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शिवसेना का BJP पर फिर हमला, पूछा- महाराष्ट्र टूट रहा है उसका क्या?

शिवसेना ने सामना की संपादकीय में बीजेपी के 'मिशन मुंबई' को दिल्ली के बादशाहत की कमीशन मुंबई कहा है. साथ ही दशहरा रैली को लेकर हुए विवाद को पर भी शिंदे गुट और बीजेपी को चुनौती दी गई है. बीजेपी पर गंभीर आरोप करते हुए सामना में लिखा गया है कि, वज्रमुट्ठी को तोड़ कर भाजपा मजे से देख रही है. यह महाराष्ट्र में हर जगह किया जा रहा है.

उद्धव ठाकरे (File Photo) उद्धव ठाकरे (File Photo)
ऋत्विक भालेकर
  • मुंबई,
  • 05 सितंबर 2022,
  • अपडेटेड 10:02 AM IST

महाराष्ट्र में सत्ता से बेदखल होने के बाद शिवसेना लगातार भाजपा पर हमलावर है. बीजेपी पर निशाना साधने के लिए पार्टी अपने मुखपत्र सामना का सहारा भी लेने से नहीं चूक रही है. अब एक बार फिर सामने की संपादकीय के जरिए भाजपा को निशाना बनाया गया है. ये हमला ठीक उस समय किया गया, जब केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह मुंबई के दौरे पर हैं.

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शिवसेना ने सामना की संपादकीय में बीजेपी के 'मिशन मुंबई' को दिल्ली के बादशाहत की कमीशन मुंबई कहा है. साथ ही दशहरा रैली को लेकर हुए विवाद को पर भी शिंदे गुट और बीजेपी को चुनौती दी गई है.

बीजेपी पर गंभीर आरोप करते हुए सामना में लिखा गया है कि, वज्रमुट्ठी को तोड़ कर भाजपा मजे से देख रही है. यह महाराष्ट्र में हर जगह किया जा रहा है. शिवसेना को तोड़कर उन्हें आपस में लड़ाकर समाप्त कर देना है. इसी में आज के बेईमानों को क्षणिक लाभ मिला, लेकिन महाराष्ट्र टूट रहा है उसका क्या?

मिशन मुंबई यानी दिल्ली की बादशाहत का ‘कमीशन मुंबई’ है. मुंबई के मराठी लोगों में फूट डालना, उसके लिए सत्ता और धन का भरपूर उपयोग करना. यही बीजेपी की चाल है.

सड़े मस्तिष्क के राजनेताओं... जब आप गुदड़ी गीली कर रहे थे, तब से शिवसेना शिवतीर्थ पर दशहरा सम्मेलन का सीमाल्लंघन करती आई है. दशहरा सम्मेलन शिवसेना का ही है. इस पर जनता ही नहीं बल्कि देवी-देवताओं, संतों और सज्जनों ने कई बार मुहर लगाई है. दशहरा सम्मेलन से फूंके गए बिगुल से ‘कमलाबाई’ के वैभव में भी निखार आया.

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कहा जा रहा है यह दशहरा सम्मेलन अब कोई पतित शिंदे गुट लेगा. इसलिए शिवसेना का दशहरा सम्मेलन होगा या नहीं? इसे लेकर चर्चा शुरू हो गई है. शिवसेना का दशहरा सम्मेलन यानी बेईमानों का ‘बड़बोले’ बेकार लोगों का मेला नहीं होता. वह असली ज्वलंत मराठी हिंदुत्व के अभिमान का उफनता जनसागर होता है. दशहरा सम्मेलन का शिवतीर्थ से एक नाता है. यह नाता तोड़ने वालों की 56 पीढ़ियां भी नीचे उतर जाएं तो भी संभव नहीं होगा.

संपादकीय में आगे लिखा गया है कि सर्वोच्च न्यायालय को हमने मैनेज कर लिया, ऐसी भाषा बोलनेवाले एक बार किराए की भीड़ जमा कर खुद की जय-जयकार करेंगे भी, लेकिन ऐसे हवा के बुलबुले आते हैं और फूट जाते हैं. इतिहास में ऐसे कई फरेबी पैदा हुए और केंचुए की तरह नष्ट हो गए.

भारतीय जनता पार्टी को लगता है कि शिवतीर्थ पर ही मराठी लोगों में दो फाड़ हो और वहीं मराठी खून बहे. शिवसेना को पराजित करके मुंबई के निवाले को निगलना, यह उनका मिशन है फिर भी ऐसे महाराष्ट्रद्रोही मिशनवालों से ‘सामना’ करने का सामर्थ्य शिवसेना की कलाई में है.

शिवसेना से आमने-सामने दो हाथ नहीं कर सकते. फिर तोड़ो-फोड़ो, मजा देखो. आपस में झगड़े लगाओ, यह ब्रिटिश नीति अपनाई जा रही है. यानी इन बेईमान पतितों की खबर लेने के लिए महाराष्ट्र की जनता सक्षम और समर्थवान है. शिवतीर्थ पर दो फाड़ करके कमलाबाई की भाजपा आज खुशी से नाच रही है. लेकिन वे अपने सपनों में चकरा गए हैं.

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मराठी लोगों को आपस में लड़ाया जा रहा है. कमलाबाई का यही तो मिशन था. उनकी पार्टी कमीशनखोरी की मलाई से तरी हुई है. लेकिन यह राज्य शिवराय का है. यहां बालासाहेब ठाकरे ने स्वाभिमानी मर्द मावले तैयार किए हैं, जिन्होंने मरी मां का दूध नहीं पिया है यह ध्यान रखो!

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