Advertisement

शरद पवार, अजित, उद्धव और शिंदे... महाराष्ट्र की चौतरफा जंग में क्यों उखाड़े जा रहे हैं गड़े मुर्दे

महाराष्ट्र में चौतरफा सियासी जंग छिड़ी है. शरद पवार बनाम अजित पवार बनाम उद्धव ठाकरे बनाम एकनाथ शिंदे की इस जंग में अब गड़े मुर्दे क्यों उखाड़े जा रहे हैं?

एकनाथ शिंदे, अजित पवार, उद्धव ठाकरे और शरद पवार (फाइल फोटो) एकनाथ शिंदे, अजित पवार, उद्धव ठाकरे और शरद पवार (फाइल फोटो)
बिकेश तिवारी
  • नई दिल्ली,
  • 13 सितंबर 2023,
  • अपडेटेड 9:27 PM IST

महाराष्ट्र पिछले सवा साल से देश की सियासत का हॉट स्पॉट बना हुआ है. पहले शिवसेना में बगावत के बाद प्रदेश सत्ता परिवर्तन का गवाह बना और फिर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) में भी टूट हो गई. एकनाथ शिंदे ने शिवसेना के 40 विधायकों के साथ बीजेपी से हाथ मिला पहले सूबे में सरकार बनाई और फिर पार्टी के नाम और निशान की जंग में भी उद्धव ठाकरे को मात दे दी. एनसीपी भी उसी राह पर है. अजित पवार ने पहले एनसीपी प्रमुख शरद पवार से अलग राह अपना बीजेपी और शिवसेना से हाथ मिला लिया. अजित महाराष्ट्र सरकार में डिप्टी सीएम बन गए और अब पार्टी के नाम-निशान की लड़ाई भी चुनाव आयोग की चौखट पर लड़ी जा रही है.

Advertisement

ये भी पढ़ें13 तारीख, 13 सवाल और 13 नेता... INDIA गठबंधन की पहली कोऑर्डिनेशन मीटिंग में होगा असली 'खेल'!

महाराष्ट्र की दो पार्टियां अब चार दलों में बंट चुकी हैं. शिवसेना का नाम-निशान गंवाने के बाद उद्धव ठाकरे शिवसेना (यूबीटी) बनाकर सक्रिय हैं तो वहीं एनसीपी में भी दो गुट हो गए हैं- शरद पवार और अजित पवार के. दोनों दलों के दो-दो गुट में चौतरफा जंग छिड़ी हुई है. उद्धव ठाकरे, एकनाथ शिंदे और उनके समर्थकों को गद्दार बताते नहीं चूक रहे तो वहीं शरद पवार ने अलग राह पकड़ने वालों को सबक सिखाने की बात कही थी लेकिन अब ये कहते नहीं थक रहे कि अजित भी एनसीपी के ही नेता हैं.

महाराष्ट्र की इस चौतरफा सियासी लड़ाई में अब भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की भी एंट्री हो गई है. गड़े मुर्दे उखाड़े जा रहे हैं. बीजेपी नेता और महाराष्ट्र सरकार के मंत्री गिरीश महाजन ने शरद पवार पर निशाना साधा है तो वहीं शिवसेना (शिंदे) के विधायक सदा सरवणकर ने उद्धव ठाकरे और संजय राउत पर हमला बोला है.

Advertisement

गिरीश महाजन ने क्या कहा

गिरीश महाजन ने नासिक में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए दावा किया कि 2019 में चुनाव के बाद शरद पवार ने बीजेपी को समर्थन का आश्वासन दिया था और वे चार बैठकों में शामिल भी हुए थे. अजित पवार का शपथ ग्रहण तय था लेकिन इसके बाद पवार ने इसे बीजेपी की चाल बता दिया जबकि ये पवार की अपनी गुगली थी. ऐसे काम करना पवार की परंपरा रही है. 2014 के बाद महाराष्ट्र में कई बार राजनीतिक उथल-पुथल देखने को मिला और उनमें एनसीपी की अहम भूमिका थी.

सदा सरवणकर ने क्या कहा

सदा सरवणकर ने महाराष्ट्र के कोल्हापुर में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए दावा किया है कि साल 2000 में जब मेरा टिकट कटा तब मुझे ये बताया गया कि मनोहर जोशी ने ऐसा किया है. मनोहर जोशी से पूछा तो उन्होंने मातोश्री जाने के लिए कहा. मातोश्री गया तो उद्धव ठाकरे के करीबी मिलिंद नार्वेकर ने कहा कि आपको मनोहर जोशी के घर पर हमला करना चाहिए. जब मनोहर जोशी के घर जा रहा था तब रास्ते में संजय राउत का फोन आया. राउत ने कहा कि रास्ते में पेट्रोल पंप है. वहां से पेट्रोल ले लेना और मनोहर जोशी के घर को आग लगा देना, कुछ भी मत छोड़ना. हमने मातोश्री के आदेश का पालन किया था.

Advertisement

क्यों उखाड़े जा रहे हैं गड़े मुर्दे?

साल 2019 में देवेंद्र फडणवीस और अजित पवार के नेतृत्व वाली तीन दिन की सरकार में शरद पवार की भूमिका पर पहले भी काफी बात हो चुकी है. महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस ने कहा था कि इस सरकार के गठन में शरद पवार की भूमिका थी. फडणवीस के बयान के बाद खुद शरद पवार भी ये बोल चुके हैं कि ये मेरी ही गुगली थी. ऐसे में अब गिरीश महाजन के बयान का क्या मतलब?

वरिष्ठ पत्रकार आशीष शुक्ला ने कहा कि फडणवीस का दावा हो या शरद पवार की स्वीकारोक्ति, ये दोनों ही बयान एनसीपी में टूट से पहले के हैं. अब अजित पवार बीजेपी के साथ सरकार का हिस्सा बन चुके हैं और चुनाव आयोग में एनसीपी पर कब्जे की जंग चल रही है. शरद पवार हों या उद्धव ठाकरे, दोनों ही नेताओं के प्रति सहानुभूति है. ये कहीं लहर न बन जाए और चुनाव में नुकसान न उठाना पड़े, शिंदे और अजित गुट को ये चिंता है. इसी सहानुभूति फैक्टर को जीरो करने के लिए गड़े मुर्दे उखाड़े जा रहे हैं.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement