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अनशन पर बैठे अन्ना बोले-मोदी सरकार ने लोकपाल कानून के साथ की धोखाधड़ी

अन्ना हजारे ने आजतक से बातचीत में कहा, 'मैंने अपना जीवन देश सेवा के लिए समर्पित किया है. एक लड़ाई पकिस्तान के साथ लड़ी और ये लड़ाई देश में छुपे हुए दुश्मनों से जारी है.' उन्होंने कहा कि केंद्र में लोकपाल और राज्य में लोकायुक्त नियुक्त करने के लिए रालेगांव सिद्धि के लिए आंदोलन कर रहा हूं.

समाजसेवी अन्ना हजारे (फाइल-PTI) समाजसेवी अन्ना हजारे (फाइल-PTI)
पंकज खेळकर
  • पुणे,
  • 30 जनवरी 2019,
  • अपडेटेड 7:24 PM IST

समाजसेवी अन्ना हजारे ने लोकपाल की मांग को लेकर एक बार फिर आमरण अनशन शुरू कर दिया है. 2011 में दिल्ली के रामलीला मैदान में अन्ना हजारे ने 13 दिनों का अनशन किया था. तब उनकी लड़ाई कांग्रेस की अगुवाई वाली यूपीए सरकार के खिलाफ थी, इस बार यह लड़ाई भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की अगुवाई वाली एनडीए सरकार के खिलाफ है. उनका कहना है कि बीजेपी समेत अब कोई भी बड़ा दल लोकपाल पर बात नहीं करता.

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अन्ना हजारे ने आजतक से बातचीत में कहा, 'मैंने अपना जीवन देश सेवा के लिए समर्पित किया है. एक लड़ाई पकिस्तान के साथ लड़ी और ये लड़ाई देश में छुपे हुए दुश्मनों से जारी है.' उन्होंने कहा कि केंद्र में लोकपाल और राज्य में लोकायुक्त नियुक्त करने के लिए रालेगांव सिद्धि के लिए आंदोलन कर रहा हूं.

जब पूछा गया कि पिछले आंदोलन से कांग्रेस को सत्ता गंवानी पड़ी. 2013 के आंदोलन से बीजेपी को फायदा हुआ, इस पर अन्ना ने कहा कि पिछली बार आंदोलन कानून बनाने के लिए था और कानून बना फिर केंद्र में नरेंद्र मोदी सरकार आ गई. सरकार में आने के बाद नरेंद्र मोदी सरकार ने लोकपाल कानून के साथ कैसे धोखाधड़ी की यह बताते हुए अन्ना ने कहा कि 18 दिसंबर 2013 को कानून बन गया और 2014 में बीजेपी सत्ता में आई. मोदी सरकार ने लोकपाल नियुक्त करने के बजाए, लोकपाल कानून में एक संशोधन पेश कर दिया. लोकपाल कानून में नियम था, जिसके तहत सरकारी अधिकारी और उसके पत्नी को हर साल 31 दिसंबर तक अपनी प्रॉपर्टी का ब्यौरा देना अनिवार्य था, लेकिन मोदी सरकार यह नियम निकाल दिया यानी भ्रष्टाचार का रास्ता खोल दिया.

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राज्य मंत्री गिरीश महाजन को रालेगण सिद्धि आने से क्यों मना कर दिया, इस सवाल पर अन्ना ने कहा कि गिरीश महाजन मिलने के लिए आते तो उससे आंदोलनकारियों में गलत संदेश जाता कि दोनों के बीच बात हो रही है, लेकिन महाजन के पास फैसला लेने का कोई अधिकार नहीं है. निर्णय तो दिल्ली की नरेंद्र मोदी सरकार लेती है, तो फिर उनसे क्यों मिलना. जब चाभी नरेंद्र मोदी सरकार के पास है, तो जब तक चाभी नहीं लगेगी तो ताला कैसे खुलेगा.

उन्होंने कहा कि कांग्रेस और बीजेपी दोनों के ही दिमाग में इंडस्ट्री बैठी है और जब तक इनके दिमाग में किसान नहीं आता तब तक देश का भविष्य नहीं बनने वाला. राफेल विमान सौदे पर जारी आरोपों पर अन्ना ने कहा कि दोनों दलों में नौटंकी चल रही है. टीवी में हम रोज इनको देख रहे हैं. एक ने वार (आरोप) किया और दूसरे ने पलटवार किया लेकिन घायल कोई नहीं हुआ. दोनों पार्टी की नौटंकी चल रही है.

राहुल गांधी के देश के नेतृत्व करने की क्षमता पर अन्ना ने कहा कि इसके बारे में तय करने का काम जनता का है. उन्होंने कहा कि जनरल वीके सिंह, किरण बेदी, अरविंद केजरीवाल जैसे लोग मेरे साथ लोकपाल की मांग के साथ आए थे, लेकिन उन्हें कुर्सी मिल गई तो वो भूल गए कि लोकपाल कहां है और कैसा है. लोकपाल पर बीजेपी सरकार कोई बात नहीं करती उसी तरह एक समय जो भी लोग मेरे साथ थे वो भी इस पर बात नहीं करते.

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