
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने हाजी मलंग दरगाह को लेकर हाल ही में एक बयान दिया था. उन्होंने कहा था कि वह सदियों पुरानी हाजी मलंग दरगाह की 'मुक्ति' के लिए प्रतिबद्ध हैं. जबकि हिंदुओं का मानना है कि वहां मछिंद्रनाथ मंदिर है. इसे लेकर अब विवाद शुरू हो गया है. वहीं, हाजी मलंग दरगाह ट्रस्ट के चेयरमैन नासिर खान ने आजतक से खास बातचीत में कहा कि हाजी मलंग दरगाह परिसर में कोई मंदिर नहीं है. 68 साल के नासिर खान ने कहा कि ये सब अब राजनीतिक फायदे के लिए किया जा रहा है, वरना महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे भी हाजी मलंग के मुरीद हैं.
हाजी मलंग दरगाह ट्रस्ट के चेयरमैन ने कहा कि ट्रस्ट के पास सभी दस्तावेज उपलब्ध हैं, जिससे पता चलता है कि दरगाह 800 साल पुरानी है और वहां कोई मंदिर नहीं है. उन्होंने कहा कि पेशवा और अंग्रेजों के बीच लड़ाई हुई थी. पेशवा ने बाबा मलंग से प्रार्थना की और मन्नत को अपने पास रखा. पेशवा ने लड़ाई जीत ली और बाद में उन्होंने बाबा मलंग को सोने और चांदी की चादर चढ़ाई. नासिर खान ने कहा कि हमारे पास सभी सरकारी दस्तावेज मौजूद हैं. हमारे पास पेशवा काल के रिकॉर्ड हैं.
नासिर खान ने कहा कि हमारे पास सर्वे संख्या है. मलंग दरगाह ट्रस्ट 30 एकड़ जमीन पर है. वहां होटल और लॉज हैं. हमारा अपना स्कूल है और नियमित रूप से इंटरव्यू होते हैं. लगभग 1200 लोग वोटिंग करते हैं. उन्होंने कहा कि ट्रस्ट 1953 में गोपाल जी केतकर के नाम से रजिस्टर्ड हुआ था. उन्होंने कहा कि मेरा जन्म और पालन-पोषण यहीं हुआ. 5 किलोमीटर आगे एक मंदिर है और हम उनके कार्यक्रमों में भाग लेते हैं.
नासिर खान ने शांति का आह्वान किया और महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे के बयान पर भी बात की. उन्होंने कहा कि हम सभी हिंदू मुस्लिम शांति और सद्भाव से रहते हैं. हमारे महाराष्ट्र में शांति होनी चाहिए. दरगाह परिसर में कोई मंदिर नहीं है. वहां कभी कोई मंदिर नहीं था. मैंने नहीं जानता कि महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे ने क्या कहा लेकिन कुछ भ्रम हो सकता है. शिंदे बाबा मलंग के पुराने प्रशंसक हैं. हमारे पास सभी दस्तावेज़ उपलब्ध हैं, जब भी आवश्यकता होगी हम सबूत दिखाएंगे.
बता दें कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने ठाणे जिले में 'मलंगगढ़ हरिनाम महोत्सव' में अपने संबोधन के दौरान कहा था कि मलंगगढ़ के प्रति आपकी भावनाएं मुझे भली-भांति ज्ञात हैं. यह आनंद दिघे ही थे जिन्होंने मलंगगढ़ के मुक्ति आंदोलन की शुरुआत की, जिससे हमने 'जय मलंग श्री मलंग' का जाप शुरू किया. हालांकि मुझे बताना होगा कि कुछ ऐसे मामले होते हैं, जिनकी सार्वजनिक चर्चा नहीं की जाती. मैं मलंगगढ़ की मुक्ति के बारे में आपकी गहरी धारणाओं से अवगत हूं. मैं बता दूं कि एकनाथ शिंदे तब तक चुप नहीं बैठेगा, जब तक वह आपकी इच्छाएं पूरी नहीं कर देता'.