
एनसीपी के शरद पवार गुट के विधायक इन दिनों बैचान नजर आ रहे हैं. उन्होंने प्रदेश अध्यक्ष जयंत पाटिल से अजित पवार और बागी विधायकों के बारे में जल्द से जल्द रुख स्पष्ट करने को कहा है. यहां तक कि उन्होंने इस मुद्दे पर एनसीपी प्रमुख शरद पवार की लंबे समय तक चुप्पी को लेकर भी नाराजगी व्यक्त की और जयंत पाटिल से पार्टी प्रमुख शरद पवार तक अपनी भावनाओं से अवगत कराने को कहा है.
दो दिन पहले जयंत पाटिल ने एनसीपी विधायकों को ताज महल होटल में डिनर के लिए आमंत्रित किया था. इसका मकसद सहयोगी विधायकों की भावनाओं को समझने की कोशिश था. डिनर में एक दर्जन से अधिक विधायक पहुंचे थे. इनमें जितेंद्र अव्हाड, रोहित पवार, संदीप क्षीरसागर, बालासाहेब पाटिल, अशोक पवार आदि शामिल हैं. हालांकि डिनर में शामिल एक विधायन ने नाम न छापने की शर्त पर आजतक को बताया कि होटल में पाटिल की डिनर डिप्लोमेसी का बिल्कुल उल्टा असर हुआ.
दरअसल, एनसीपी के बागी विधायक छगन भुजबल के गढ़ येओला में शरद पवार की रैली के बाद अजित पवार ने अपने चाचा से लगातार तीन बार मुलाकात की. उन्होंने उन्हें (शरद पवार) अपना नेता बनने और बीजेपी के साथ हाथ मिलाने के लिए मनाने की कोशिश की. उनकी पहली मुलाकात एक बहुत ही परिचित घटना थी जब वह अपनी पत्नी सुनेत्रा और बेटे पार्थ के साथ शरद पवार के निवास सिल्वर ओक गए थे. उस दौरे के बाद अजित पवार ने अपने नवनियुक्त मंत्रियों और अपने समर्थक विधायकों के साथ शरद पवार से मुलाकात की.
नरम पड़े शरद पवार?
शरद पवार गुट के विधायकों का मानना है कि अजित पवार से मुलाकात के बाद एनसीपी प्रमुख शरद पवार का रुख काफी नरम हो गया है. उन्होंने उनके खिलाफ कोई सार्वजनिक बयान नहीं दिया है. यहां तक कि उन्होंने अपने समर्थकों को फोन कर अपनी अगली कार्ययोजना भी नहीं बताई है. दूसरी ओर विधानसभा में प्रदेश अध्यक्ष जयंत पाटिल आक्रामक नहीं दिख रहे हैं और न ही अहम मुद्दों पर बोल रहे हैं.
पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच भ्रम की स्थिति
उधर, सुनील तटकरे से उनकी मुलाकात और गले मिलने से शरद पवार के साथ रहने वाले विधायकों में बेचैनी बढ़ गई है. उसी विधानसभा सत्र में अजित पवार ने सभी 54 विधायकों को भारी धनराशि आवंटित की, उन्होंने विधायकों के समर्थन के आधार पर कोई आंशिक वितरण नहीं किया है. लेकिन उन्होंने कांग्रेस और शिवसेना (यूबीटी) गुट को पर्याप्त धन नहीं दिया है. इस तरह की कई घटनाओं और सार्वजनिक डोमेन में मौजूद तस्वीरों से कैडर, पार्टी कार्यकर्ताओं और आम लोगों के बीच भ्रम बढ़ गया है.
विधानसभा में जाने से कतरा रहे एनसीपी विधायकअजित पवार द्वारा पार्टी और चुनाव चिह्न पर दावा करने के बाद भी शरद पवार का उन पर नरम रुख अपनाना विधायकों की बेचैनी बढ़ाने वाली बात है. परिदृश्य को देखने के बाद अधिकांश एनसीपी विधायक विधानसभा में बैठने का विकल्प नहीं चुन रहे हैं. उनमें से अधिकांश सिर्फ मस्टर पर हस्ताक्षर करने और विधान भवन के चारों ओर घूमने और संबंधित मंत्रियों से व्यक्तिगत रूप से मिलने और अपने काम का जायजा लेने आए थे.
'भ्रमित स्थिति में स्टैंड न लेना ही बेहतर'
नाम न छापने की शर्त पर एक विधायक ने बताया कि अगर हम विधानसभा में जाएंगे तो हमें एक गुट चुनना होगा और उसके अनुसार बैठना होगा. अपने रुख पर स्पष्टता के बिना किसी एक पवार को चुनना एक दुविधा है क्योंकि अगर हम एक को चुनेंगे तो दूसरा हमसे नाराज हो जाएगा. और इस भ्रमित स्थिति में स्टैंड न लेना ही बेहतर है.
एक अन्य विधायक ने कहा कि हम इस बारे में पूरी तरह से अनजान हैं कि शरद पवार अभी क्या सोच रहे हैं और चुनाव आयोग के नोटिस के बाद उनकी अगली योजना क्या है. बिना किसी स्पष्टता के लोगों के पास जाना या अपने निर्वाचन क्षेत्र में जाना आसान काम नहीं है.
1 अगस्त को पीएम मोदी के साथ मंच साझा करेंगे शरद पवार
गौरतलब है कि शरद पवार 1 अगस्त को पुणे में पीएम नरेंद्र मोदी के साथ मंच साझा करने जा रहे हैं. तिलक स्मारक समिति उनकी उपलब्धियों के लिए पीएम को सम्मानित करने जा रही है. इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि शरद पवार हैं. वहीं जब विधायक असमंजस की स्थिति में हैं तब शरद पवार दिल्ली में भारत की बैठक में उपस्थित हुए और यहां तक कि उन्होंने एकजुटता दिखाने के लिए निलंबित आप सांसद संजय सिंह से भी मुलाकात की.