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महाराष्ट्र: राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के हाथों पुरस्कार लेने से शरद पवार के भतीजे ने किया इनकार, ये है पूरा मामला

एनसीपी चीफ शरद पवार के भतीजे राजेंद्र पवार ने सवाल उठाया कि महाराष्ट्र की अस्मिता को धूमिल करने वालों के हाथों से पुरस्कार कैसे लिया जाए? आपको बता दें कि राजेंद्र पवार उपमुख्यमंत्री अजीत पवार के चचेरे भाई और विधायक रोहित पवार के पिता हैं.

शरद पवार. -फाइल फोटो शरद पवार. -फाइल फोटो
aajtak.in
  • बारामती,
  • 02 मई 2022,
  • अपडेटेड 2:17 PM IST
  • कृषि क्षेत्र में काम करने वालों को दिया जाना है पुरस्कार
  • महाराष्ट्र की छवि खराब करने की कोशिश की गई: राजेंद्र पवार

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के चीफ शरद पवार के भतीजे ने महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के हाथों से पुरस्कार लेने से इनकार कर दिया है. शरद पवार के भतीजे राजेंद्र पवार ने कहा कि महाराष्ट्र की छवि खराब करने वाले किसी व्यक्ति से पुरस्कार लेने के बजाय मैं कृषि कार्यालय में एक सिपाही से पुरस्कार स्वीकार करना पसंद करूंगा.

दरअसल, डॉक्टर पंजाबराव देशमुख कृषि पुरस्कार का आज वितरण किया जाना है. राजेंद्र पवार बारामती स्थित कृषि विज्ञान केंद्र के अध्यक्ष हैं. उन्हें कृषि और शिक्षा के क्षेत्र में किए गए उल्लेखनीय कार्यों को लेकर डॉक्टर पंजाबराव देशमुख कृषिरत्न पुरस्कार देने की घोषणा की गई है. आज ही राज्य सरकार की तरफ से राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के हाथों इस पुरस्कार का वितरण किया जाना है. 

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कृषि क्षेत्र में काम करने वालों को दिया जाना है पुरस्कार

रविवार को महाराष्ट्र स्थापना दिवस था और आज पिछले तीन साल में कृषि के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने वाले किसानों को पुरस्कार दिया जाना है. पवार पुरस्कार वितरण कार्यक्रम में मौजूद नहीं रहेंगे. इस संदर्भ में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि यह छत्रपति शिवाजी महाराज का महाराष्ट्र है. इस राज्य में छत्रपति शिवाजी महाराज जैसे महान राजा के शासन करते समय किसानों की फसलों की रक्षा की जाती थी. सभी जानते हैं कि उन्होंने अपने प्रशासन को किसानों की देखभाल करने का आदेश दिया था. उनका आदर्श हमारे सामने है.

राजेंद्र पवार ने कहा कि पंजाबराव देशमुख जिनके नाम पर यह पुरस्कार दिया जाता है, उन्होंने महाराष्ट्र की कृषि नीति की सराहना की. बाद में महाराष्ट्र की कृषि को समृद्धि के पथ पर ले गए.  इसके अलावा महात्मा ज्योतिराव फुले और सावित्रीबाई फुले ने महाराष्ट्र में महिला शिक्षा के द्वार खोले. छत्रपति शिवाजी महाराज ही उनके आदर्श हैं. हम फुले-शाहू-आंबेडकर के बारे में सोचते हैं और जिस काम के लिए और जिनके नाम पर यह पुरस्कार दिया जाता है, उसे देखते हुए यह पुरस्कार कृषि कार्यालय में और मुख्यमंत्री के हाथों स्वीकार करना उचित होता.

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महाराष्ट्र की छवि खराब करने की कोशिश की गई: राजेंद्र पवार

राजेंद्र पवार ने कहा कि पिछले कुछ दिनों में महाराष्ट्र की छवि खराब करने की कोशिश की गई है. जिस महान दंपति महात्मा फुले और सावित्रीबाई फुले ने शिक्षा के द्वार खोले, उनके बारे में जो लोग निचले स्तर तक जाते हैं और उनकी निंदा करते हैं, जो लोग महाराष्ट्र का इतिहास नहीं जानते हैं उनके हाथों मुझे पुरस्कार दिया जाएगा तो मैं उनसे यह पुरस्कार कैसे स्वीकार कर सकता हूं? पवार ने कहा, "मैं इसके बजाय कृषि कार्यालय जाऊंगा और पुरस्कार स्वीकार करूंगा."

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