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2 हजार रुपये का जुर्माना भरने के लिए उद्धव ठाकरे और संजय राउत ने मांगा दो दिन का समय, जानें पूरा मामला

ठाकरे और राउत के खिलाफ उनके एक पूर्व सहयोगी, शिवसेना एकनाथ शिंदे गुट के नेता राहुल शेवाले ने मानहानि का मामला दर्ज कराया था. जब मजिस्ट्रेट अदालत ने उनके खिलाफ प्रक्रिया जारी की, उन्हें तलब किया और उन्हें बरी करने से इनकार कर दिया, तो दोनों ने एक पुनरीक्षण दायर किया और मुंबई सत्र न्यायालय का रुख किया.

संजय राउत और उद्धव ठाकरे पर कोर्ट ने जुर्माना लगाया है (फाइल फोटो) संजय राउत और उद्धव ठाकरे पर कोर्ट ने जुर्माना लगाया है (फाइल फोटो)
विद्या
  • मुंबई,
  • 23 जुलाई 2024,
  • अपडेटेड 5:19 PM IST

शिवसेना (यूबीटी) के नेता उद्धव ठाकरे और संजय राउत ने स्पेशल कोर्ट अदालत के समक्ष एक आवेदन दायर किया है, जिसमें 2,000 रुपये जमा करने के लिए कम से कम दो दिन का समय मांगा गया है. यह राशि पिछले महीने उन पर फाइन के तौर पर लगाई गई थी. ये फाइन उनके खिलाफ दायर मानहानि के मामले में लगाया गया है.

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उद्धव ठाकरे और संजय राउत ने कहा कि उन्हें 14 जून को आदेश मिला और अदालत का कैश काउंटर, जहां पैसे जमा किए जाने थे, अगले दो दिनों के लिए बंद कर दिया गया. उन्होंने कहा कि उन्होंने अगले कुछ दिनों में अपनी तरफ से पूरी कोशिश की लेकिन प्रक्रिया पूरी करने की औपचारिकताएं पूरी नहीं हो सकीं और 10 दिन की अवधि बीत जाने के बाद कैश काउंटर पर मौजूद अधिकारियों ने पैसे लेने से इनकार कर दिया.

हालांकि, शेवाले की ओर से पेश अधिवक्ता चित्रा सालुंखे ने दो दिन का समय मांगने वाले इस नए आवेदन का विरोध करते हुए कहा कि उनके उदासीन रवैये के कारण ही नकद जमा प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाई. सालुंखे ने यह भी आरोप लगाया कि यह ठाकरे और राउत की ओर से केवल देरी करने की रणनीति है. 

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अब इस मामले में स्पेशल कोर्ट 31 जुलाई को दलीलें सुनना जारी रखेगा. 

क्या है पूरा मामला

बता दें कि पार्टी के मुखपत्र सामना में एक लेख प्रकाशित करने के लिए ठाकरे और राउत के खिलाफ उनके एक पूर्व सहयोगी, शिवसेना एकनाथ शिंदे गुट के नेता राहुल शेवाले ने मानहानि का मामला दर्ज कराया था. शेवाले द्वारा दायर मानहानि की शिकायत है. शिकायत की कार्यवाही मझगांव मजिस्ट्रेट अदालत में चल रही है. कार्यवाही के दौरान, मजिस्ट्रेट अदालत ने दोनों को मामले से मुक्त करने से इनकार कर दिया था और यह आदेश 26 अक्टूबर, 2023 को पारित किया गया था. 

नियमों के अनुसार, दोनों को मजिस्ट्रेट अदालत के आदेश को तुरंत चुनौती देनी चाहिए थी, जो उन्होंने नहीं किया. पुनरीक्षण दायर करने के लिए नियमों के तहत निर्धारित बाहरी समय सीमा से 84 दिनों की देरी हुई. इस प्रकार, देरी को माफ करते हुए, सत्र न्यायालय ने 13 जून को उन पर 2,000 रुपये का जुर्माना लगाया था. यह पैसा अगले दो दिनों के भीतर जमा किया जाना है.

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