
शिवसेना के सांसद संजय राउत (Sanjay Raut) इस वक्त ईडी की कस्टडी में हैं. उनसे पात्रा चॉल घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग के केस में पूछताछ हो रही है. लेकिन ईडी अब उनसे एक दूसरे केस में भी पूछताछ कर सकती है. इस केस में ईडी संजय राउत के खास दोस्त प्रवीण राउत की कस्टडी की मांग भी कर रही है.
जुलाई के महीने में ईडी ने मुंबई के PMLA कोर्ट से प्रवीण राउत की कस्टडी मांगी थी. ईडी ने यह रिमांड PACL घोटाले की जांच करने के लिए मांगी है. ईडी चाहती है कि वह प्रवीण को दिल्ली ले जाकर इस केस की पूछताछ करे.
प्रवीण संजय राउत के करीबी हैं और पात्रा चॉल घोटाले मामले में भी वह आरोपी है. आरोप है कि प्रवीण राउत के जरिए ही करीब 1.06 करोड़ रुपये संजय राउत और उनके रिश्तेदारों को ट्रांसफर हुए थे.
क्या है PACL जमीन घोटाला
PACL India Limited (PACL) पर आरोप है कि उसने देश के अलग-अलग राज्यों में लोगों से विभिन्न स्कीम के नाम पर पैसा लिया. पैसे के बदले लोगों को प्लॉट (जमीन) अलॉट करने की बात कही. यह भी ऑप्शन दिया कि स्कीम की मैच्योरिटी पर उस जमीन की कीमत के जितना पैसा भी लिया जा सकता है.
PACL रियल स्टेट का बिजनस कर रही थी. साथ ही अपने एजेंट्स की मदद से यह खेती की जमीन को भी बेचती थी. PACL ने कई करोड़ रुपये लोगों से जमा कर लिए थे. जांच में यह सामने आया कि PACL के डायरेक्टर्स ने निवेशकों का पैसा कहीं दूसरी जगहों पर लगाकर निजी फायदा कमाया.
केस में प्रवीण राउत का क्या रोल?
ईडी को पता चला कि PACL ने निवेशकों का 101 करोड़ रुपये Dhanashree Developers Private Limited को ट्रांसफर किया. इसमें से 26 करोड़ रुपये DDPL Global Infrastructure Private Limited को ट्रांसफर किया गया.
बाद में PACL ने 2285.79 करोड़ रुपये प्रतीक कुमार को ट्रांसफर किये. उन्होंने DDPL और Unicorn कंपनी में 94.61 करोड़ रुपये निवेश किया था. PACL ने 110.95 करोड़ रुपये Systematix Venture Capital Trust को भी ट्रांसफर किए. यह ट्रांसफर 25 दूसरी कंपनियों से किया गया. यह पैसा DDPL और Unicorn में OFCD और इक्विटी के जरिए निवेश किया गया.
PACL को जो पैसा विभिन्न माध्यमों से आया, उसके जरिए DDPL और Unicorn ने महाराष्ट्र के पालघर जिले के वसई में जमीन खरीदीं. दो जगहों पर इन्होंने काफी मुनाफा भी कमाया.
इस मामले में वसई में मौजूद 3,39,984.2 स्कॉयर मीटर जगह और करीब साढ़े सात करोड़ रुपये का बैंक बैलेंस अटैच किया गया था. ईडी की जांच में यह भी सामने आया था कि DDPL और Unicorn की शेयरहोल्डिंग बार-बार बदलती रही. ऐसा इसलिए किया जाता रहा ताकि PACL के मिल रही फंडिंग को वैधता मिली रही. साथ ही साथ इससे यह भी सुनिश्चित हुआ कि संपत्ति पर टेक ओवर नहीं हो सकेगा और ना ही इसे निवेशकर्ताओं ले सकेंगे.
स्कीम को इस तरह से डिजाइन किया गया था कि असली निवेशक और मालिक का पता ना चले, जिससे सरकारी जांच से बचा जा सके. DDPL और Unicorn के शेयरहोल्डर हेमंत पाटिल और धर्मेश शाह बिना कोई फंड लगाए इसकी संपत्ति के मालिक बन गए थे.
बाद में इन कंपनियों ने प्रवीण राउत को अपने साथ मिलाया. प्रवीण का काम FSI की बिक्री और DDPL और Unicorn के रिहायशी और कमर्शल प्रोजेक्ट को बनवाना था. पता चला कि 10 लाख स्कॉयर फीट जमीन प्रोजेक्ट खत्म होने के बाद प्रवीण राउत को दी जानी थी.
अब ईडी प्रवीण राउत से आगे पूछताछ करके इस खेल से जुड़े और लोगों तक पहुंचना चाहती है. यहां यह समझना भी जरूरी है कि प्रवीण राउत का संजय राउत से क्या कनेक्शन है. दरअसल, अपनी रिमांड रिपोर्ट में ईडी ने साफ कहा है कि प्रवीण राउत संजय राउत के फ्रंटमैन थे. मतलब वह सारे काम करते थे. ईडी का दावा है कि दोनों के बीच कई लेन-देन संदेह के घेरे में हैं.