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शनि शिंगणापुर विवाद कायम, श्रीश्री का फौरी समाधान- अब पुरुष भी नहीं जाएंगे चबूतरे पर

मीडिया को संबोधि‍त करते हुए श्रीश्री रविशंकर ने कहा, 'उस पवित्र चबूतरे पर अब सिर्फ पुजारी ही जा सकेंगे. पुजारी के अलावा अब कोई चबूतरे पर नहीं जाएगा.'

श्रीश्री रविशंकर श्रीश्री रविशंकर
स्‍वपनल सोनल
  • नई दिल्ली,
  • 07 फरवरी 2016,
  • अपडेटेड 9:43 AM IST

शनि शिंगणापुर में लिंगभेद को लेकर रविवार को बातचीत के बाद विवाद और बढ़ गया है. श्रीश्री रवि शंकर के साथ शिंगणापुर ट्रस्ट और भूमाता ब्रिगेड की मुलाकात खत्म हो गई है, जिसके बाद निर्णय किया गया है कि अब चबूतरे पर चढ़कर पूजा-अर्चना सिर्फ पुजारी ही करेंगे. श्रीश्री ने विवाद सुलझने का दावा किया है, जबकि भूमता ब्रिगेड ने बैठक को नाकाम घोषि‍त कर दिया.

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ब्रिगेड की नेता तृप्ति‍ देसाई ने कहा कि बैठक नाकाम रही है, क्योंकि हमारी मांग महिलाओं को चबूतरे पर चढ़कर पूजा करने की इजाजत को लेकरी थी. जबकि बातचीत के बाद यह कहा गया कि अब सभी बाहर से दर्शन करेंगे.

दूसरी ओर, बैठक के बाद मीडिया को संबोधि‍त करते हुए श्रीश्री ने कहा, 'सहमति बनी है कि अब पुरुष और महिला दोनों ही चबूतरे पर नहीं चढ़ेंगे. सिर्फ पुजारी ही पवित्र चबूतरे पर चढ़कर पूजा-अर्चना करेंगे. यहां तक कि अब शि‍ला पर तेल मशीन के द्वारा चढ़ाया जाएगा.' हालांकि, 11 हजार रुपये देकर चबूतरे पर चढ़ने की व्यवस्था को खत्म नहीं किया गया है.

श्रीश्री रविशंकर ने आगे कहा कि यह निर्णय इसलिए किया है कि श‍िला पर अधि‍क तेल चढ़ाने के कारण फिसलन हो जाती है और वहां खतनाक स्थिति बन जाती है. पूर्व में कई ऐसी दुर्घटनाएं हुई हैं, जिनको देखते हुए यह निर्णय किया गया है.

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'कोई भेदभाव नहीं, सब बराबर'
श्रीश्री ने बताया‍ कि इस नई व्यवस्था पर सभी पक्ष राजी हो गए हैं. उन्होंने कहा, 'दो मॉडल हैं एक काशी विश्वनाथ और दूसरा बालाजी मंदिर. सभी बराबर हैं, सभी को मंदिर में प्रवेश का समान अधि‍कार है.'

महिला पुजारी पर आगे होगा विचार
उन्होंने बताया कि जहां तक महिला पुजारी की बात है तो जब वह इसके लिए पूरी तरह से तैयार नहीं हो जाती हैं, उन्हें चबूतरे पर चढ़ने की इजाजत नहीं है. लेकिन जब महिला पुजारी पूरी तरह प्रशिक्षित और तैयार हो जाएंगी इस विषय पर भी विचार किया जाएगा. श्रीश्री ने बताया कि इस मसले पर भूमाता बिग्रेड की तृत्पि‍ देसाई से भी बात हुई है.

दक्षिणा देकर चबूतरे पर चढ़ने की इजाजत
श्रीश्री ने कहा कि मंदिर में पुरुष और महिला को लेकर कोई भेदभाव नहीं किया जाएगा. हालांकि, उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि 11,000 रुपये की राशि अदा कर चबूतरे पर चढ़कर पूजा करने की व्यवस्था को अभी खत्म नहीं किया गया है. कोई भी इतनी दक्षिणा देकर चबूतरे पर चढ़ सकता है. रविशंकर ने कहा कि अगर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री इस बारे में कोई निर्णय करते हैं तो हम उस पर भी विचार करेंगे.

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