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'बार में कलाकारों पर नोट बरसाना अश्लील हरकत', मुंबई पुलिस की कोर्ट में दलील, जानें पूरा मामला

मामला बार में गुजरात के दो व्यापारियों को पकड़े जाने का है. आरोपियों ने 21 नवंबर, 2019 को सीआरपीसी की धारा 239 के तहत आरोपमुक्त करने के लिए आवेदन दिया था. मजिस्ट्रेट कोर्ट के साथ-साथ सेशन कोर्ट ने आवेदन को खारिज कर दिया था. निचली अदालत के आदेश के खिलाफ आरोपी ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था.

बार में पकड़े गए दोनों व्यापारियों को हाई कोर्ट से राहत मिली है. -सांकेतिक तस्वीर बार में पकड़े गए दोनों व्यापारियों को हाई कोर्ट से राहत मिली है. -सांकेतिक तस्वीर
विद्या
  • मुंबई,
  • 28 जुलाई 2022,
  • अपडेटेड 11:52 PM IST
  • बार में पकड़े गए थे सूरत के कारोबारी
  • हाई कोर्ट में दाखिल की थी याचिका

मुंबई के एक बार में पुलिस छापेमारी के दौरान मिले सूरत के दो व्यापारियों की याचिका पर गुरुवार को बॉम्बे हाई कोर्ट ने सुनवाई की. इस दौरान कोर्ट ने दोनों व्यापारियों को निचली अदालत में पेश होने से छूट देकर अंतरिम राहत दी.

दोनों व्यापारियों की ओर से पेश वकील मतीन शेख और अंसार तंबोली ने हाई कोर्ट को बताया कि वे लोग बार में बैठकर शराब पी रहे थे. इस पर जस्टिस पीडी नाइक ने पूछा, 'आप वहां क्यों गए? विभिन्न प्रकार के बार हैं."

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शेख और तंबोली ने समझाया कि होटल, रेस्तरां और बार रूम में अश्लील नृत्य के खिलाफ और महिलाओं की गरिमा की सुरक्षा (उनमें काम करने वाली) 2016 के तहत उन पर मुकदमा नहीं चलाया जा सकता है क्योंकि वे केवल ग्राहक हैं और बार के मालिक या कार्यकर्ता नहीं हैं.

निचली अदालतों ने तथ्य को किया नजरअंदाज: व्यापारियों के वकीलों का तर्क

व्यापारियों के वकीलों ने तर्क दिया कि निचली अदालतों ने इस तथ्य को नजरअंदाज कर दिया था कि याचिकाकर्ताओं के खिलाफ कोई आरोप नहीं था कि वे सार्वजनिक स्थान पर कोई अश्लील नृत्य या कोई कार्य नहीं कर रहे हैं जो कि आईपीसी की धारा 294 की आवश्यक सामग्री है. धारा 294 में कहा गया है कि जो भी सार्वजनिक स्थान पर अश्लील हरकत करता है तो उसके खिलाफ आईपीसी की धारा 294 लागू होती है.

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याचिका में कहा गया है, "यह रिकॉर्ड की बात है कि कोई भी याचिकाकर्ताओं के खिलाफ शिकायत दर्ज कराने के लिए इस आरोप के साथ नहीं आया था कि वे कोई अश्लील काम कर रहे थे जिससे कोई नाराज था और इस तरह शिकायत दर्ज कराई."

उधर, मुंबई पुलिस की ओर से पेश हुए पब्लिक प्रॉसिक्यूटर अरफान सैत ने कहा कि यह मामला 2016 का है जब एक फर्जी ग्राहक बार में गया था और उसने 15 ग्राहकों को कलाकारों पर पैसे बरसते देखा था. पुरुषों को अश्लील हरकतों के लिए गिरफ्तार किया गया था.

यह सुनते ही जस्टिस नाइक ने पूछा, ''जो लोग अश्लील हरकत कर रहे थे, क्या उन पर कार्रवाई नहीं की जानी चाहिए?'' सैत ने बताया कि आरोपी बार में बैठकर पैसे बरसा रहे थे. सैत ने कहा, "पैसा बरसाना अश्लील हरकत है." बेंच ने पूछा, "वे पैसे बरसा रहे थे?" सैत ने जोर देकर कहा, "हां." हालांकि सैत ने पुलिस की ओर से आरोपियों के खिलाफ दायर आरोपपत्र पर गौर करने के लिए कुछ समय मांगा.

बता दें कि 2016 में तारदेव पुलिस ने मुंबई के गिरगांव इलाके में ड्रमबीट बार में छापेमारी की थी. बार मालिक, कैशियर, वेटर, कर्मचारियों, 10 महिला नर्तकियों और ग्राहकों को हिरासत में लिया गया था और पुलिस ने 20 रुपये के 40 नोट जब्त किए थे.

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इस मामले में पुलिस ने भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 294 (अश्लील कृत्य और गीत) और महाराष्ट्र की कुछ धारा में होटल, रेस्तरां और बार रूम में अश्लील नृत्य पर प्रतिबंध और महिलाओं की गरिमा की सुरक्षा (उसमें काम करने वाली) 2016 लागू की थी. 

 

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