
महाराष्ट्र में मराठा आंदोलन की आग अब तेजी से फैल रही है. गुस्साए मराठा प्रदर्शनकारी अब विधायकों के आवासों, दफ्तरों और व्यवसायों को निशाना बना रहे हैं. महाराष्ट्र के अलग-अलग इलाकों से कई ऐसे वीडियोज सामने आ रहे हैं जिनमें देखा जा सकता है कि गुस्साए प्रदर्शनकारियों ने शरद पवार गुट के कार्यालय को तक निशाना बना लिया है. इसके अलावा एक विधायक के होटल (होटल सनराइज) को भी आग के हवाल कर दिया गया है.
राज्य सरकार में पूर्व मंत्री जयदत्तजी क्षीरसागर के ऑफिस में आग लगा दी गई है. इससे पहले बीड विधानसभा क्षेत्र के विधायक संदीप क्षीरसागर के घर में मराठा आंदोलनंकारियो ने घुसकर करीब 5 से 6 चार पहिया वाहनों को आग के हवाले कर दिया. इससे पहले आज शाम को ही प्रदर्शनकारियों ने बीड जिले के माजलगांव में अजित पवार गुट के एनसीपी विधायक प्रकाश सोलंके का बंगला भी फूंक दिया. इस दौरान बंगले में खड़ीं 8 से 10 टू-व्हीलर भी जलकर खाक हो गईं.
इस बात से खफा हैं मराठा
मराठा आरक्षण के बारे में राजनीतिक दलों के नेताओं द्वारा अपना रुख साफ नहीं किए जाने के कारण, उनके घरों मे घुस्कर आग लगाकर गुस्सा निकाला जा रहा है. मराठा आरक्षण अब और हिंसक रूप लेता जा रहा है.
हिंसा में इन नेताओं के घरों/दफ्तरों को बनाया निशाना
- विधायक प्रकाश सोलंकी का घर
- विधायक संदीप क्षीरसागर का घर
-पूर्व मंत्री जयदत्त क्षीरसागर का दफ्तर
- शरद पवार गुट के बीड एनसीपी कार्यालय में भी लगाई आग.
- मजलगांव नगर पालिका को भी आग के हवाले कर दिया गया.
किन नेताओं को बनाया जा रहा निशाना?
बीड में अब मराठा प्रदर्शनकारियों द्वारा उन दलों के राजनीतिक नेताओं के आवासों को जलाया जा रहा है, जिन्होंने आरक्षण के पक्ष में रुख नहीं अपनाया. बीड में शरद पवार गुट के मौजूदा विधायक संदीप क्षीरसागर के आवास में शाम को मराठा आंदोलनकारियों ने आग लगा दी और इनमें खड़े चार चारपहिया वाहन जल गए हैं और काफी नुकसान हुआ है.
जो आरक्षण के पक्ष में उनके घरों को छोड़ा
आज ही अजित पवार गुट के विधायक के घर में भी ऐसे ही आग लगने की घटना हुई है. इसके अलावा आज ही BJP के दो विधायकों ने मराठा आरक्षण के पक्ष में इस्तीफा दे दिया, इसलिए उनके घरों को आग के हवाले नहीं किया गया.
हिंसा के बीच आज इन नेताओं ने दिया इस्तीफा
- बीजेपी विधायक लक्षम पवार
- एनसीपी जिला अध्यक्ष (अजित पवार गुट) राजेश्वर चौहान
इसके अलावा बारामती में आक्रामक मराठा समुदाय के कार्यकर्ताओं ने उपमुख्यमंत्री अजित पवार के पोस्टर्स पर कालिख भी पोती है. कहा जा रहा है कि मराठा नेता मनोज जारांगे पाटिल की तबीयत खराब होने पर भी सरकार कोई कड़ा रुख नहीं अपना रही है और इसलिए अब मराठा समुदाय आक्रामक होता जा रहा है. बारामती तालुका के वडगांव निंबालकर में मराठा समुदाय के कार्यकर्ताओं ने उपमुख्यमंत्री अजित पवार के पोस्टर्स पर अपना गुस्सा जाहिर किया है.
'अनशन के बाद भी नहीं रुख साफ नहीं कर रही सरकार'
दरअसल मराठा समुदाय की ओर से कुनबी प्रमाणपत्र की मांग की गई थी. चार दिन अनशन के बाद भी सरकार इस बारे में कोई रुख साफ नहीं कर रही है. सरकार के इस रवैये से गुस्साए मराठाओं ने गांव-गांव आंदोलन शुरू कर दिए हैं. बारामती तालुका के वडगांव निंबालकर में नाराज मराठा समुदाय के कार्यकर्ताओं ने 'एक मराठा, लाख मराठा' जैसे नारे लगाते हुए उपमुख्यमंत्री अजित पवार की तस्वीर वाले पोस्टरों पर कालिख पोत दी.
दो दिन पहले भी हुआ अजित पवार का विरोध
दो दिन पहले भी मालेगांव सहकारी चीनी कारखाने में सीजन की शुरुआत करने अजित पवार आ रहे थे. मराठा समुदाय के कार्यकर्ताओं ने आक्रामक रुख अपनाते हुए उन्हें कार्यस्थल पर आने से रोक दिया था. उसके बाद आज आक्रामक मराठा समुदाय के आंदोलनकारियों नेताओं के पोस्टरों पर कालिख पोती.
आत्महत्या कर रहे हैं गुस्साए मराठा
आपको बता दें कि महाराष्ट्र में मराठा समाज के आरक्षण की मांग के लिए जारी आंदोलन अब और जुनूनी होता जा रहा है. आंदोलन में जान देने की सिलसिला चल निकला है. सामने आया है कि राज्य के बीड जिले में एक और युवक ने आरक्षण की मांग करते हुए अपनी जान दे दी है. युवक आंदोलन के दौरान पानी की टंकी के ऊपर चढ़ गया और वहां से कूदकर खुदकुशी कर ली. बीड में अब तक तीन युवकों की आत्महत्या का मामला सामने आ चुका है, जिन्हें आरक्षण की मांग करते हुए अपनी जान दे दी है. मराठा आरक्षण की मांग कर रहे मनोज जारांगे पाटिल इन दिनों अनशन पर बैठे हैं.
32 साल पहले हुआ था मराठा आरक्षण आंदोलन
महाराष्ट्र में मराठा लंबे समय से सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण की मांग कर रहे हैं. करीब 32 साल पहले मराठा आरक्षण को लेकर पहली बार आंदोलन हुआ था. ये आंदोलन मठाड़ी लेबर यूनियन के नेता अन्नासाहब पाटिल की अगुवाई में हुआ था. उसके बाद से मराठा आरक्षण का मुद्दा यहां की राजनीति का हिस्सा बन गया. महाराष्ट्र में ज्यादातर समय मराठी मुख्यमंत्रियों ने ही सरकार चलाई है, लेकिन इसका कोई हल नहीं निकल सका.