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BMC चुनाव के लिए गुजराती वोटरों को लुभाने में जुटी शिवसेना, ‘जलेबी-फाफड़ा इवेंट’ का आयोजन

इस इवेंट में 11 गुजराती कारोबारियों ने शिवसेना का दामन थामा. मुंबई में गुजराती समुदाय के लोगों की संख्या करीब 30 लाख है. बीएमसी की 55 से ज्यादा सीटों पर गुजराती समुदाय के वोट मायने रखते हैं.

गुजराती वोटरों को आकर्षित करने के लिए शिवसेना ने ‘जलेबी फाफड़ा इवेंट’ का आयोजन किया है. गुजराती वोटरों को आकर्षित करने के लिए शिवसेना ने ‘जलेबी फाफड़ा इवेंट’ का आयोजन किया है.
सौरभ वक्तानिया
  • मुंबई,
  • 10 जनवरी 2021,
  • अपडेटेड 4:15 PM IST
  • शिवसेना ने नारा दिया- ‘जलेबी अने फाफड़ा, उद्धव साहेब आपड़ा’  
  • मुंबई में गुजराती समुदाय की आबादी करीब 30 लाख  
  • जलेबी और फाफड़ा गुजरातियों के पसंदीदा व्यंजन माने जाते हैं

बृहन्मुंबई महानगरपालिका (BMC) चुनावों के लिए शिवसेना अभी से ही कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती. उसकी कोशिश समाज के हर वर्ग के वोटरों को लुभा कर अपना आधार बढ़ाने की है. ऐसे में गुजराती वोटरों को आकर्षित करने के लिए शिवसेना ने ‘जलेबी फाफड़ा इवेंट’ का आयोजन किया और साथ ही नारा दिया, ‘जलेबी अने फाफड़ा, उद्धव साहेब आपड़ा’ (जलेबी और फाफड़ा, उद्धव साहेब अपने). जलेबी और फाफड़ा गुजरातियों के पसंदीदा व्यंजन माने जाते हैं. 

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इस इवेंट में 11 गुजराती कारोबारियों ने शिवसेना का दामन थामा. मुंबई में गुजराती समुदाय के लोगों की संख्या करीब 30 लाख है. बीएमसी की 55 से ज्यादा सीटों पर गुजराती समुदाय के वोट मायने रखते हैं. 

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शिवसेना नेता हेमराज शाह ने इस इवेंट का आयोजन किया. शाह ने आजतक से कहा “1993 में शिवसेना ही थी जिसने हमें बचाया. बीजेपी कहीं नहीं देखी गई थी. बाला साहेब ठाकरे ने हिन्दुओं को बचाने की जिम्मेदारी ली थी. अगर आप सुरक्षित रहना चाहते हैं तो शिवसेना हमारे साथ है. असल में गुजराती लोग बीजेपी से बहुत नाखुश हैं. हमारे लिए कारोबार बहुत अहम है. जीएसटी और नोटबंदी ने गुजराती समुदाय के कारोबार को तबाह कर दिया.” 

बीएमसी पार्षद राजुल पटेल भी इवेंट में मौजूद रहे. पटेल ने कहा, मैं खुद भी गुजराती हूं और शिवसेना में 1990 से हूं. शिवसेना हर किसी का समर्थन करती है. महाराष्ट्र के लोगों पर सरस्वती और गुजराती लोगों पर लक्ष्मी का हाथ है. गुजरातियों ने मोदी जी को ध्यान में रखकर वोट किया, लेकिन बदले में उन्हें क्या मिला?  बोरिवली और दहिसर को गुजराती समुदाय बेल्ट माना जाता है लेकिन यहां विनोद तावड़े को टिकट दिया गया, किसी गुजराती को यहां से खड़ा किया जाना चाहिए था.”  

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पटेल ने आगे कहा, “हिन्दुत्व के लिए सिर्फ शिवसेना ने ही स्टैंड लिया, 1992 की अयोध्या की घटना गवाह है, निश्चित रूप से गुजराती वोटर शिवसेना को समर्थन करेंगे. गुजराती बीजेपी से बहुत नाखुश हैं. सभी कानून आम लोगों पर थोपे जा रहे हैं.”  

गुजराती वोटरों को लुभाने के लिए शिवसेना की आगे भी मुंबई में कई कार्यक्रम करने की योजना है. शिवसेना की नजर गुजराती समुदाय से कई नेताओं और कारोबारियों को अपने पाले में लाने पर है.

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