Advertisement

HC के फैसले के बाद हाजी अली दरगाह पहुंचीं तृप्ति देसाई, चढ़ाई चादर

देसाई ने मुंबई के वर्ली समुद्रतट के पास में एक टापू स्थित दरगाह के बाहर कहा, ‘पिछली बार जब हम यहां हाजी अली दरगाह आए थे, तब हमने हाई कोर्ट में अपने पक्ष में फैसले के लिए दुआ मांगी थी.

तृप्ति देसाई तृप्ति देसाई
लव रघुवंशी/BHASHA
  • मुंबई,
  • 28 अगस्त 2016,
  • अपडेटेड 11:36 PM IST

बॉम्बे हाई कोर्ट द्वारा हाजी अली दरगाह में मजार के पास महिलाओं के प्रवेश पर रोक हटाने के दो दिन बाद भूमाता ब्रिगेड की कार्यकर्ता तृप्ति देसाई रविवार को दरगाह पहुंचीं और एक चादर चढ़ाई. तृप्ति ने साथ ही घोषणा की कि अब वह केरल के सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के पूजा के अधिकार के लिए संघर्ष करेंगी.

दरगाह में मांगी थी तृप्ति ने दुआ
देसाई ने मुंबई के वर्ली समुद्रतट के पास में एक टापू स्थित दरगाह के बाहर कहा, ‘पिछली बार जब हम यहां हाजी अली दरगाह आए थे, तब हमने हाई कोर्ट में अपने पक्ष में फैसले के लिए दुआ मांगी थी. चूंकि हमारी दुआ सुनी गई और वह कबूल हुई हम हाजी अली बाबा का आशीर्वाद लेने और चादर चढ़ाने के लिए यहां आए हैं.’ शहर के सबसे महत्वपूर्ण स्थलों में से एक सैयद पीर हाजी अली शाह बुखारी की मजार भारतीय-इस्लामी वास्तुकला का एक प्रमुख नमूना है.

Advertisement

SC में ना करें अपील: तृप्ति
तृप्ति ने मुस्लिमों सहित देश के लोगों को उनके समर्थन के लिए धन्यवाद देते हुए दरगाह के ट्रस्ट से अनुरोध किया कि वह उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट नहीं जाएं. उन्होंने साथ ही यह विश्वास भी जताया कि यदि ऐसा कोई कदम उठाया भी गया तो सर्वोच्च न्यायालय महिलाओं के पक्ष में फैसला सुनाएगा.

ट्रस्टी से मिलना चाहती थीं तृप्ति
तृप्ति ने कहा, ‘यदि ट्रस्टी उच्च न्यायालय के फैसले के गुणदोष पर गंभीरता से विचार करें तो यह संभव है कि बाबा के दरवाजे अगले दो दिन केवल महिला श्रद्धालुओं के लिए खुले रहें.’ उन्होंने यह भी कहा कि वह ट्रस्टी से मुलाकात करना चाहती थीं, लेकिन रविवार होने के चलते कोई भी उपलब्ध नहीं था.’

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement