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पेट्रोल-डीजल की कीमतों पर शिवसेना ने पूछा- ये हैं अच्छे दिन?

देशभर में राजनीतिक पार्टियां पेट्रोल-डीजल की आसमान छूती कीमतों को लेकर केंद्र की मोदी सरकार पर सवाल खड़े कर रही हैं. महाराष्ट्र में शिवसेना ने तेल की बढ़ती कीमतों को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधा है. वहीं युवा सेना ने पूरे मुंबई में पोस्टर लगाए हैं जिस पर लिखकर पूछा है- 'ये हैं अच्छे दिन?'

बढ़ती तेल कीमतों के खिलाफ शिवसेना ने मुंबई में लगाए पोस्टर बढ़ती तेल कीमतों के खिलाफ शिवसेना ने मुंबई में लगाए पोस्टर
मुस्तफा शेख
  • मुंबई,
  • 22 फरवरी 2021,
  • अपडेटेड 1:09 PM IST
  • युवा सेना ने मुंबई में लगाए पोस्टर
  • पेट्रोल पर पूछा- ये हैं अच्छे दिन?
  • केंद्र तेल की कीमतों को करे प्रयास-शिवसेना

देशभर में राजनीतिक पार्टियां पेट्रोल-डीजल की आसमान छूती कीमतों को लेकर केंद्र की मोदी सरकार पर सवाल खड़े कर रही हैं. महाराष्ट्र में शिवसेना ने तेल की बढ़ती कीमतों को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधा है. वहीं युवा सेना ने पूरे मुंबई में पोस्टर लगाए हैं जिस पर लिखकर पूछा है- 'ये हैं अच्छे दिन?' गैस सिलेंडर और पेट्रोलियम की बढ़ती कीमतों पर शिवसेना ने अपने मुखपत्र 'सामना' में राममंदिर के लिए चंदा एकत्रित करने वालों पर कटाक्ष किया.  

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शिवसेना ने बीजेपी पर तंज कसा कि राम मंदिर बनाने के लिए धन इकट्ठा करने के बजाय उन्हें आसमान छू रही ईंधन की कीमतों में कमी लाने का प्रयास करना चाहिए. इससे रामभक्तों को अपने घरों में चूल्हा जलाने में मदद मिलेगी. संपादकीय में कहा गया है कि यह आम आदमी का जीने का अधिकार है और आधार आवश्यकताओं की कीमतों को नियंत्रित करना सरकार का कर्तव्य है. अगर सरकार इस कर्तव्य को भूल गई है तो लोग उसे याद दिलाएंगे.

शिवसेना ने कहा कि लोगों ने अपने काम पर जाने के लिए गाड़ियां खरीदी हैं. अगर तेल की कीमतें बढ़ती रही तो एक दिन आएगा जब लोग अपने वाहनों को सड़क पर छोड़ देंगे. संपादकीय में आगे कहा गया है कि, "कोल्हापुर में एक पम्प स्टेशन पर बोर्ड लगाया गया है जिस पर लिखा है, अपने रिस्क पर तेल की कीमतें देखें, अगर आपको हार्ट अटैक हुआ तो पेट्रोल पम्प के मालिक इसके लिए जिम्मेदार नहीं होगा."

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युवा सेना ने पूछा- ये अच्छे दिन हैं?

शिवसेना ने कहा कि पेट्रोल की कीमत 100 रुपये लीटर को पार कर गई है और मोदी ने इसके लिए कांग्रेस को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं. मोदी कह रहे हैं कि, “हम पिछली सरकारों की वजह से इन कीमतों को देख रहे हैं. पिछली सरकारों को ईंधन के आयात पर निर्भरता कम करनी चाहिए थी." संपादकीय में कहा गया है कि दोष दूसरों पर मढ़ने की उनकी प्रतिभा के लिए हम मोदीजी को नमन करते हैं.

शिवसेना ने कहा कि कांग्रेस सरकार ने इंडियन ऑयल, ओएनजीसी, भारत पेट्रोलियम, हिंदुस्तान पेट्रोलियम और मुंबई हाई जैसे सार्वजनिक उपक्रमों को खड़ा किया और समुद्र में तेल शोधन किया. मोदी सरकार सरकार इन सभी सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को बेच रही है. 

कच्चे तेल के दाम कम, फिर पेट्रोल महंगा क्यों?

संपादकीय में कहा गया है कि कच्चे तेल की कीमतें 2014 की तुलना में बहुत कम हैं. अप्रैल 2014 में अंतरराष्ट्रीय मार्केट में कच्चे तेल की कीमत 108 डॉलर थी तब पेट्रोल की कीमत 71 रुपये प्रति लीटर थी और डीजल 58 रुपये लीटर बिकता था. लेकिन अब तब 20 फरवरी को क्रूड ऑयल की कीमत 62 डॉलर प्रति बैरल थी तो पेट्रोल की कीमत 100 रुपये प्रति लीटर को पार कर गया.

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