में जब-जब आवश्यकता पड़ी तब-तब फ्रांस ने हिंदुस्तान का समर्थन किया, पाकिस्तान-चीन जैसे दुश्मनों से मुकाबला करने के लिए फ्रांस ने हिंदुस्तान को रक्षा सामग्री उपलब्ध कराई. मिराज, राफेल जैसे युद्धक विमान फ्रांस से ही हिंदुस्तान को मिले हैं. ऐसे फ्रांस में धर्मांधता का उन्माद फैलाकर आतंकवाद फैलाना और उससे हिंसाचार का बढ़ना हिंदुस्तान के लिए भी हित में नहीं है.’
फ्रांस को दिए गए भारत के समर्थन पर सामना में लिखा गया है कि फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों ने आतंकवाद के खिलाफ जंग का ऐलान किया है और प्रधानमंत्री मोदी ने युद्ध में राष्ट्रपति मैक्रों को समर्थन देने की घोषणा की है. यह उचित ही है. आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में हर किसी को समर्थन देना हमारा कर्तव्य ही है. आतंकवाद के भयंकर अंधेरे से हम आज भी सफर कर रहे हैं. धार्मिक उन्माद और उससे खड़े हुए आतंकवाद के कारण हिंदुस्तान को बड़ी कीमत चुकानी पड़ी है.
साथ ही लिखा गया कि मैक्रों के समर्थन में इसीलिए खड़ा रहना जरूरी है, हिंदुस्तान की राजनीतिक पार्टियों व मुस्लिम समुदाय को फ्रांस के अंतर्गत विवाद में पड़ने की कोई वजह नहीं है.