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'दिल्ली में लगाई जाएं मराठा साम्राज्य के योद्धाओं की प्रतिमाएं', शरद पवार ने पीएम मोदी को लिखी चिट्ठी

शरद पवार ने कहा कि पुणे स्थित एक एनजीओ ने तालकटोरा स्टेडियम में पेशवा बाजीराव, महादजी शिंदे और होल्कर की प्रतिमाएं लगाने की योजना बनाई थी, लेकिन साहित्यकारों और इतिहासकारों ने तीनों योद्धाओं की घुड़सवार प्रतिमाओं के पक्ष में अपना पक्ष रखा है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और शरद पवार (फाइल फोटो) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और शरद पवार (फाइल फोटो)
aajtak.in
  • नई दिल्ली ,
  • 15 मार्च 2025,
  • अपडेटेड 5:17 PM IST

NCP (एसपी) प्रमुख शरद पवार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से दिल्ली स्थित तालकटोरा स्टेडियम में मराठा साम्राज्य के तीन महान योद्धाओं- पेशवा बाजीराव प्रथम, महादजी शिंदे और मल्हारराव होल्कर की प्रतिमाएं स्थापित करने की अनुमति देने का अनुरोध किया है. तालकटोरा स्टेडियम और उसके आसपास का इलाका 18वीं शताब्दी में मुगलों के खिलाफ मराठा अभियानों का प्रमुख केंद्र रहा है.

शरद पवार ने कहा कि पुणे स्थित एक एनजीओ ने तालकटोरा स्टेडियम में पेशवा बाजीराव, महादजी शिंदे और होल्कर की प्रतिमाएं लगाने की योजना बनाई थी, लेकिन साहित्यकारों और इतिहासकारों ने तीनों योद्धाओं की घुड़सवार प्रतिमाओं के पक्ष में अपना पक्ष रखा है.

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उन्होंने पीएम मोदी को लिखे पत्र में कहा कि कई साहित्यकारों और शुभचिंतकों ने यह भावना व्यक्त की है कि पूर्ण आकार की घुड़सवार प्रतिमाएं उनकी वीरता और योगदान के लिए अधिक उपयुक्त श्रद्धांजलि होंगी. 

शरद पवार ने कहा कि तालकटोरा स्टेडियम नई दिल्ली नगर निगम (एनडीएमसी) के अधिकार क्षेत्र में आता है, इसलिए वह दिल्ली सरकार और एनडीएमसी को पूर्ण आकार की घुड़सवार प्रतिमाएं स्थापित करने के लिए निर्देश देने की प्रधानमंत्री मोदी से मांग कर रहे हैं. 

तालकटोरा स्टेडियम 98वें मराठी साहित्य सम्मेलन का स्थल भी था जिसका उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था. उन्होंने कहा कि सरहद पुणे और अखिल भारतीय मराठी साहित्य महामंडल द्वारा आयोजित इस साहित्यिक उत्सव को आपके सम्मानित नेतृत्व में ऐतिहासिक महत्व प्राप्त हुआ. 

शरद पवार ने पीएम मोदी को लिखे पत्र में कहा कि आपके गहन और व्यावहारिक भाषण ने दुनियाभर के मराठी लोगों को गहराई से प्रभावित किया. उद्घाटन समारोह के दौरान मेरे प्रति अपने विशेष स्नेह को प्रदर्शित करने के लिए मैं आपका आभारी हूं. प्रधानमंत्री का नेतृत्व हमेशा भारत के गौरवशाली अतीत को सम्मानित करने और संरक्षित करने में सहायक रहा है.

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