
महाराष्ट्र की राजनीति में आज का दिन काफी अहम है. मुंबई दो ऐसे नेताओं की राजनीतिक लड़ाई की गवाह बनेगी जो कुछ समय पहले तक एक ही राजनीतिक छत के नीचे साथ थे लेकिन पिछले कुछ ही महीनों में नाटकीय रूप से ये हालात बहुत बदल गए. महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे का विश्वसनीय सहयोगी प्रदेश के वर्तमान सीएम एकनाथ शिंदे अब उनके कट्टर दुश्मन बन गए हैं. वह अब अपने गुट को असली शिवसेना होने का दावा कर रहे हैं. ऐसे में उद्धव ठाकरे को यह साबित करना है कि उन्हें अब भी अपने दल में बहुमत हासिल है. दोनों नेताओं के बीच अस्तित्व और मान्यता की लड़ाई छिड़ गई है.
इसी के तहत आज मुंबई के ऐतिहासिक शिवाजी पार्क में उद्धव ठाकरे दशहरा रैली के बहाने अपनी ताकत दिखाएंगे. राज्य के अलग-अलग हिस्सों से उनके समर्थक शिवाजी पार्क में जुटने लगे हैं. वहीं एकनाथ शिंदे गुट को शिवाजी पार्क से करीब 6.5 किलोमीटर दूर BKC मैदान में दशहरा रैली करने की अनुमति दी गई है.
शिंदे खेमे के लोग भूल गए बालासाहेब की शिक्षा, वे देशद्रोही हैं
अमरावती जिले के एक समर्थक ने कहा- हम असली शिवसेना हैं. जो लोग शिंदे खेमे के साथ गए हैं, वे देशद्रोही हैं. वे बालासाहेब ठाकरे की शिक्षाओं को भूल गए हैं. हम सुनने आए हैं कि हमारे नेता का क्या कहना है? वह आज मुंहतोड़ जवाब देंगे.
बीड जिले से आए एक अन्य समर्थक ने कहा- "मैं खुद से आया हूं, मैंने पार्टी से कोई पैसा नहीं लिया. उद्धव ठाकरे को लेकर मेरे मन में प्यार और विश्वास ही है, जिसने मुझे पूरे रास्ते यात्रा करने के लिए प्रेरित किया. उद्धव ठाकरे ने कहा था कि अगर आना है तो आओ नहीं तो टीवी पर कार्यक्रम देखें. हममें से किसी पर कोई दबाव या लालच नहीं था. वह जानते हैं कि हम पार्टी के वफादार हैं.
करीब चार हजार ठाकरे समर्थक शिंदे गुट में शामिल
दशहरा रैली से पहले 2 अक्टूबर को उद्धव ठाकरे को बड़ा झटका लगा था. आदित्य ठाकरे के विधानसभा क्षेत्र वर्ली में 3-4 हजार शिवसैनिकों ने ठाकरे गुट का साथ छोड़ शिंदे गुट में शामिल हो गए थे. आदित्य ठाकरे, अपने परिवार के पहले ऐसे सदस्य हैं, जो चुनावी राजनीति में आए थे. उन्होंने मुंबई की वर्ली सीट पर 65 हजार से ज्यादा वोटों से जीत दर्ज की थी. एकनाथ शिंदे ने आदित्य ठाकरे के गढ़ में उन्हें कमजोर करने की कोशिश की है. दरअसल आदित्य ठाकरे लगातार एकनाथ शिंदे पर हमलावर रहते हैं.
कार्यकर्ताओं को लाने के लिए हर वार्ड में भेजीं 4 बसें
उद्धव ठाकरे ने मुंबई के 227 वार्डों में से प्रत्येक वार्ड से 4 बसों से कार्यकर्ताओं को लाने का आदेश दिया है. इसके लिए उन्होंने सभी विभाग प्रमुखों (जोनल प्रमुखों) को जिम्मेदारी सौंपी है. उद्धव खेमे ने इस साल सिर्फ मुंबई से ही लगभग 50 हजार पार्टी कार्यकर्ताओं को इकट्ठा करने का लक्ष्य रखा है. सूत्रों के मुताबिक मुंबई के अलावा पश्चिमी महाराष्ट्र, मराठवाड़ा और उत्तरी महाराष्ट्र के संपर्क प्रमुख (संचार प्रमुख) ट्रेनों से कार्यकर्ताओं को ला रहे हैं.
एकनाथ शिंदे खेमे ने 4 हजार बसें और ट्रेनें लगाईं
सीएम एकनाथ शिंदे के खेमे के मंत्रियों और विधायकों ने भी दशहरा रैली को सफल बनाने में अपना पूरा दम लगा दिया है. सभी विधायकों को प्रदेशभर से 5 से 10 हजार पार्टी कार्यकर्ताओं को इकट्ठा करने का लक्ष्य दिया गया है. वहीं 4 हजार राज्य परिवहन की बसों और निजी गाड़ियों को बीकेसी मैदान पहुंचने और वापस जाने के लिए व्यवस्था की गई है. इसके साथ ही कैडरों के लिए विदर्भ, मराठवाड़ा और उत्तरी महाराष्ट्र की ट्रेनों को बुक किया गया है.
शिवाजी पार्क और बीकेसी ग्राउंड पर 2 हजार जवान तैनात
शिवसेना के इतिहास में पहली बार 2 प्रतिस्पर्धी रैलियों को देखते हुए किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए शिवाजी पार्क और बीकेसी ग्राउंड दोनों जगहों पर करीब 2 हजार पुलिस बल तैनात किया गया है. ट्रैफिक पुलिस ने ट्रैफिक जाम को देखते हुए दोनों जगहों की ओर जाने वाले रास्तों को डायवर्ट कर दिया है. इसके अलावा, भीड़ के लिए मोबाइल टॉयलेट्स, खाने की स्टॉलों और पंडालों की व्यवस्था की गई है.
आदित्य की तरह तेजस की हो सकती है राजनीति में एंट्री
कयास लगाए जा रहे हैं कि उद्धव अपने छोटे बेटे तेजस ठाकरे को पहली बार राजनीतिक मंच पर पेश कर सकते हैं. दशहरा रैली के मंच से ही उद्धव के बड़े बेटे आदित्य ठाकरे को युवा संगठन युवा सेना के साथ दिवंगत बाल ठाकरे की उपस्थिति में राजनीति में उतारा गया था.