
महाराष्ट्र में बीजेपी के साथ मिलकर एकनाथ शिंदे सत्ता पर काबिज होने के बाद से उद्धव ठाकरे के लिए सियासी चुनौती बने हुए हैं. शिंदे ने अपने सियासी दांव से एक के बाद एक मामले में उद्धव को उलझाकर रखा है. शिवसेना एकाधिकार का मामला सुलझा भी नहीं था कि अंधेरी ईस्ट विधानसभा उपचुनाव में उद्धव ठाकरे खेमे की कैंडिडेट ऋतुजा लटके के चुनाव लड़ने पर सस्पेंस बना हुआ है. ऐसे में देखना है कि शिंदे के सियासी चक्रव्यूह को उद्धव ठाकरे कैसे तोड़ पाते हैं?
अंधेरी ईस्ट विधानसभा उपचुनाव उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे गुट के लिए अग्निपरीक्षा माना जा रहा है. उद्धव ठाकरे ने इसी सीट पर दिवंगत विधायक रमेश लटके की पत्नी ऋतुजा लटके को अपना उम्मीदवार बनाया है. वहीं, एकनाथ शिंदे खेमे से पूर्व पार्षद रमेश पटेल चुनाव लड़ रहे हैं, जिन्हें बीजेपी समर्थन कर रही है.
उद्धव ठाकरे की बढ़ी टेंशन
उद्धव गुट की ऋतुजा लटके बीएमसी में 2006 से बतौर लिपिक कार्यरत हैं और उपचुनाव को देखते हुए उन्होंने एक महीने पहले अपना इस्तीफा भी दिया दिया था. बीएमसी ने तकनीकी खामी का हवाला देते हुए ऋतुजा लटके का इस्तीफा मंजूर नहीं किया. उद्धव गुट के नेताओं ने बीएमसी के कमिश्नर इकबाल सिंह चहल पर आरोप लगाया कि वह सीएम एकनाथ शिंदे के इशारे पर काम कर रहे हैं. ऐसे में ऋतुजा लटके बीएमसी के खिलाफ बॉम्बे हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है, जिस पर गुरुवार को सुनवाई होनी है.
अंधेरी ईस्ट सीट पर नामांकन के लिए शुक्रवार को अंतिम दिन है. ऐसे में अगर बीएमसी ऋतुजा लटके का इस्तीफा मंजूर नहीं करती है और लटके को हाई कोर्ट से भी राहत नहीं मिलती है तो वो चुनाव नहीं लड़ पाएंगी. इस तरह उद्धव खेमे के लिए चिंता बढ़ गई है कि ऋतुजा लटके को विकल्प के तौर पर किसे चुनावी मैदान में उतारा जाए. ऐसे में उद्धव गुट के नेताओं ने शिंदे को लेकर आक्रमक रुख अपना रखा है. शिवसेना नेता अनिल परब ने कहा कि अंधेरी ईस्ट विधानसभा सीट हमारी है और यह हमारी ही रहेगी. एकनाथ शिंदे के अरमान पूरे नहीं होंगे.
गुजराती बनाम मराठी के बीच जंग
अंधरे ईस्ट सीट पर शिंदे गुट से उतरे मुरजी पटेल गुजराती भाषी हैं, जबकि उद्धव ठाकरे के खेमे से चुनाव लड़ रही ऋतुजा लटके मराठी हैं. इस सीट पर ज्यादातर हिंदी भाषी और मराठी मतदाता ही निर्णायक स्थिति में है. अंधेरी में केवल नागरदास रोड का जो पट्टा है, सिर्फ उसी में ज्यादातर गुजराती वोटर हैं जबकि बाकी पूरा चुनाव क्षेत्र उत्तर भारतीयों और मराठी का गढ़ माना जाता है. ऐसे में संभावना है कि अंधेरी सीट पर गुजराती बनाम मराठी के बीच जंग होती होती है तो शिंदे के लिए मुकाबला कहीं भारी न पड़ जाए.
शिवसेना के रमेश लटके अंधेरी ईस्ट से विधायक चुने जाते रहे हैं. इसके पीछे वजह यह थी कि तीन बार स्थानीय नगरसेवक रहे थे और उनका अपने इलाके में अच्छा जनसंपर्क था. इसके अलावा दूसरी बड़ी वजह मराठी वोटरों का एकजुट होकर उनके पक्ष में वोटिंग करना. यह वजह है कि उद्धव ठाकरे ने रमेश लटके की पत्नी ऋतुजा लटके को उपचुनाव में उतारकर सहानुभूति हासिल करने का दांव चला है, लेकिन बीएमसी उनकी राह में रोड़ा बन गई.
बता दें कि 2014 में बीजेपी ने मराठी वोटों के सियासी समीकरण को तोड़ने की बड़ी कोशिश की थी. रणनीतिक रूप से उसने अंधेरी ईस्ट सीट अपने उत्तर भारतीय उम्मीदवार सुनील यादव को चुनाव मैदान में उतारा था, लेकिन 2014 की मोदी लहर के बावजूद शिवसेना उम्मीदवार रमेश लटके जीतने में सफल रहे थे. 2019 में बीजेपी-शिवसेना मिलकर चुनाव लड़ी थी तब मुरजी पटेल बीजेपी से बगावत कर निर्दलीय चुनाव लड़े थे. इस तरह रमेश लटके दोबारा से विधायक बने थे. इस बार मुरजी पटले को शिंदे गुट ने उतारा है.
अंधेरी ईस्ट सीट पर क्या करेंगे उद्धव?
एकनाथ शिंदे गुट से एक के बाद एक शिकस्त खा रहे उद्धव ठाकरे और उनके गुट के नेताओं को भी यह लगने लगा है कि इस चुनाव में ऋतुजा लटके शायद बतौर उम्मीदवार शामिल न हो पाएं. ऐसे में उद्धव ठाकरे गुट को ऋतुजा के विकल्प तौर पर दूसरे कैंडिडेट को तलाश करना होगा. ऐसे में माना जा रहा है कि उद्धव ठाकरे की नजर में कुछ दूसरे स्थानीय चेहरे हैं, जो ऋतुजा के विकल्प के रूप में उनके गुट के अंधेरी ईस्ट सीट से उपचुनाव में उम्मीदवार हो सकते हैं.