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जमीन से निकले सफेद और काले पत्थर से बने शिवलिंग...लोगों ने शुरू की पूजा

इतिहास के जानकर अशोक सिंह ठाकुर ने बताया कि खुदाई के दौरान मिले यह दोनों शिवलिंग 18वें सदी के मराठा कालीन शिवलिंग है. इसका निर्माण भोसले के शासनकाल के दौरान हुआ होगा. नेरी गांव का शिव मंदिर भी बहुत प्रसिद्ध है. 

जमीन से निकले सफेद और काले पत्थर से बने शिवलिंग (Photo Aajtak). जमीन से निकले सफेद और काले पत्थर से बने शिवलिंग (Photo Aajtak).
विकास राजूरकर
  • चंद्रपुर,
  • 31 अगस्त 2023,
  • अपडेटेड 10:46 AM IST

महाराष्ट्र के चंद्रपुर जिले में खुदाई के दौरान दो शिवलिंग मिले हैं. इस शिवलिंग के 18वीं सदी के होने की बात कही जा रही है. दोनों ही शिवलिंग के रंग अलग-अलग हैं. वहीं, सावन महीने में शिवलिंग मिलने के कारण इलाके में खुशी की लहर फैली हुई है. लोग इन शिवलिंगों के मिलने को बहुत ही शुभ मान रहे हैं. विशेषज्ञों के मुताबिक, खुदाई में मिले शिवलिंग भोसले कालीन हैं.

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दरअसल, मामला चंद्रपुर जिले के चीमूर तहसील में स्थित नेरी गांव का है. 30 अगस्त को नेरी गांव के प्रसिद्ध शिव मंदिर के पास खुदाई का काम चल रहा था. इसी दौरान दो शिवलिंग मिले. जिसमें एक काले पत्थर का और दूसरा सफेद पत्थर से बना हुआ है. श्रावण मास में खुदाई के दौरान शिवलिंग मिलने से गांव के लोगों में उत्साह का वातावरण है. सावन मास में शिवलिंग मिलने से इसका महत्व बढ़ गया है और लोगों ने शिवलिंग की पूजा पाठ भी शुरू कर दिया है.

18वीं सदी के हैं दोनों शिवलिंग

इतिहास के जानकर अशोक सिंह ठाकुर ने बताया कि खुदाई के दौरान मिले यह दोनों शिवलिंग 18वें सदी के मराठा कालीन शिवलिंग है. इसका निर्माण भोसले के शासनकाल के दौरान हुआ होगा. यानी यह 18वीं शताब्दी के शिवलिंग हैं. नेरी गांव का शिव मंदिर भी प्रसिद्ध है. 

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इलाके में पाए जाते हैं सफेद और काले पत्थर

अशोक ठाकुर आगे कहते हैं कि उस समय के भक्तों ने कुछ मन्नतें मांगी होंगी और उनकी मनोकामना पूरी होने पर उन्होंने इस शिवलिंग का निर्माण कर उसे समर्पित किया होगा. चंद्रपुर जिले के कुछ हिस्सों में सफेद और काले पत्थर पाए जाते हैं. उन्हीं पत्थरों से यह शिवलिंग बनाए गए हैं. श्रावण मास में मिले इन दो शिवलिंगों के कारण लोगों की आस्था और भी बढ़ गई है. 

अशोक का कहना है कि वैसे तो चंद्रपुर जिला एक ऐतिहासिक जिला के तौर पर जाना जाता है, लेकिन अब पुरातन शिवलिंग मिलने के  बाद चंद्रपुर के इतिहास में अब और भी पन्ने जुड़ गए हैं.

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