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महाराष्ट्र: अफजल खान की कब्र के आसपास अवैध ढांचा गिराने के मामले में आज सुनवाई करेगी सुप्रीम कोर्ट

सरकारी जमीन पर बने कथित अवैध ढांचा गिराने के खिलाफ कोर्ट में याचिका दायर की गई है. जिस पर सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट तैयार हो गई है. कोर्ट इस मामले में आज शुक्रवार को सुनवाई करेगी.

सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है
संजय शर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 10 नवंबर 2022,
  • अपडेटेड 12:00 AM IST

महाराष्ट्र के सतारा में आदिल शाही वंश के सेनापति अफजल खान की कब्र के आसपास ढांचे गिराने का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है. सरकारी जमीन पर बने कथित अवैध ढांचा गिराने के खिलाफ कोर्ट में याचिका दायर की गई है. जिस पर सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट तैयार हो गई है. कोर्ट इस मामले में आज शुक्रवार को सुनवाई करेगी. दरअसल, याचिकाकर्ता की ओर से वकील ने CJI के सामने मामले को उठाते हुए कहा कि अफजल खान की कब्र के पास व्यापक स्तर पर किए गए अवैध निर्माण का ध्वस्तीकरण जिला प्रशासन और राजस्व विभाग की टीम ने गुरुवार सुबह छह बजे से शुरू कर दिया है. किसी गड़बड़ी से बचने के लिए क्षेत्र में धारा 144 लागू कर दी गई है. इस दौरान सुरक्षा के लिए चार जिलों के 1500 से अधिक पुलिसकर्मी प्रतापगढ़ में तैनात किए गए हैं.

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याचिकाकर्ता के वकील ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने वहां की ध्वस्तीकरण पर पहले रोक लगाई थी. इस मामले में बॉम्बे हाई कोर्ट में अवमानना याचिका दाखिल की गई थी. फिलहाल के लिए हमने डिमोलिशन पर अंतरिम रोक और मामले की सुनवाई की मांग है. कोर्ट ने याचिकाकर्ता के वकील से पूछा कि जब 1600 ई में उनकी मृत्यु हो गई तो 1959 में वह कब्र कैसे बना? कोर्ट ने कहा यह वन भूमि पर अतिक्रमण है. वन भूमि पर कब्र कैसे आई? इसपर वकील ने जवाब दिया वहा श्राइन पहले से मौजूद था. फिलहाल कोर्ट ने मामले मे कोई राहत नही दी. कल मामले की सुनवाई होगी. 

ढांचा गिराने से रोक की मांग

बता दें कि हज़रत मोहम्मद अफजल खान  मेमोरियल सोसाइटी की ओर से सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर महाराष्ट्र के सतारा में अफजल खान की कब्र के आसपस बने ढांचे को गिराने से रोकने की मांग की गई है. जानकारी के मुताबिक प्रतापगढ़ में अफजल खान की कब्र छत्रपति शिवाजी महाराज ने उसका वध करने के बाद बनवाई थी. हालांकि शुरुआत में यह कब्र कुछ फीट की जगह में थी, लेकिन बाद में इस कब्र का सौंदर्यीकरण किया गया और वन विभाग की एक एकड़ जमीन पर अतिक्रमण कर 19 अवैध कमरे बना दिए गए.

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2006 में की गई थी शिकायत

साल 2006 में स्थानीय लोगों ने इसकी शिकायत संबंधित विभाग से की गई.जब विभाग की ओर से कोई कार्रवाई नहीं हुई तो यह मामला कोर्ट पहुंचा. बॉम्बे हाईकोर्ट ने 15 अक्टूबर 2008 और 11 नवंबर 2009 को निर्माण को गिराने का आदेश दिया था. जिस सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई. सुप्रीम कोर्ट ने भी हाईकोर्ट के आदेश को बरकरार रखते हुए 2017 में अतिक्रमण हटाने का आदेश जारी किया था.

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