
सुप्रीम कोर्ट से उद्धव गुट को झटका लगा है जो एकनाथ शिंदे गुट के लिए राहत जैसा है. सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग की कार्रवाई पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है. चुनाव आयोग को यह तय करना है कि असली शिवसेना उद्धव गुट वाली है या फिर शिंदे गुट वाली. उद्धव ठाकरे गुट ने चुनाव आयोग की इस कार्रवाई पर रोक लगाने की मांग सुप्रीम कोर्ट में की थी. इस मांग को अब खारिज कर दिया गया है.
सुप्रीम कोर्ट ने आज निर्वाचन आयोग में पार्टी पर प्रभुत्व, नाम और निशान के अधिकार को लेकर जारी प्रक्रिया पर रोक लगाने से इनकार कर दिया. कोर्ट का यह फैसला उद्धव गुट के लिए आफत तो शिंदे गुट के लिए राहत जैसा है. कोर्ट ने कहा कि चुनाव आयोग सिंबल मामले पर सुनवाई करने को स्वतंत्र है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि चुनाव आयोग की कार्रवाई पर अब कोई रोक नहीं होगी. इसी के साथ उद्धव ठाकरे ग्रुप की अर्जी खारिज हो गई है.
सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई के बाद अब एकनाथ शिंदे गुट ने चुनाव आयोग को पत्र लिखा है. इस पत्र में सुप्रीम कोर्ट के ऑर्डर का जिक्र किया गया है. शिंदे गुट चाहता है कि अब चुनाव आयोग जल्द इस मामले में एक्शन ले.
महाराष्ट्र में आमने-सामने हैं उद्धव और सीएम शिंदे
बता दें कि शिवसेना पार्टी को लेकर उद्धव ठाकरे और महाराष्ट्र के नए सीएम एकनाथ शिंदे आमने-सामने हैं. यह सब तब शुरू हुआ था, जब कुछ महीनों पहले एकनाथ शिंदे समेत शिवसेना पार्टी के कई विधायक बागी हो गए थे. इसी वजह से उद्धव ठाकरे को सीएम पद से इस्तीफा भी देना पड़ा था. लंबे सियासी ड्रामे के बाद इन बागी विधायकों ने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के साथ मिलकर सरकार बना ली थी. इस सरकार में एकनाथ शिंदे को सीएम और देवेंद्र फडणवीस को डिप्टी सीएम बनाया गया था.
महाराष्ट्र में सत्ता परिवर्तन के बाद भी राजनीतिक गतिरोध खत्म नहीं हुआ था. शिंदे गुट खुद को असली शिवसेना बताता है और पार्टी सिंबल धनुष-तीर पर अपना दावा कर रहा है. यह मामले फिलहाल चुनाव आयोग में है.
सत्ता छिनने के बाद से उद्धव ठाकरे की राह में मुश्किलें आ रही हैं. अभी सोमवार को ही उनके पिता बाल ठाकरे के करीबी रहे चंपासिंह और मोरेश्वर शिंदे गुट में शामिल हो गए. बीते दिनों शिवाजी पार्क में 'दशहरा रैली' के लिए भी दोनों गुट आमने-सामने थे. इस रैली को दोनों गुटों ने साख का सवाल बना लिया था. फिर दोनों गुटों को BMC ने रैली की इजाजत नहीं दी थी. लेकिन बाद में मामला में हाईकोर्ट पहुंचा. फिर हाईकोर्ट ने ठाकरे गुट को शिवाजी पार्क में 2 अक्टूबर से 6 अक्टूबर के बीच दशहरा रैली करने की अनुमित दे दी.