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उद्धव से छिना शिवसेना का नाम और तीर कमान, चुनाव आयोग में शिंदे गुट की बड़ी जीत

महाराष्ट्र की राजनीति में लंबे समय से उठापटक जारी है. शिवसेना का नाम और पार्टी का निशान तीर-कमान उद्धव ठाकरे से छिन गया है. क्योंकि चुनाव आयोग ने एकनाथ शिंदे गुट पार्टी का नाम शिवसेना और पार्टी का चुनाव चिह्न तीर कमान सौंप दिया है.

एकनाथ शिंदे और उद्धव ठाकरे (फाइल फोटो) एकनाथ शिंदे और उद्धव ठाकरे (फाइल फोटो)
ऐश्वर्या पालीवाल
  • नई दिल्ली,
  • 17 फरवरी 2023,
  • अपडेटेड 11:01 PM IST

महाराष्ट्र की राजनीति में लंबे समय से उठापटक जारी है. शिवसेना के नाम और पार्टी के सिंबल पर हक को लेकर उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे के बीच पिछले कुछ समय से तनातनी चल रही थी. इसी बीच चुनाव आयोग ने बड़ा फैसला सुनाया है. EC के इस फैसले के बाद शिवसेना का नाम और पार्टी का निशान उद्धव ठाकरे से छिन गया है. चुनाव आयोग ने एकनाथ शिंदे गुट को पार्टी का नाम और शिवसेना का प्रतीक तीर कमान सौंप दिया है.

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सीएम शिंदे बोले- ये लोकतंत्र की जीत

चुनाव आयोग के इस फैसले के बाद महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे ने आजतक से बातचीत करते हुए कहा कि ये लोकतंत्र की जीत है. लोग हमसे जुड़ रहे हैं. ये सत्य की जीत है. ये बालासाहेब के विचारों की जीत है. एकनाथ शिंदे ने कहा कि ये लाखों कार्यकर्ताओं की जीत है.  

संजय राउत बोले- ये लोकतंत्र की हत्या

चुनाव आयोग के इस फैसले के बाद शिवसेना सांसद संजय राउत ने ट्वीट कर कहा कि इसकी स्क्रिप्ट पहले से ही तैयार थी. देश तानाशाही की ओर बढ़ रहा है. जबकि कहा गया था कि नतीजा हमारे पक्ष में होगा. लेकिन अब एक चमत्कार हो गया है. लड़ते रहो. संजय राउत ने कहा कि ऊपर से नीचे तक करोड़ों रुपए पानी की तरह बहाया है. हमें फिक्र करने की जरूरत नहीं है, क्योंकि जनता हमारे साथ है. लेकिन हम जनता के दरबार में नया चिह्न लेकर जाएंगे और फिर से शिवसेना खड़ी करके दिखाएंगे, ये लोकतंत्र की हत्या है.

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उद्धव गुट के नेता ने की फैसले की निंदा

उद्धव ठाकरे गुट के नेता आनंद दुबे ने कहा कि वहीं आदेश आया है, जिसका हमें अंदेशा था. उन्होंने कहा कि हम कहते रहे हैं कि हमें चुनाव आयोग पर भरोसा नहीं है. जब मामला सुप्रीम कोर्ट के विचाराधीन है और कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है, तो चुनाव आयोग द्वारा यह जल्दबाजी दिखाती है कि यह केंद्र सरकार के तहत भाजपा एजेंट के रूप में काम करता है. हम इसकी निंदा करते हैं.

इस आधार पर चुनाव आयोग ने सुनाया फैसला

शिवसेना अब शिंदे गुट की हो गई है. निर्वाचन आयोग ने शिंदे गुट को ही असली शिवसेना का नियंत्रक बना दिया है. अपने 78 पेज के फैसले में निर्वाचन आयोग ने कहा कि विधान मंडल के सदन से लेकर संगठन तक में बहुमत शिंदे गुट के ही पास दिखा है. आयोग के सामने दोनों पक्षों ने अपने-अपने दावे और उनकी पुष्टि के लिए दस्तावेज प्रस्तुत किए थे.

एकनाथ शिंदे गुट के पास एकीकृत शिवसेना के टिकट पर जीत कर आए कुल 55 विजयी विधायकों में से 40 आमदार यानी विधायक हैं. पार्टी में कुल 47,82,440 वोटों में से 76 फीसदी यानी 36,57,327 वोटों के दस्तावेज शिंदे गुट ने अपने पक्ष में पेश कर दिए.

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उद्धव ठाकरे गुट ने शिवसेना पर पारिवारिक विरासत के साथ ही राजनीतिक विरासत का दावा करते हुए 15 विधायकों और कुल 47,82,440 वोट में से सिर्फ 11,25,113 वोटों का ही दस्तावेजी सबूत पेश कर पाए थे. यानी कुल 23.5 फीसदी वोट ही ठाकरे गुट के पास थे. शिवसेना के कुल 55 आमदार यानी विधायकों में सिर्फ 15 का समर्थन ठाकरे गुट के पास था.

पार्टी में उभरे थे दो गुट

दरअसल, पिछले साल जून में जब एकनाथ शिंदे ने तख्तापलट किया था तो पार्टी में दो गुट उभर आए थे. पार्टी उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे के समर्थकों के बीच बंट गई थी. शिंदे गुट की बगावत के बाद महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे को सीएम पद से इस्तीफा देना पड़ा था. बाद में एकनाथ शिंदे ने सीएम औऱ देवेंद्र फडणवीस ने डिप्टी सीएम पद की शपथ ली थी.

इसके बाद उद्धव गुट औऱ एकनाथ शिंदे गुट असली शिवसेना की पहचान के लिए आमने सामने आ गए थे. जहां एकनाथ शिंदे गुट का कहना था कि हम बालासाहेब ठाकरे की विचारधारा को आगे बढ़ा रहे हैं. वहीं उद्धव गुट शिवसेना पर अपना दावा ठोक रहा था. 

महाराष्ट्र में सत्ता में बदलाव के बाद उद्धव गुट औऱ एकनाथ शिंदे गुट असली शिवसेना की पहचान के लिए आमने सामने आ गए थे. जहां एकनाथ शिंदे गुट का कहना था कि हम बालासाहेब ठाकरे की विचारधारा को आगे बढ़ा रहे हैं. वहीं उद्धव गुट शिवसेना पर अपना दावा ठोक रहा था. 

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दोनों गुटों ने खटखटाया था EC का दरवाजा

इसके बाद उद्धव गुट और शिंद गुट ने शिवसेना के नाम और पार्टी के प्रतीक चिह्न तीर कमान को लेकर चुनाव आयोग का दरवाजा खटखटाया था. अक्टूबर 2022 में शिंदे गुट को पार्टी के प्रतीक के रूप में दो तलवार और ढाल के साथ बालासाहेबंची शिवसेना (बालासाहेब की शिवसेना) नाम दिया गया था. जबकि उद्धव गुट को शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) नाम दिया गया था और प्रतीक चिह्न मशाल दिया गया था. 

दरअसल, शिवसेना के धनुष और बाण चिन्ह के स्वामित्व पर अंतिम सुनवाई जनवरी में हुई थी. चुनाव आयोग का आखिरी फैसला शुक्रवार को आया. हालांकि इस फैसले से जहां शिंदे गुट में जश्न का माहौल है, तो वहीं, उद्धव गुट के लिए ये बड़ा झटका है. चुनाव आयोग के इस फैसले के बाद उद्धव गुट के नेताओं ने कहा कि हमें पहले ही इस आदेश का अंदेशा था.
 

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